वर्ष का सोलहवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष C

पहला पाठ

इब्राहीम ने किसी दिन अपने तम्बू के सामने तीन पुरुषों को देखा। वे ईश्वर तथा दो स्वर्गदूत थे। इब्राहीम ने उन्हें नहीं पहचाना, किन्तु उन्होंने उनका आतिथ्य सत्कार किया। विदा होते समय ईश्वर ने इब्राहीम को आश्वासन दिया कि एक वर्ष के भीतर उनकी पत्नी को एक पुत्र होगा।

उत्पत्ति-ग्रंथ 18:1-10

"हे प्रभु ! आप अपने सेवक को छोड़ कर न चले जायें।"

इब्राहीम मामरे के बलूत के पास दिन की तेज गरमी के समय अपने तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था कि प्रभु उसे दिखाई दिया। इब्राहीम ने आँख उठा कर देखा कि तीन पुरुष उसके सामने खड़े हैं। उन्हें देखते ही वह तम्बू के द्वार से उन से मिलने के लिए दौड़ा और दण्डवत् कर बोला, "हे प्रभु ! यदि मुझ पर आपकी कृपा हो, तो अपने सेवक के सामने से यों ही न चले जायें। आप आज्ञा दें, तो मैं पानी मँगवाता हूँ। आप पैर धो कर वृक्ष के नीचे विश्राम करें। इतने में मैं रोटी लाऊँगा। आप जलपान करने के बाद ही आगे बढ़ें। आप तो इसीलिए अपने सेवक के यहाँ आये हैं"। उन्होंने उत्तर दिया, "तुम जैसा कहते हो, वैसा ही करो"। इब्राहीम ने तम्बू के भीतर दौड़ कर सारा से कहा, "जल्दी से तीन पसेरी मैदा गूंध कर फुलके तैयार करो"। तब इब्राहीम ने ढोरों के पास दौड़ कर एक अच्छा मोटा बछड़ा लिया और नौकर को दिया, जो उसे जल्दी से पकाने गया। बाद में इब्राहीम ने दही, दूध और पकाया हुआ बछड़ा ले कर उनके सामने रख दिया और जब तक वे खाते रहे, वह वृक्ष के नीचे खड़ा रहा। उन्होंने इब्राहीम से पूछा, "तुम्हारी पत्नी सारा कहाँ है?" उसने उत्तर दिया, "वह तम्बू के अन्दर है"। इस पर अतिथि ने कहा, "मैं एक वर्ष के बाद फिर तुम्हारे पास आऊँगा। उस समय तक तुम्हारी पत्नी के एक पुत्र होगा"।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 14:2-5

अनुवाक्य : हे प्रभु ! कौन तेरे शिविर में प्रवेश करेगा?

1. हे प्रभु ! कौन तेरे पवित्र पर्वत पर निवास कर पायेगा? जिसका आचरण निर्दोष है, जो सदा सत्कार्य करता है, जो हृदय से सत्य बोलता है, और चुगली नहीं खाता।

2. जो अपने भाई को नहीं ठगता और अपने पड़ोसी की निन्दा नहीं करता, जो विधर्मी को तुच्छ समझता और प्रभु-भक्तों का आदर करता है।

3. जो उधार दे कर ब्याज नहीं माँगता और निर्दोष के विरुद्ध घूस नहीं लेता – जो ऐसा आचरण करता है, वह कभी भी विचलित नहीं होता।

दूसरा पाठ

प्रारम्भ से ही सुसमाचार का प्रचार करने वालों पर अत्याचार किया गया। सन्त पौलुस को इस बात पर गौरव था कि वह मसीह के दुःखभोग के भागी बन गये। यदि हमें सुसमाचार के कारण दुःख भोगना पड़ता है, तो हमें दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि जो मसीह के साथ कष्ट पाते हैं, वे उनके साथ महिमान्वित किये जायेंगे।

कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:24-28

"जो रहस्य शताब्दियों तक गुप्त रहा, वह अब ईश्वर के सन्तों के लिए प्रकट किया गया है।"

इस समय मैं आप लोगों के लिए जो कष्ट पाता हूँ, इसके कारण मैं प्रसन्न हूँ। मसीह ने अपने शरीर अर्थात् कलीसिया के लिए जो दुःख भोगा है, उस में जो कमी रह गयी है, मैं उसे अपने शरीर में पूरा करता हूँ। मैं ईश्वर के विधान के अनुसार कलीसिया का सेवक बन गया हूँ। ताकि मैं आप लोगों को ईश्वर का वह संदेश, वह रहस्य सुनाऊँ जो युगों तथा पीढ़ियों तक गुप्त रहा और अब उसके सन्तों के लिए प्रकट किया गया है। ईश्वर ने उन्हें दिखलाना चाहा कि गैर-यहूदियों में इस रहस्य की कितनी महिमामय समृद्धि है। वह रहस्य यह है कि मसीह आप लोगों के बीच हैं और उन में आप लोगों की महिमा की आशा है। हम उन्हीं मसीह का प्रचार करते हैं, प्रत्येक मनुष्य को उपदेश देते और प्रत्येक मनुष्य को पूर्ण ज्ञान की शिक्षा देते हैं, जिससे प्रत्येक मनुष्य को मसीह के शरीर का पूर्ण अंग बना दें।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

येसु मसीह मरथा को समझाते हैं कि वह सेवा-सत्कार के विषय में चिन्ता न करें। मसीह की इच्छा यह है कि हम ध्यानपूर्वक उनकी शिक्षा सुन लें और उस पर चल कर अनन्त जीवन प्राप्त करें।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10:38-42

"मरथा नामक महिला ने अपने यहाँ येसु का स्वागत किया। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन लिया।"

येसु यात्रा करते-करते एक गाँव आये और मरथा नामक महिला ने अपने यहाँ उनका स्वागत किया। उसके मरिया नामक एक बहन थी, जो प्रभु के चरणों में बैठ कर उनकी शिक्षा सुनती रही। परन्तु मरथा सेवा-सत्कार के अनेक कार्यों में व्यस्त थी। उसने पास आ कर कहा, "प्रभु ! क्या आप यह ठीक समझते हैं कि मेरी बहन ने सेवा-सत्कार का पूरा भार मुझ पर ही छोड़ दिया है? उस से कहिए कि वह मेरी सहायता करें"। प्रभु ने उत्तर दिया, "मरथा ! मरथा ! तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिन्तित और व्यस्त हो; फिर भी एक ही बात आवश्यक है। मरिया ने सब से उत्तम भाग चुन लिया है; वह उस से नहीं लिया जायेगा"।

प्रभु का सुसमाचार।