गृह-स्वामिनी का पुत्र बीमार पड़ा और उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि उसके प्राण निकल गये। स्त्री ने एलियस से कहा, "हे ईश्वर-भक्त ! मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? क्या आप मेरे पापों की याद दिलाने और मेरे पुत्र को मारने मेरे यहाँ आये?" उसने उत्तर दिया, "अपना पुत्र मुझ को दो"। एलियस ने उसे उसकी गोद से ले लिया और ऊपर अपने रहने के कमरे ले जा कर अपने पलंग पर लिटा दिया। तब उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु! हे मेरे ईश्वर ! जो विधवा मुझे अपने यहाँ ठहराती है, क्या तू उसके पुत्र को संसार से उठा कर उसे विपत्ति में डालना चाहता है?" तब वह तीन बार बालक पर लेट गया और उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु! हे मेरे ईश्वर ! ऐसा कर कि इस बालक के प्राण इस में लौट आयें"। प्रभु ने एलियस की प्रार्थना सुनी। उस बालक के प्राण उस में लौटे और वह जीवित हो उठा। एलियस उसे उठा कर ऊपर वाले कमरे से नीचे, घर में ले गया और उसे उसकी माता को लौटाते हुए उसने कहा, "देखो, तुम्हारा पुत्र जीवित है"। स्त्री ने उत्तर दिया, "अब मैं जान गयी हूँ कि आप ईश्वर-भक्त हैं और जो प्रभु की वाणी आपके मुख में है, वह सच्चाई है"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है।
1. हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु ! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला है, तूने मुझे मृत्यु से बचा लिया है।
2. प्रभु के भक्त उसके आदर में गीत गायें और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रातःकाल आनन्द ही आनन्द होता है।
3. हे प्रभु! मेरी सुन। मुझ पर दया कर। हे प्रभु! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! मैं अनन्त काल तक तेरी स्तुति करूँगा।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है"। अल्लेलूया !
येसु नाइम नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था। जब वह नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुरदे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का एकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे। माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस आया और उन्होंने उस से कहा, "मत रोओ” और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले ठहर गये। येसु ने कहा, "ऐ युवक ! मैं तुम से कहता हूँ, उठो"। मुरदा उठ बैठा और बोलने लगा। येसु ने उसे उसकी माँ को सौंप दिया। सब लोगों पर विस्मय छा गया और वे यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करने लगे, "हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है"। येसु के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी।
प्रभु का सुसमाचार।