गिबओन में प्रभु रात को सुलेमान को स्वप्न में दिखाई दिया। ईश्वर ने कहा, "बताओ, मैं तुम को क्या दे दूँ?” सुलेमान ने उत्तर दिया, "हे प्रभु! हे मेरे ईश्वर ! तूने अपने सेवक को उसके पिता दाऊद के स्थान पर राजा बनाया। लेकिन मैं अभी छोटा हूँ, मैं यह नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं यहाँ तेरी चुनी हुई प्रजा के बीच हूँ। यह राष्ट्र इतना महान् है कि उसके निवासियों की गिनती नहीं हो सकती। अपने इस दास को विवेक देने की कृपा कर, जिससे वह न्यापूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला तथा बुरा पहचान सके। नहीं तो, कौन तेरी इस असंख्य प्रजा का शासन कर सकता है?" सुलेमान का यह निवेदन प्रभु को अच्छा लगा। प्रभु ने उन से कहा, "तुमने मुझ से यह माँगा। तुमने अपने लिए न तो लम्बी आयु माँगी, न धन-सम्पत्ति और न अपने शत्रुओं का विनाश। तुमने न्याय करने का विवेक माँगा है। इसलिए मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा। मैं तुम को ऐसी बुद्धि और ऐसा विवेक प्रदान करता हूँ कि तुम्हारे समान न तो पहले कभी कोई था और न बाद में कभी कोई होगा"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! तेरी संहिता मुझे कितनी प्रिय है !
1. हे प्रभु ! तू मेरा सर्वस्व है ! मैंने तेरी आज्ञाओं का पालन करने का निश्चय किया है। संसार की सोना-चाँदी की अपेक्षा मुझे तेरी संहिता कहीं अधिक वांछनीय है।
2. तेरा प्रेम मुझे सान्त्वना देता रहे। जैसा कि तूने अपने सेवक से प्रतिज्ञा की है। मुझे तेरा प्रेम मिल जाये और मैं जीवित रहूँगा, क्योंकि तेरी संहिता मुझे परमप्रिय है।
3. मैं तेरी आज्ञाओं को परिष्कृत सोने से भी अधिक चाहता हूँ। मैं तेरी आज्ञाओं को परिष्कृत सोने से भी अधिक चाहता हूँ।
4. तेरी आज्ञाएँ अपूर्व हैं, इसलिए मैं उनका पालन करता हूँ। तेरी वाणी की व्याख्या ज्योति प्रदान करती है। वह अशिक्षितों की भी समझ में आती है।
हम जानते हैं कि जो लोग ईश्वर को प्यार करते हैं और उसके विधान के अनुसार बुलाये गये हैं, ईश्वर उनके कल्याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है। क्योंकि ईश्वर ने निश्चित किया कि जिन्हें उसने पहले से अपना समझ लिया है, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायें, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाइयों का पहलौठा हो। उसने जिन्हें पहले से निश्चित किया, उन्हें बुलाया भी; जिन्हें बुलाया, उन्हें पाप से मुक्त भी किया और जिन्हें पाप से मुक्त किया उन्हें महिमान्वित भी किया।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है; क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है। अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए खजाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता है और सब कुछ बेच कर उस खेत को खरीद लेता है। "फिर, स्वर्ग का राज्य उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृश है। एक बहुमूल्य मोती मिल जाने पर वह जाता है और अपना सब कुछ बेच कर मोती को मोल ले लेता है।
["फिर, स्वर्ग का राज्य समुद्र में डाले हुए जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है। जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे खींच लेते हैं; तब वे बैठ कर अच्छी मछलियाँ चुन-चुन कर बरतनों में जमा करते हैं और रद्दी मछलियाँ फेंक देते हैं। संसार के अंत में ऐसा ही होगा; स्वर्गदूत जा कर धर्मियों में से दुष्टों को अलग करेंगे और उन्हें आग के कुण्ड में झोंक देंगे। वहाँ वे रायेंगे और दाँत पीसते रहेंगे। "क्या तुम लोग ये सब बातें समझ गये हो?" शिष्यों ने उत्तर दिया, 'जी हाँ"। येसु ने उन से कहा, "प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने खज़ाने में से नयी और पुरानी चीजें निकालता है"।]प्रभु का सुसमाचार।