वर्ष का ग्यारहवाँ इतवार - वर्ष A

पहला पाठ

ईश्वर ने मूसा के नेतृत्व में यहूदियों को मिस्र देश से निकाला था और उन्हें अपनी ही चुनी हुई प्रजा के रूप में अपनाया था। ईश्वर चाहता है कि यहूदी लोग इस बात पर विचार करें और हमेशा सच्चे ईश्वर की आराधना करें।

निर्गमन-ग्रंथ 19:2-6

"तुम मेरे लिए याजकों का राजकीय वंश तथा पवित्र राष्ट्र बन जाओगे।"

इस्राएली रफीदीम से चले गये और सिनाई की मरुभूमि पहुँचे। उन्होंने मरुभूमि में, पर्वत के सामने ही पड़ाव डाला। मूसा ईश्वर से मिलने के लिए पर्वत पर चढ़ा। और ईश्वर ने वहाँ उस से कहा, "तुम याकूब के घराने से यह कहोगे और इस्राएल के पुत्रों को यह बता दोगे 'तुम लोगों ने स्वयं देखा है कि मैंने मिस्र के साथ क्या-क्या किया और किस तरह मैं तुम लोगों को गरुड़ के पंखों पर बैठा कर यहाँ अपने पास ले आया। यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राष्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाओगे; क्योंकि समस्त पृथ्वी मेरी है। तुम मेरे लिए याजकों का राजवंश तथा पवित्र राष्ट्र बन जाओगे।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 99:2-3,5

अनुवाक्य : हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।

1. आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो। उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो जाओ।

2. यह जान लो कि वह ईश्वर है। उसी ने हम को बनाया है हम उसी के हैं। हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।

3. ओह ! ईश्वर कितना भला है ! उसका प्रेम चिरस्थायी है, उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस कहते हैं कि हमें ईश्वर की दया पर विश्वास करना चाहिए। जब हम पाप द्वारा ईश्वर के प्रति विद्रोह करते रहे थे, तब येसु हमारे लिए मर गये। अब येसु द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है, इसलिए हमें और भी भरोसे के साथ ईश्वर की शरण लेनी चाहिए।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:6-11

"उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा जब ईश्वर के साथ हमारा मेल हो गया है, तो हम उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही बच जायेंगे।"

हम निस्सहाय ही थे, जब मसीह निर्धारित समय पर विधर्मियों के लिए मरे। धार्मिक मनुष्य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये, किन्तु हम पापी ही थे जब मसीह हमारे लिए मर गये थे; इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है। जब हम मसीह के रक्त के कारण धार्मिक माने गये, तो हम निश्चय ही मसीह के द्वारा ईश्वर के दण्ड से बच जायेंगे। हम शत्रु ही थे जब ईश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हो गया था; और उसके साथ मेल हो जाने के बाद हम उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही बच जायेंगे। इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु येसु मसीह के द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है, इसलिए हम उन्हीं के द्वारा ईश्वर पर भरोसा रख कर आनन्दित हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु ने यहूदियों के बारह वंशों से बारह शिष्यों को चुना और उनका नाम प्रेरित रखा। पुराने इस्राएल ने उनका सुसमाचार नहीं ग्रहण किया। इसलिए येसु अपने बारह प्रेरितों द्वारा अपना सुसमाचार नये इस्राएल अर्थात् सभी राष्ट्रों के विश्वासियों के पास पहुँचा देंगे।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:36-10:8

“येसु ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर भेज दिया।"

लोगों को देख कर येसु को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके-माँदे पड़े हुए थे। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "फ़सल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं। इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।" येसु ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया और अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने की शक्ति प्रदान की। बारह प्रेरितों के नाम इस प्रकार हैं- पहला, सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रेयस; ज़ेबेदी के पुत्र याकूब और उसका भाई योहन; फ़िलिप और बर्थोलोमी; थोमस और नाकेदार मत्ती, अलफ़ाई का पुत्र याकूब और थद्देयुस; सिमोन कनानी और यूदस इसकारियोती, जिसने येसु को पकड़वाया। येसु ने इन बारहों को ये अनुदेश दे कर भेजा, "अन्य जातियों के यहाँ न जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो, बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ। राह चलते यह उपदेश दिया करो - स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है मुफ़्त में दे दो।"

प्रभु का सुसमाचार।