वर्ष का अट्ठारहवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

पहला पाठ

नबी इसायस एक भोज के रूप में मुक्ति का वर्णन करते हैं और सब मनुष्यों को ईश्वर का निमंत्रण देते हैं। उन्हें अन्न, अंगूरी, दूध और भोजन मिलेगा ये वस्तुएँ आध्यात्मिक वरदानों के प्रतीक हैं।

नबी इसायस का ग्रंथ 55:1-3

"आओ और खा लो।"

प्रभु यह कहता है, तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के पास चले आओ। यदि तुम्हारे पास रुपया नहीं है, तभी आओ। मुफ़्त में अन्न ख़रीद कर खाओ, दाम चुकाये बिना अंगूरी और दूध खरीद लो। जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रुपया क्यों खर्च करते हो? जो तृप्ति नहीं दे सकता है, उसके लिए परिश्रम क्यों करते हो? मेरी बात मान लो। तब खाने के लिए तुम्हें अच्छी चीजें मिलेंगी और तुम लोग पकवान खा कर प्रसन्न रहोगे। कान लगा कर सुनो और मेरे पास आओ। मेरी बात पर ध्यान दो और तुम्हारी आत्मा को नवजीवन मिल जायेगा। मैंने दाऊद से दया करते रहने की प्रतिज्ञा की थी, उसके अनुसार मैं तुम लोगों के लिए एक चिरस्थायी विधान ठहराऊँगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 144:8-9,15-18

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तू खुले हाथों दान देता और हर प्राणी को तृप्त करता है।

1. प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनशील और अत्यन्त प्रेममय है। प्रभु सबों का कल्याण करता है, वह अपनी सारी सृष्टि पर दया करता है।

2. सब तेरी ओर देखते और तुझ पर भरोसा रखते हैं। तू समय पर उन्हें भोजन प्रदान करता है। तू खुले हाथों दान देता और हर प्राणी को तृप्त करता है।

3. प्रभु जो कुछ करता है, अच्छा ही करता है। वह जो कुछ करता है, प्रेम से करता है। वह उन सबों के निकट है, जो उसका नाम लेते हैं, जो सच्चे हृदय से उस से विनती करते हैं।

दूसरा पाठ

सन्त पौलुस इस पर बल देते हैं कि यदि हम ईश्वर के प्रति ईमानदार रहें, तो हमें इतना बल मिलेगा कि हम मुक्ति के मार्ग की सभी बाधाओं पर विजय पायेंगे। ईश्वर का प्रेम हमारी रक्षा करता रहेगा।
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रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 8:35,37-39

"समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के इस प्रेम से वंचित नहीं कर सकता है, जो हमें मसीह द्वारा मिला है।"

कौन हम को मसीह के प्रेम से वंचित कर सकता है? क्या विपत्ति या संकट? क्या अत्याचार, भूख, नग्नता, जोखिम, या तलवार? किन्तु इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया है। मुझे दृढ़ विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्त्तमान या भविष्य, न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु येसु मसीह द्वारा मिला है।

प्रभु की वाणी।

जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा ही सत्य है। हमें सत्य की सेवा में समर्पित कर। अल्लेलूया !

सुसमाचार

जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में इस्राएलियों को 'मन्ना' खिलाया, उसी तरह येसु लोगों को रोटी खिलाते हैं जिससे वे समझ जायें कि वह वही नबी हैं, जिनके विषय में मूसा ने भविष्यवाणी की थी।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:13-21

"सबों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये।"

योहन बपतिस्मा की हत्या का समाचार सुन कर येसु वहाँ से हट गये और नाव पर चढ़ कर निर्जन स्थान की ओर चल दिये। जब लोगों को इसका पता चला, तो वे नगर-नगर से निकल कर पैदल ही उनकी खोज में चल पड़े। नाव से उतर कर येसु ने एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया और उन्होंने उनके रोगियों को अच्छा किया। संध्या होने पर शिष्य उनके पास आ कर कहने लगे, "यह स्थान निर्जन है और दिन ढल चुका है। लोगों को विदा कीजिए, जिससे वे गाँवों में जा कर अपने लिए खाना खरीद लें"। येसु ने उत्तर दिया, "उन्हें चले जाने की क्या जरूरत है। तुम लोग ही उन्हें खाना दे दो"। इस पर शिष्यों ने कहा, "पाँच रोटियों और दो मछलियों के सिवा यहाँ हमारे पास कुछ नहीं है"। येसु ने कहा, "उन्हें यहाँ मेरे पास ले आओ।" येसु ने लोगों को घास पर बैठा देने का आदेश दे कर वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ ले लीं। उन्होंने स्वर्ग की ओर आँखें उठा कर आशिष की प्रार्थना पढ़ी और रोटियों को तोड़-तोड़ कर शिष्यों को दे दिया और शिष्यों ने लोगों को। सबों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये, और बचे हुए टुकड़ों से बारह टोकरे भर गये। भोजन करने वालों में स्त्रियों और बच्चों के अतिरिक्त लगभग पाँच हजार पुरुष थे।

प्रभु का सुसमाचार।