वर्ष का तेरहवाँ सप्ताह, इतवार – वर्ष B

पहला पाठ

ईश्वर ने मनुष्य को अपना ही प्रतिरूप बनाया। वह मनुष्य की मृत्यु नहीं चाहता था। पाप के कारण संसार में मृत्यु का प्रवेश हुआ। ईश्वर हमें येसु की मृत्यु द्वारा अनन्त जीवन प्रदान करेगा। येसु के द्वारा हम मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

प्रज्ञा-ग्रंथ 1:13-15; 2:23-24

"शैतान की ईर्ष्या के कारण ही मृत्यु संसार में आयी।"

ईश्वर मृत्यु नहीं चाहता; वह प्राणियों की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। उसने सब कुछ की सृष्टि इसलिए की है कि वह अस्तित्व में बना रहे। संसार में जो कुछ है, वह लाभ ही के लिए है, उस में कहीं भी घातक विष नहीं। मृत्यु पृथ्वी पर शासन नहीं करती, क्योंकि धर्माचरण करने वाला कभी नहीं मरेगा। ईश्वर ने मनुष्य को अमर बना दिया; उसने उसे अपना ही प्रतिरूप बनाया। शैतान की ईर्ष्या के कारण ही मृत्यु संसार में आयी है। जो लोग शैतान का साथ देते हैं, वे अवश्य ही मृत्यु के शिकार हो जाते हैं।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 29:24,6,11-13

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा; तूने मेरा उद्धार किया है।

1. हे प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करूँगा; तूने मेरा उद्धार किया है। तूने मेरे शत्रुओं को मुझ पर हँसने नहीं दिया। हे प्रभु ! तूने मेरी आत्मा को अधोलोक से निकाला है, तूने मुझे मृत्यु से बचा लिया है।

2. प्रभु के भक्त उसके आदर में गीत गायें और उसके पवित्र नाम की महिमा करें। उसका क्रोध क्षण भर का है, किन्तु उसकी कृपा जीवन भर बनी रहती है। संध्या को भले ही रोना पड़े, किन्तु प्रातःकाल आनन्द ही आनन्द होता है।

3. हे प्रभु ! मेरी सुन ! मुझ पर दया कर। हे प्रभु ! मेरी सहायता कर। तूने मेरा शोक आनन्द में बदल दिया है। हे प्रभु ! मेरे ईश्वर ! मैं अनन्तकाल तक तेरी स्तुति करूँगा।

दूसरा पाठ

धन-सम्पत्ति के कारण मनुष्यों में द्वेष उत्पन्न होता है। यदि धनी लोग दरिद्रों की सहायता करेंगे, तो भ्रातृप्रेम की विजय होगी और बहुत-सी समस्याएँ हल हो जायेंगी। सन्त पौलुस यहाँ कुरिंथ के निवासियों से अनुरोध करते हैं कि वे येरुसालेम के दरिद्र भाइयों की आर्थिक सहायता करें।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 8:7,9,13-15

"आप लोगों की समृद्धि दरिद्र भाइयों की तंगी दूर करती है।"

आप लोग हर बात में: विश्वास, अभिव्यक्ति, ज्ञान, सब प्रकार की धर्मसेवा और हमारे प्रति प्रेम में बढ़े-चढ़े हैं, इसलिए आप लोगों को इस परोपकार में भी बड़ी उदारता दिखानी चाहिए। आप लोग हमारे प्रभु येसु मसीह की उदारता जानते ही हैं; वह धनी थे किन्तु आप लोगों के कारण निर्धन बने, जिससे आप लोग उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन जायें। मैं यह नहीं चाहता कि दूसरों को आराम देने से आप लोगों को कष्ट हो। यह बराबरी की बात है। इस समय आप लोगों की समृद्धि उनकी तंगी दूर करेगी, जिससे किसी दिन उनकी समृद्धि आपकी तंगी दूर कर सके और इस तरह बराबरी हो जाये जैसा कि लिखा है जिसने बहुत बटोर लिया था, उसके पास ज्यादा नहीं निकला। और जिसने थोड़ा बटोर लिया था, उसके पास कम नहीं निकला।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु ने बारम्बार कहा कि विश्वास सब कुछ संभव कर देता है। यहाँ वह जैरुस से अनुरोध करते हैं कि “विश्वास करो और तुम्हारी पुत्री बच जायेगी"। अन्य अवसरों पर भी येसु ने अपने चमत्कार से पहले ही विश्वास की माँग की है।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:21-43

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है]
"ओ लड़की ! मैं तुम से कहता हूँ : उठो !"

