प्रभु ने आँधी में से योब को इस प्रकार उत्तर दिया, "जब समुद्र गर्त्त में से फूट निकला था तो किसने द्वार लगा कर उसे रोका था? मैंने उसे बादलों की चादर पहना दी थी और कुहरे के वस्त्रों में लपेट लिया था। मैंने उसकी सीमाओं को निश्चित किया था और द्वार तथा सिटकिनी लगा कर उस से यह कहा था, 'तू यहीं तक आ सकेगा, आगे नहीं; तेरी तरंगों का घमण्ड यहीं चूर कर दिया जायेगा'।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। (अथवा : अल्लेलूया।)
1. जो जहाज पर चढ़ कर समुद्री यात्रा करते हुए महासागर के उस पार व्यापार करने गये, उन्होंने प्रभु के कार्य देखे हैं और सागर की गहराइयों में उसके चमत्कार।
2. उसने आदेश दियाः आँधी आयी और ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं। वे आकाश तक चढ़ कर गहरे गर्त्त में उतरने लगे और बहुत अधिक डर गये।
3. अपने संकट में उन्होंने प्रभु की दुहाई दी और उसने उन्हें विपत्ति से बचा लिया। उसने आँधी को शांत कर दिया और लहरें थम गयीं।
4. उस शांति को देख कर वे आनन्दित हो उठे और प्रभु ने उन्हें मनचाहे बन्दरगाह तक पहुँचा दिया। उसके प्रेम के लिए और मनुष्य के हित किये हुए उसके अद्भुत कार्यों के लिए वे प्रभु का धन्यवाद करें।
मसीह का प्रेम हमें प्रेरित करता रहता है; क्योंकि हम यह समझ गये हैं कि जब एक सबों के लिए मर गया है, तो सभी मर गये हैं। मसीह सबों के लिए मर गये हैं, जिससे जो जीवित हैं, वे अब से अपने लिए नहीं, बल्कि उनके लिए जीवन बितायें, जो उनके लिए मर गये और जी उठे हैं। इसलिए हम अब से किसी को भी दुनिया की दृष्टि से नहीं देखते। हमने मसीह को पहले दुनिया की दृष्टि से देखा है, किन्तु अब हम ऐसा नहीं करते। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नया मनुष्य बन गया है; पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और सब कुछ नया हो गया है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !
संध्या हो जाने पर, येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "हम उस पार चलें"। लोगों को विदा करने के बाद शिष्य येसु को उसी नाव पर ले गये, जिस पर वह बैठे हुए थे। दूसरी नावें भी उनके साथ चलीं। उस समय एकाएक भंझावात उठा। लहरें इतने जोर से नाव से टकराने लगीं कि वह पानी से भरी जा रही थी। येसु दुम्बाल में तकिया लगाये सो रहे थे। शिष्यों ने उन्हें जगा कर कहा, "गुरुवर ! हम डूब रहे हैं ! क्या आप को इसकी कोई चिन्ता नहीं?" वह जग गये और उन्होंने वायु को डाँटा और समुद्र से कहा, "शांत हो ! थम जा !" वायु मंद हो गयी और पूर्ण शांति छा गयी। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “तुम लोग इस प्रकार क्यों डर जाते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं है?" उन पर भय छा गया और वे आपस में यह कहने लगे, "आखिर यह कौन हैं? वायु और समुद्र भी उनकी आज्ञा मानते हैं?"
प्रभु का सुसमाचार।