वर्ष का तेरहवाँ सप्ताह, इतवार – वर्ष C

पहला पाठ

ईश्वर ने कितने ही लोगों को बुलाया और उन्हें भाइयों की सेवा में अपना जीवन-अर्पित करने के लिए प्रेरित किया। बुलाये जाने पर मनुष्य को एलीयस की तरह अपना सांसारिक व्यवसाय छोड़ देना चाहिए। यहाँ एलीसय के बुलावे का वर्णन सुनाया जाता है।

राजाओं का पहला ग्रंथ 19:16,19-21

"एलीसय उठ कर एलियस के पीछे हो लिया।"

प्रभु ने एलियस से कहा, "जाओ और आवेल-महोला के निवासी, शाफाट के पुत्र एलीसय का अभिषेक करो, जिससे वह तुम्हारे स्थान पर नबी हो"। एलियस वहाँ से चला गया और उसने शाफाट के पुत्र एलीसय के पास पहुँच कर उसे हल जोतते हुए पाया। उसने बारह जोड़ी बैल लगा रखे थे और वह स्वयं बारहवीं जोड़ी चला रहा था। एलियस ने उसकी बगल से गुजर कर उस पर अपनी चादर डाल दी। एलीसय ने अपने बैल छोड़ कर एलियस के पीछे दौड़ते हुए कहा, "मुझे पहले अपने माता-पिता का चुम्बन करने दीजिए, तब मैं आप के साथ चलूँगा"। एलियस ने उत्तर दिया, "जाओ, लौटो। तुम जानते ही हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है"। इस पर एलीसय लौटा। उसने एक जोड़ी बैल मारा, हल की लकड़ी जला कर उनका मांस पकाया और मज़दूरों को खिलाया। मज़दूरों के खाने के बाद एलीसय उठ खड़ा हुआ और एलियस का नौकर बन कर उसके पीछे हो लिया।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 15:1-2,5,7-11

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू मेरा सर्वस्व है।

1. हे प्रभु ! तुझ पर ही भरोसा है। तू मेरी रक्षा कर। मैं प्रभु से कहता हूँ, "तू ही मेरा ईश्वर है"। हे प्रभु ! तू मेरा सर्वस्व और मेरा भाग्य है। तेरे ही हाथों में मेरा जीवन है।

2. मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहूँगा। मेरा अंतःकरण रात को भी मुझे मार्ग दिखाता है। प्रभु सदा मेरी आँखों के सामने रहता है। वह मेरे दाहिने विद्यमान है, इसलिए मैं दृढ़ बना रहता हूँ।

3. मेरा हृदय आनन्दित है, मेरी आत्मा प्रफुल्लित है और मेरा शरीर भी सुरक्षित होगा, क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ेगा, तू अपने भक्त को कब्र में गलने नहीं देगा।

4. तू मुझे जीवन का मार्ग दिखायेगा। तेरे पास रह कर परिपूर्ण आनन्द प्राप्त होता है, तेरे दाहिने सदा के लिए सुख-शांति है।

दूसरा पाठ

पाप हमें गुलाम बना देता है। हमें पाप से बच कर भ्रातृप्रेम के कार्यों में लग जाना चाहिए। तभी हम आत्मा की प्रेरणा के अनुसार चलेंगे और सच्ची स्वतंत्रता को अनुभव करेंगे।

गलातियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5:1,13-18

"आप लोग स्वतंत्र होने के लिए बुलाये गये हैं।"

मसीह ने स्वतंत्र बने रहने के लिए ही हमें स्वतंत्र बना दिया है, इसलिए आप लोग दृढ़ रहें और फिर दासता के जूए में न जुत जायें। भाइयो ! आप लोग स्वतंत्र होने के लिए बुलाये गये हैं। आप सावधान रहें, नहीं तो यह स्वतंत्रता भोग-विलास का कारण बन जायेगी। आप लोग प्रेम से एक दूसरे की सेवा करें, क्योंकि एक ही आज्ञा में समस्त संहिता निहित है, और वह यह है – अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। यदि आप लोग एक दूसरे को काटने और फाड़ डालने की चेष्टा करेंगे, तो सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप एक दूसरे का सर्वनाश कर दें। मैं यह कहना चाहता हूँ आप लोग आत्मा की प्रेरणा के अनुसार चलेंगे, तो शरीर की वासनाओं को पूरा नहीं करेंगे। शरीर तो आत्मा के विरुद्ध इच्छा करता है, और आत्मा शरीर के विरुद्ध। ये दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए आप जो चाहते हैं, वही नहीं कर पाते हैं। यदि आप आत्मा की प्रेरणा के अनुसार चलते हैं तो संहिता के अधीन नहीं हैं।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! बोल, तेरा दास सुन रहा है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए मनुष्य को पूर्ण रूप से स्वतन्त्र होना चाहिए। जिसे धन-सम्पत्ति का मोह है, जो अपने सम्बन्धियों की सेवा करना चाहे अथवा जिसका स्वभाव दृढ़ नहीं है, वह सुसमाचार के प्रचार के योग्य नहीं होता।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:51-62

“येसु ने येरुसालेम जाने का निश्चय किया। आप जहाँ कहीं जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा।"

अपने स्वर्गारोहण का समय निकट आने पर येसु ने येरुसालेम जाने का निश्चय किया और संदेश देने वालों को अपने आगे भेजा वे चले गये और उन्होंने येसु के रहने का प्रबंध करने के लिए समारियों के एक गाँव में प्रवेश किया। लोगों ने येसु का स्वागत करने से इनकार किया, क्योंकि वह येरुसालेम जा रहे थे। उनके शिष्य याकूब और योहन यह सुन कर बोल उठे, “प्रभु ! आप चाहें, तो हम यह कह दें कि आकाश से आग बरसे और उन्हें भस्म कर दे"। पर येसु ने मुड़ कर उन्हें डाँटा और वे दूसरी बस्ती चले गये। येसु अपने शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे। कि रास्ते में ही किसी ने उन से कहा, "आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा"। येसु ने उसे उत्तर दिया, "लोमड़ियों की अपनी मांदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी अपनी जगह नहीं है"। उन्होंने किसी दूसरे से कहा, "मेरे पीछे चले आओ"। परन्तु उसने उत्तर दिया, "प्रभु ! मुझे पहले अपने पिता को दफ़नाने के लिए जाने दीजिए"। येसु ने उस से कहा, "मुरदों को अपने मुरदे दफ़नाने दो; तुम जा कर ईश्वर के राज्य का प्रचार करो"। फिर कोई दूसरा बोला, "प्रभु ! मैं आपका अनुसरण करूँगा, परन्तु मुझे अपने घर वालों से विदा लेने दीजिए"। येसु ने उस से कहा, "हल की मूठ पकड़ने के बाद जो मुड़ कर पीछे देखता है, वह ईश्वर के राज्य के योग्य नहीं।

प्रभु का सुसमाचार।