जब येसु नाव से उस पार पहुँचे, तो समूद्र के तट पर उनके पास एक विशाल जनसमूह एकत्र हो गया। उस समय सभागृह का जैरुस नामक एक अधिकारी आया। येसु को देख कर वह उनके चरणों पर गिर पड़ा। और यह कह कर अनुनय-विनय करने लगा, "मेरी बेटी मरने पर है। आइए और उस पर हाथ रखिए, जिससे वह अच्छी हो जाये और जीवित रह सके"। येसु उसके साथ चले। एक बड़ी भीड़ उनके पीछे हो ली; और लोग चारों ओर से उन पर गिरे पड़ते थे।

[एक स्त्री बारह बरस से रक्तस्राव से पीड़ित थी। अनेकानेक वैद्यों के इलाज के कारण उसे बहुत कष्ट सहना पड़ा था और अपना सब कुछ खर्च करने पर भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ था, बल्कि वह और भी बीमार हो गयी थी। उसने येसु के विषय में सुना था और भीड़ में पीछे से आ कर उनका कपड़ा छू लिया, क्योंकि वह मन-ही-मन कहती थी, यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ, तो अच्छी हो जाऊँगी'। उसी क्षण उसका रक्तस्त्राव सूख गया और उसने अपने शरीर में अनुभव किया कि मेरा रोग दूर हो गया है। येसु उसी समय जान गये कि उन से शक्ति निकली है। भीड़ में मुड़ कर उन्होंने पूछा, "किसने मेरा कपड़ा छुआ?" उनके शिष्यों ने उन से कहा, "आप देखते ही हैं कि भीड़ आप पर गिरी पड़ती है। तब भी आप पूछते हैं – किसने मेरा स्पर्श किया?" जिसने ऐसा किया था, उसका पता लगाने के लिए येसु ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी। वह स्त्री, यह जानकर कि मुझे क्या हो गया है, डरती-काँपती हुई आयी और उन्हें दण्डवत् कर सारा हाल बता दिया। तेरहवाँ सप्ताह - इतवार येसु ने उस से कहा, “बेटी ! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा कर दिया है। शांति ग्रहण कर चली जाओ और अपने रोग से मुक्त रहो"। येसु यह कह ही रहे थे कि]

सभागृह के अधिकारी के यहाँ से लोग आये और कहने लगे, "आपकी बेटी मर गयी है। अब गुरु को कष्ट देने की जरूरत क्या है?" येसु ने उनकी बात सुन कर सभागृह के अधिकारी से कहा, "डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए"। येसु ने पेत्रुस, याकूब और याकूब के भाई योहन के सिवा और किसी को भी अपने साथ नहीं आने दिया। जब वे सभागृह के अधिकारी के यहाँ पहुँचे, तो येसु ने देखा कि कोलाहल मचा हुआ है और लोग विलाप कर रहे हैं। उन्होंने भीतर जा कर लोगों से कहा, "यह कोलाहल, यह विलाप क्यों? लड़की मरी नहीं है, सो रही है।" इस पर वे उनकी हँसी उड़ाने लगे। येसु ने सब को बाहर कर दिया और लड़की के माता-पिता और अपने साथियों के साथ उस जगह आये, जहाँ लड़की पड़ी हुई थी। उन्होंने लड़की का हाथ पकड़ कर उस से कहा, "तालिथा कुम"; इसका अर्थ है – ओ लड़की ! मैं तुम से कहता हूँ : उठो। लड़की उसी क्षण उठ खड़ी हुई और चलने-फिरने लगी, क्योंकि वह बारह बरस की थी। लोग बड़े अचम्भे में पड़ गये। येसु ने उन्हें बहुत समझा कर आदेश दिया कि यह बात कोई न जानने पाये और कहा कि लड़की को कुछ खाने को दो।

प्रभु का सुसमाचार।