प्रभु ने कहा, “सोदोम और गोमोरा के विरुद्ध बहुत ऊँची आवाज उठ रही है और उनका पाप बहुत भारी हो गया है। मैं उतर कर देखना और जानना चाहता हूँ कि मेरे पास जैसी आवाज पहुँची है, उन्होंने वैसा किया अथवा नहीं"। वे दो पुरुष वहाँ से विदा हो कर सोदोम की ओर चले गये। प्रभु इब्राहीम के साथ रह गया और इब्राहीम ने उसके निकट आ कर कहा, "क्या तू सचमुच पापियों के साथ-साथ धर्मियों को भी नष्ट करेगा? नगर में शायद पचास धर्मी हैं। क्या तू उन्हें सचमुच नष्ट करेगा? क्या तू उन पचास धर्मियों के कारण, जो नगर में बसते हैं; उसे नहीं बचायेगा? क्या तू पापी के साथ-साथ धर्मी को मार सकता है? क्या तू धर्मी तथा पापी, दोनों के साथ एक-सा व्यवहार कर सकता है? तू यह कैसा कर सकता है? क्या समस्त पृथ्वी का न्यायकर्त्ता अन्याय कर सकता है?" प्रभु ने उत्तर दिया, "यदि मुझे नगर में पचास धर्मी भी मिलें, तो मैं उनके लिए पूरा नगर बचाये रखूँगा।" इस पर इब्राहीम ने कहा, "मैं तो मिट्टी और राख हूँ; फिर भी क्या मैं अपने प्रभु से कुछ कह सकता हूँ? हो सकता है कि पचास में पाँच कम हों। क्या तू पाँच की कमी के कारण नगर नष्ट करेगा?" उसने उत्तर दिया, "यदि मुझे नगर में पैंतालीस धर्मी भी मिलें, तो मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा"। इब्राहीम ने फिर उस से कहा, "हो सकता है वहाँ केवल चालीस मिलें"। प्रभु ने उत्तर दिया "चालीस के लिए मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा"। तब इब्राहीम ने कहा, मेरा प्रभु क्रोध न करे और मुझे बोलने दे। हो सकता है कि वहाँ केवल तीस मिलें"। उसने उत्तर दिया, "यदि मुझे वहाँ तीस भी मिलें, तो मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा"। इब्राहीम ने कहा, "तू मेरी धृष्टता क्षमा कर हो सकता है कि केवल बीस मिलें" और उसने उत्तर दिया, "बीस के लिए मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा"। इब्राहीम ने कहा, "मेरा प्रभु बुरा न मानें, तो मैं एक बार और निवेदन करूँगा – हो सकता है कि केवल दस मिल जायें" और उसने उत्तर दिया, "दस के लिए भी मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! जिस दिन मैंने तुझे पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुनी।
1. हे प्रभु ! मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद देता हूँ; क्योंकि तूने मेरी सुनी है। मैं स्वर्ग दूतों के सामने तेरा गुणगान करूँगा और तेरे पवित्र मंदिर को दण्डवत् करूँगा।
2. तेरे अपूर्व प्रेम और सत्यप्रतिज्ञता के कारण मैं तुझे धन्यवाद देता रहूँगा। जिस दिन मैंने तुझे पुकारा, उसी दिन तूने मेरी सुनी और मुझे आत्मबल प्रदान किया।
3. प्रभु महान् है। वह दीनों पर दयादृष्टि करता और घमण्डियों से मुँह फेर लेता है। तू विपत्ति में मेरी रक्षा करता और मेरे शत्रुओं को निराश कर देता है।
4. तूने हाथ बढ़ा कर मुझे बचा लिया है। तेरा दाहिना हाथ मेरी रक्षा करता रहता है। हे प्रभु ! तेरा प्रेम चिरस्थायी है। अपनी सृष्टि को सुरक्षित रखने की कृपा कर।
आप लोग बपतिस्मा के समय मसीह के साथ दफ़नाये गये और उन्हीं के साथ पुनर्जीवित भी किये गये हैं, क्योंकि आप लोगों ने ईश्वर के सामर्थ्य में विश्वास किया जिसने उन्हें मृतकों में से पुनर्जीवित किया है। आप लोग पापों के कारण और अपने शरीर के ख़तने के अभाव के कारण मर गये थे। ईश्वर ने आप लोगों को मसीह के साथ पुनर्जीवित किया है और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया है। उसने नियमों का वह बन्धपत्र, जो हमारे विरुद्ध था, रद्द कर दिया और उसे क्रूस पर ठोंक कर उठा दिया है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।" अल्लेलूया !
एक दिन येसु किसी स्थान पर प्रार्थना कर रहे थे। प्रार्थना समाप्त होने पर उनके एक शिष्य ने उन से कहा, "हे प्रभु ! हमें प्रार्थना करना सिखाइए, जैसे योहन ने भी अपने शिष्यों को सिखाया"। येसु ने उन से कहा, "इस प्रकार प्रार्थना किया करोः हे पिता ! तेरा नाम पवित्र माना जाये। तेरा राज्य आवे। हमें प्रतिदिन हमारा दैनिक आहार दिया कर। हमारे पाप क्षमा कर क्योंकि हम भी अपने सब अपराधियों को क्षमा करते हैं। और हमें परीक्षा में न डाल"। फिर येसु ने उन से कहा, "मान लो कि तुम में से कोई आधी रात को अपने किसी मित्र के पास जा कर कहे, 'दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ उधार दो; क्योंकि मेरा एक मित्र सफ़र में मेरे यहाँ पहुँचा है और उसे खिलाने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है'; और वह भीतर से उत्तर दे, 'मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्द हो चुका है। मेरे बाल-बच्चे और मैं, हम सब बिस्तर पर हैं; मैं उठ कर तुम को नहीं दे सकता'। मैं तुम से कहता हूँ वह मित्रता के नाते भले ही उठकर उसे कुछ न दे किन्तु उसके आग्रह के कारण वह उठेगा और उसकी आवश्यकता पूरी कर देगा। मैं तुमसे कहता हूँ माँगो और तुम्हें दिया जायेगा; ढूँढ़ो और तुम्हें मिल जायेगा; खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जायेगा। क्योंकि जो माँगता है, उसे दिया जाता है; जो ढूँढ़ता है, उसे मिल जाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए खोला जाता है। यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन है जो उसे पत्थर देगा? अथवा मछली माँगे, तो मछली के बदले उसे साँप देगा? अथवा अंडा माँगे, तो उसे बिच्छु देगा? बुरे होने पर भी यदि तुम अपने बच्चों को सहज ही अच्छे दान देते हो तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता माँगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा?"
प्रभु का सुसमाचार।