वर्ष का पन्द्रहवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

ईश्वर ने यहूदियों को जो नियम दिये थे, वे मनमाने नियमं नहीं थे। वे नियम मानव समाज की शांतिपूर्ण व्यवस्था के लिए अनिवार्य थे। वास्तव में वे नियम हर मनुष्य के हृदय पर अंकित है और सभी मनुष्यों पर लागू हैं।

विधि-विवरण ग्रंथ 30:10-14

"वचन तुम्हारे पास ही है, जिससे तुम उसका पालन करो।"

मूसा ने लोगों से कहा, "तुम अपने प्रभु-ईश्वर की बात मानो, इस संहिता के ग्रंथ में लिखी हुई उसकी आज्ञाओं और नियमों का पालन करो और सारे हृदय तथा सारी आत्मा से प्रभु-ईश्वर के पास लौट जाओ। क्योंकि मैं तुम लोगों को आज जो संहिता दे रहा हूँ, वह न तो तुम्हारी शक्ति के बाहर है और न तुम्हारी पहुँच के परे। यह स्वर्ग में नहीं है, जो तुम को कहना पड़े - कौन हमारे लिए स्वर्ग जा कर उसे हमारे पास लायेगा, जिससे हम उसे सुन कर उसका पालन करें? और यह समुद्र के उस पार नहीं है जो तुम को कहना पड़े कौन हमारे लिए समुद्र पार कर उसे हमारे पास लायेगा, जिससे हम उसे सुन कर उसका पालन करें? नहीं, वचन तो तुम्हारे पास ही है, वह तुम्हारे मुख और तुम्हारे हृदय में है जिससे तुम उसका पालन करो"।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 68:14,17,30-31,33-34,36-37

अनुवाक्य : प्रभु के भक्तों में नवजीवन का संचार होगा।

1. हे प्रभु ! यही उपयुक्त समय है; मैं तुझ से प्रार्थना करता हूँ। हे ईश्वर ! तू दयालू और सत्यप्रतिज्ञ है, तू मेरी सुनने की कृपा कर। हे प्रभु ! मुझे बचाने की कृपा कर। तू दयासागर है ! मुझ पर दयादृष्टि करं

2. हे ईश्वर ! मैं निस्सहाय और दुःखी हूँ। तेरी कृपा मुझे ऊपर उठाये। मैं गाते हुए ईश्वर की स्तुति करूँगा। मैं धन्यवाद देते हुए उसका गुणगान करूँगा।

3. दीन-हीन यह देख कर आनन्दित हो उठेंगे, प्रभु-भक्तों में नवजीवन का संचार होगा; क्योंकि प्रभु दरिद्रों की पुकार सुनता है, वह अपनी पराधीन प्रजा का तिरस्कार नहीं करता।

4. ईश्वर सियोन का उद्धार करेगा और यहूदा के नगरों का पुनर्निर्माण करेगा। उसके सेवकों के उत्तराधिकारी वहाँ बस जायेंगे, प्रभु के भक्त वहाँ निवास करेंगे।

दूसरा पाठ

मसीह ने सब मनुष्यों के पापों के लिए प्रायश्चित्त किया। उन्होंने सब मनुष्यों को इकट्ठा कर लिया तथा मानव जाति का ईश्वर से मेल कराया। इसलिए ईश्वर ने मसीह को महिमान्वित किया और उन्हें समस्त मानव जाति का शीर्ष बनाया है।

कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:15-20

"सब कुछ मसीह के द्वारा और उनके लिए सृष्ट किया गया है।"

येसु मसीह अदृश्य ईश्वर के प्रतिरूप तथा समस्त सृष्टि के पहलौठे हैं क्योंकि उन्हीं के द्वारा सब कुछ की सृष्टि हुई है। सब कुछ – चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर, चाहे दृश्य हो या अदृश्य, और सवर्गदूत की श्रेणियाँ भी सब कुछ उनके द्वारा और उनके लिए सृष्ट किया गया है। वह समस्त सृष्टि के पहले से विद्यमान हैं। और समस्त सृष्टि उन्हीं में बनी हुई है। वही शरीर के अर्थात् कलीसिया के शीर्ष हैं। वही मूल कारण हैं और मृतकों में से प्रथम जी उठने वाले भी, इसलिए वह सभी बातों में सर्वश्रेष्ठ हैं। ईश्वर ने चाहा कि उन में सब प्रकार की परिपूर्णता हो। मसीह ने क्रूस पर जो रक्त बहाया है, उसके द्वारा ईश्वर ने शांति को स्थापित किया। इस तरह ईश्वर ने उन्हीं के द्वारा सब कुछ का, चाहे वह पृथ्वी पर हो या स्वर्ग में, अपने से मेल कराया है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। जितनों ने उसे अपनाया, उन सबों को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

यहूदी ईश्वर की यह आज्ञा जानते थे - "अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो"। किन्तु वे पड़ोसी को यहूदी भाई अथवा यहूदी धर्म में नवदीक्षित व्यक्ति मान कर इस आज्ञा की संकीर्ण व्याख्या करते थे। येसु की व्याख्या के अनुसार सभी मनुष्य एक दूसरे के भाई हैं। यद्यपि यहूदियों तथा समारियों में पुराना बैर था, फिर भी यहाँ यहूदी को समारी का पड़ोसी माना गया है।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:25-37

"मेरा पड़ोसी कौन है?"

किसी दिन एक शास्त्री आ कर इस प्रकार येसु की परीक्षा करने लगा, "गुरुवर ! अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिए मुझे क्या करना चाहिए!" येसु ने उस से कहा, "संहिता में क्या लिखा है? तुम उस में क्या पढ़ते हो?" उसने उत्तर दिया, "अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो"। येसु ने उस से कहा, "तुमने ठीक उत्तर दिया। यही करो और तुम जीवन प्राप्त करोगे"। इस पर उसने अपने प्रश्न की सार्थकता दिखलाने के लिए येसु से कहा, "लेकिन मेरा पड़ोसी कौन है?" येसु ने उसे उत्तर दिया, "एक मनुष्य येरुसालेम से येरिको जा रहा था और वह डाकुओं के हाथों पड़ गया। उन्होंने उसे लूट लिया, घायल किया और अधमरा छोड़ कर चले गये। संयोग से एक याजक उसी राह से जा रहा था। और उसे देख कर कतरा कर चला गया। इसी प्रकार एक लेवी वहाँ आया और उसे देख कर वह भी कतरा कर चला गया। इसके बाद एक समारी वहाँ आ गया और उसे देख कर उसको तरस हो आया। वह उसके पास गया और उसने उसके घावों पर तेल और अंगूरी डाल कर पट्टी बाँध दी। तब वह उसे अपनी ही सवारी पर बैठा कर एक सराय ले गया और उसने उसकी सेवा-शुश्रूषा की। दूसरे दिन उसने दो दीनार निकाल कर मालिक को दिये और उससे कहा, 'आप इसकी सेवा-शुश्रूषा करें। यदि कुछ और खर्च हो जाये, तो मैं लौटते समय आप को चुका दूँगा'। तुम्हारी राय में उन तीनों में से कौन डाकुओं के हाथों पड़े उस मनुष्य का पड़ोसी निकला?" उसने उत्तर दिया, "वही, जिसने उस पर दया की"। येसु बोले, "जाओ, तुम भी ऐसा ही करो"।

प्रभु का सुसमाचार।