वर्ष का चौदहवाँ सप्ताह, इतवार – वर्ष B

पहला पाठ

ईश्वर अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए मनुष्यों की सहायता लेता है। इस्राएलियों ने ईश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया था। यहाँ ईश्वर द्वारा एज़ेकिएल के बुलाये जाने तथा विद्रोही इस्राएलियों के पास भेजे जाने का प्रसंग है।

नबी एज़ेकिएल का ग्रंथ 2:2-5

"वे जान जायेंगे कि उनके बीच एक नबी प्रकट हुआ है।"

आत्मा ने मुझ में प्रवेश कर मुझे पैरों पर खड़ा कर दिया और मैंने उसे मुझ से यह कहते सुना। उसने मुझ से कहा, "मनुष्य के पुत्र ! मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूँ, उस विद्रोही राष्ट्र के पास जो मेरे विरुद्ध उठ खड़ा है। वे और उनके पुरखे आज मेरे विरुद्ध विद्रोह करते चले आ रहे हैं। उनके पुत्र हठी हैं और उनका हृदय कठोर है: मैं तुम्हें उनके पास यह कहने भेज रहा हूँ; प्रभु-ईश्वर यह कहता है। चाहे वे सुनें या सुनने से इनकार करें क्योंकि वे विद्रोही हैं- किन्तु वे जान जायेंगे कि उनके बीच एक नबी प्रकट हुआ है।"

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 122

अनुवाक्य : हमारी आँखें तब तक प्रभु पर टिकी हुई हैं जब तक वह हम पर दया न करे।

1. जिस तरह दास की आँखें स्वामी के हाथ पर टिकी रहती हैं, उसी तरह हमारी आँखे तुझ पर टिकी हुई हैं, तुझ पर, जो स्वर्ग में निवास करता है।

2. जिस तरह दासी की आँखें स्वामिनी के हाथ पर टिकी रहती हैं, उसी तरह हमारी आँखें तब तक अपने प्रभु-ईश्वर पर टिकी हुई हैं, जब तक वह हम पर दया न करे।

3. हम पर दया कर, हे प्रभु! हम पर दया कर। हम तिरस्कार सहते-सहते तंग आ गये हैं। हमारी आत्मा धनियों के उपहास और घमण्डियों के तिरस्कार से तंग आ गयी है।

दूसरा पाठ

मनुष्य महान् भी है और दुर्बल भी। उसे ईश्वर के कृपादानों पर घमण्ड नहीं, बल्कि गौरव करना चाहिए। सन्त पौलुस यह बात बहुत अच्छी तरह समझते हैं। वह अपनी कमजोरियों पर गौरव करते हैं, क्योंकि उनके द्वारा मसीह का सामर्थ्य प्रकट होता है।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 12:7-10

"मैं अपने कमजोरियों पर गौरव करूँगा ताकि मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे।"

मुझ पर बहुत-सी असाधारण बातों का रहस्य प्रकट किया गया है। मैं इस पर घमण्ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक काँटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है। ताकि वह मुझे घूँसे मारता रहे और मैं घमण्ड न करूँ। मैंने तीन बार प्रभु से विनती की है कि यह मुझ से दूर हो जाये, किन्तु प्रभु ने कहा 'मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि तुम्हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता है'। इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी कमजोरियों पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे। मैं मसीह के कारण अपनी कमजोरियों पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गौरव करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान् हूँ।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता, हमारे मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे, जिससे हम देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान् है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु गलीलिया में ईश्वर के राज्य का प्रचार करते हुए अपने गाँव नाज़रेत आये। दूसरे स्थानों पर उन्होंने बहुत-से चमत्कार दिखाये थे, किन्तु उनके अपने गाँव वालों ने उन में विश्वास नहीं किया। इसलिए येसु ने नाज़रेत में चमत्कार नहीं दिखाये।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:1-6

"अपने नगर में नबी का आदर नहीं होता।"

येसु अपने शिष्यों के साथ अपने नगर आये। जब विश्राम-दिवस आया, तो वह सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत-से लोग सुन रहे थे और अचम्भे में पड़ कर कहते थे, "यह सब इसे कहाँ से मिला? यह कौन-सा ज्ञान है, जो इसे दिया गया है? जो महान् चमत्कार यह दिखाता है, ये क्या हैं? क्या यह वही बढ़ई नहीं है- मरियम का बेटा, याकूब, यूसुफ, यूदा और सिमोन का भाई? क्या इसकी बहनें हमारे ही बीच नहीं रहतीं?" और वे येसु में विश्वास नहीं कर सके। येसु ने उन से कहा, "अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता"। वह वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके। उन्होंने केवल थोड़े-से रोगियों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा कर दिया। उन लोगों के अविश्वास पर येसु को बड़ा आश्चर्य हुआ।

प्रभु का सुसमाचार।