एक मनुष्य बाल-शालिशा से आया और उसने ईश्वर-भक्त को प्रथम फल के रूप में जौ की बीस रोटियाँ और नये अनाज का बोरा दिया। तब एलिसेयुस ने कहा, "लोगों को खाने के लिए दे दो", किन्तु उसके नौकर ने कहा, "मैं इतने को ही एक सौ लोगों में कैसे बाँट सकता हूँ? उसने उत्तर दिया, "लोगों को खाने के लिए दो, क्योंकि प्रभु ने यह कहा है - वे खायेंगे और उस में से कुछ रह भी जायेगा"। उसने लोगों को खिलाया। उन्होंने खा लिया और जैसा कि प्रभु ने कहा था, उस में से कुछ रह भी गया।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू खुले हाथों दान दे कर हम को तृप्त करता है।
1. हे प्रभु ! तेरी सारी सृष्टि तेरा धन्यवाद करे; तेरे भक्त तुझे धन्य कहें। वे तेरे राज्य की महिमा गायें और तेरे सामर्थ्य का बखान करें।
2. सब तेरी ओर देखते और तुझ पर भरोसा रखते हैं। तू समय पर उन्हें भोजन प्रदान करता है। तू खुले हाथों दान देता, और हर प्राणी को तृप्त करता है।
3. प्रभु जो कुछ करता है, अच्छा ही करता है। वह जो कुछ करता है, प्रेम से करता है, वह उन सबों के निकट है, जो उसका नाम लेते हैं, जो सच्चे हृदय से उस से विनती करते हैं।
ईश्वर ने आप लोगों को बुलाया है। आप अपने इस बुलावे के अनुसार आचरण करें यह आप लोगों से मेरा अनुरोध है, जो प्रभु के कारण कैदी हूँ। आप पूर्ण रूप से विनम्र, सौम्य तथा सहनशील बन जायें, प्रेम से एक दूसरे को सहन करें और शांति के सूत्र में बँध कर उस एकता को, जिसे पवित्र आत्मा प्रदान करता है, बनाये रखने की चेष्टा करते रहें। एक ही शरीर है, एक ही आत्मा और एक ही आशा, जिसके लिए आप लोग बुलाये गये हैं। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास और एक ही बपतिस्मा, एक ही ईश्वर, सबों का पिता, जो सब के ऊपर है, सब के साथ और सब में व्याप्त।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! धन्य हैं वह राजा, जो प्रभु के नाम पर आते हैं! स्वर्ग में शांति। सर्वोच्च स्वर्ग में महिमा। अल्लेलूया !
येसु गलीलिया अर्थात् तिबेरियस के समुद्र के उस पार चले गये । एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया, क्योंकि लोगों ने उन चमत्कारों को देखा था, जिन्हें येसु बीमारों के लिए करते थे । येसु पहाड़ी पर चढ़े और वहाँ अपने शिष्यों के साथ बैठ गये। यहूदियों का पास्का पर्व निकट था। येसु ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और देखा कि एक विशाल जनसमूह उनकी ओर आ रहा है और उन्होंने फ़िलिप से यह कहा, "हम इन्हें खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ ख़रीदें ?" उन्होंने फ़िलिप की परीक्षा लेने के लिए यह कहा। वह तो जानते ही थे कि वह क्या करेंगे। फ़िलिप ने उन्हें उत्तर दिया, "दो सौ दीनार की रोटियाँ भी इतनी नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल सके।" उनके शिष्यों में से एक, सिमोन पेत्रुस के भाई अंद्रेयस ने कहा, "यहाँ एक लड़के के पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं, पर यह इतने लोगों के लिए क्या है?" येसु ने कहा, "लोगों को बैठा दो"। उस जगह बहुत घास थी। लोग बैठ गये। पुरुषों की संख्या लगभग पाँच हजार थी। येसु ने रोटियाँ ले लीं, धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और बैठे हुए लोगों में उन्हें उनकी इच्छा भर बँटवाया। उन्होंने मछलियाँ भी इसी तरह बँटवायीं। जब लोग खा कर तृप्त हो गये, तो येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो, जिससे कुछ भी बरबाद न होने पाये"। इसलिए शिष्यों ने उन्हें बटोर लिया और उन टुकड़ों से बारह टोकरे भरे जो लोगों के खाने के बाद जौ की पाँच रोटियों से बच गये थे। लोग येसु का यह चमत्कार देख कर बोल उठे, "निश्चय ही यह वह नबी है, जो संसार में आने वाले हैं"। येसु समझ गये कि वे आ कर मुझे राजा बनाने के लिए पकड़ ले जायेंगे, इसलिए वह फिर अकेले ही पहाड़ी पर चले गये।
प्रभु का सुसमाचार।