वर्ष का दसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

इस्राएल में अकाल पड़ा था और नबी एलियस ईश्वर के आदेशानुसार सरेप्ता की विधवा के यहाँ रहते थे। विधवा का पुत्र मर गया और एलियस की प्रार्थना सुन कर ईश्वर ने उसे पुनर्जीवित किया।

राजाओं का पहला ग्रंथ 17:17-24

"देखो, तुम्हारा पुत्र जीवित है।"

गृह-स्वामिनी का पुत्र बीमार पड़ा और उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि उसके प्राण निकल गये। स्त्री ने एलियस से कहा, "हे ईश्वर-भक्त ! मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? क्या आप मेरे पापों की याद दिलाने और मेरे पुत्र को मारने मेरे यहाँ आये?" उसने उत्तर दिया, "अपना पुत्र मुझ को दो"। एलियस ने उसे उसकी गोद से ले लिया और ऊपर अपने रहने के कमरे ले जा कर अपने पलंग पर लिटा दिया। तब उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु! हे मेरे ईश्वर ! जो विधवा मुझे अपने यहाँ ठहराती है, क्या तू उसके पुत्र को संसार से उठा कर उसे विपत्ति में डालना चाहता है?" तब वह तीन बार बालक पर लेट गया और उसने यह कह कर प्रभु से प्रार्थना की, "हे प्रभु! हे मेरे ईश्वर ! ऐसा कर कि इस बालक के प्राण इस में लौट आयें"। प्रभु ने एलियस की प्रार्थना सुनी। उस बालक के प्राण उस में लौटे और वह जीवित हो उठा। एलियस उसे उठा कर ऊपर वाले कमरे से नीचे, घर में ले गया और उसे उसकी माता को लौटाते हुए उसने कहा, "देखो, तुम्हारा पुत्र जीवित है"। स्त्री ने उत्तर दिया, "अब मैं जान गयी हूँ कि आप ईश्वर-भक्त हैं और जो प्रभु की वाणी आपके मुख में है, वह सच्चाई है"।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 29:2,4-6,11-13

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है।

1. हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा। तूने मेरा उद्धार किया है। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु ! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला है, तूने मुझे मृत्यु से बचा लिया है।

2. प्रभु के भक्त उसके आदर में गीत गायें और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रातःकाल आनन्द ही आनन्द होता है।

3. हे प्रभु! मेरी सुन। मुझ पर दया कर। हे प्रभु! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! मैं अनन्त काल तक तेरी स्तुति करूँगा।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस गलातियों से कहते हैं कि वह पहले कट्टर यहूदी थे और येसु के शिष्यों पर अत्याचार भी करते थे। दमिश्क के रास्ते में येसु ने स्वंय पौलुस को अपना प्रेरित बनाया। इसलिए सन्त पौलुस इस पर गौरव करते हंय कि येसु ने उन पर सुसमाचार प्रकट किया है।

गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:11-19

"ईश्वर ने मुझ पर अपना पुत्र प्रकट किया, जिससे मैं गैर-यहूदियों में उसके सुसमाचार का प्रचार करूँ।"भाइयो ! मैं आप लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैंने जो सुसमाचार सुनाया, वह मनुष्य-रचित नहीं है। मैंने न तो उसे किसी मनुष्य से ग्रहण किया और न सीखा, बल्कि येसु मसीह ने उसे मुझ पर प्रकट किया है। आप लोगों ने सुना होगा कि जब मैं यहूदी धर्म का अनुयायी था, तो मेरा आचरण कैसा था- मैं ईश्वर की कलीसिया पर घोर अत्याचार और उसका सर्वनाश का प्रयत्न करता था। मैं अपने पूर्वजों की परम्पराओं का कट्टर समर्थक था और अपने समय के बहुत-से यहूदियों की अपेक्षा हमारे राष्ट्रीय धर्म के पालन में अधिक उत्साह दिखलाता था। किन्तु ईश्वर ने मुझे माता के गर्भ से ही अलग कर लिया और अपने अनुग्रह से बुलाया था; इसलिए उसने मुझ पर और मेरे द्वारा अपना पुत्र प्रकट करने का निश्चय किया, जिससे मैं गैर-यहूदियों में उसके पुत्र के सुसमाचार का प्रचार करूँ। इसके बाद मैंने किसी से परामर्श नहीं किया और जो मुझ से पहले प्रेरित थे, उन से मिलने के लिए मैं येरुसालेम नहीं गया; बल्कि मैं तुरन्त अरब देश गया और बाद में दमिश्क लौटा। मैं तीन वर्ष बाद कैफस से मिलने येरुसालेम गया और उनके साथ पंद्रह दिन रहा। प्रभु के भाई याकूब को छोड़ कर मेरी भेंट अन्य प्रेरितों में से किसी से नहीं हुई।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है"। अल्लेलूया !

सुसमाचार

सुसमाचार के बहुत-से स्थलों पर इस बात का उल्लेख किया गया है कि लोगों की दयनीय दशा देख कर येसु को तरस हो आया। नाइम की एक विधवा का एकलौटा बेटा मर गया। येसु ने देखा कि लोग उसे दफनाने के लिए ले जा रहे हैं। उन्होंने अरथी ढोने वालों को रोका और युवक को पुनर्जीवित कर उसे विधवा माता को सौंप दिया।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 7:11-17

"ऐ युवक ! मैं तुम से कहता हूँ, उठो।"

येसु नाइम नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था। जब वह नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुरदे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का एकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे। माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस आया और उन्होंने उस से कहा, "मत रोओ” और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले ठहर गये। येसु ने कहा, "ऐ युवक ! मैं तुम से कहता हूँ, उठो"। मुरदा उठ बैठा और बोलने लगा। येसु ने उसे उसकी माँ को सौंप दिया। सब लोगों पर विस्मय छा गया और वे यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करने लगे, "हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है"। येसु के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी।

प्रभु का सुसमाचार।