इस्राएलियों का पूरा समुदाय मरुभूमि में मूसा और हारून के विरुद्ध भुनभुनाने लगा। इस्राएलियों ने उन से कहा, "हम जिस समय मिस्त्र देश में मांस की हँडियों के सामने बैठते थे और इच्छा भर रोटी खाते थे, यदि हम उस समय प्रभु के हाथ मर गये होते तो कितना अच्छा होता ! आप हम को इसलिए इस मरुभूमि में ले आये हैं कि हम सब के सब भूखों मर जायें"। प्रभु ने मूसा से कहा, "मैं तुम लोगों के लिए आकाश से रोटी बरसाऊँगा। लोग बाहर निकल कर दिन-प्रतिदिन एक-एक दिन का भोजन बटोर लिया करेंगे। मैं इस तरह उनकी परीक्षा लूँगा और देखूँगा कि वे मेरी संहिता का पालन करते हैं या नहीं। मैं इस्राएलियों की शिकायतों को सुन चुका हूँ। तुम उन से यह कहना - शाम को तुम लोग मांस खा सकोगे और सुबह इच्छा भर रोटी। तब तुम जान जाओगे कि मैं, प्रभु, तुम लोगों का ईश्वर हूँ"। उसी शाम को बटेरों का झुण्ड उड़ता हुआ आया और छावनी पर बैठ गया और सुबह छावनी के चारों ओर कुहरा छाया रहा। कुहरा दूर हो जाने पर मरुभूमि की जमीन पर पाले की तरह एक पतली दानेदार तह दिखाई पड़ी। इस्त्राएली यह देख कर आपस में कहने लगे, “मान हू" अर्थात् "यह क्या है?" क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था कि यह क्या था। मूसा ने उन से कहा, "यह वही रोटी है, जो प्रभु तुम लोगों को खाने के लिए देता है"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु ने उन्हें स्वर्ग की रोटी दे दी।
1. प्रभु की महिमा, उसका सामर्थ्य और उसके किये हुए चमत्कार यह सब हमने सुना और जान लिया है, हमारे पूर्वजों ने हमें बताया है।
2. प्रभु ने आकाश के बादलों को आदेश दिया, उसने आकाश के द्वार खोल दिये। उसने उनके भोजन के लिए मन्ना बरसाया और उन्हें स्वर्ग की रोटी दी।
3. मनुष्य ने स्वर्गदूतों की रोटी खायी। प्रभु ने उन्हें भरपूर भोजन दिया। वह उन्हें पवित्र देश तक ले चला, उस पर्वत तक, जिसे उसके दाहिने हाथ ने जीता था।
मैं आप लोगों से यह कहता हूँ और प्रभु के नाम पर यह अनुरोध करता हूँ कि आप अब से गैर-यहूदियों जैसा आचरण नहीं करें, जो बेकार की बातों की चिन्ता किया करते हैं। आप लोगों को मसीह से ऐसी शिक्षा नहीं मिली है। यदि आप लोगों ने उनके विषय में सुना है और उस सच्चाई के अनुसार शिक्षा ग्रहण की है जो येसु में प्रकट हुई, तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्वभाव त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है। आप लोग पूर्ण रूप से नवीन आध्यात्मिक विचारधारा अपनायें और एक नवीन स्वभाव धारण करें, जिसकी सृष्टि ईश्वर के अनुसार हुई है और जो धार्मिकता तथा सच्ची पवित्रता में व्यक्त होता है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा, और हम उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। अल्लेलूया !
जब लोगों ने देखा कि वहाँ न तो येसु हैं और न उनके शिष्य ही, तो वे नावों पर चढ़ कर येसु की खोज में कफ़रनाहूम चले गये। उन्होंने समुद्र पार किया और येसु को वहाँ पा कर उन से कहा, "गुरुवर ! आप यहाँ कब आये?” येसु ने उत्तर दिया, “मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ तुम चमत्कार देखने के कारण मुझे नहीं खोजते, बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खा कर तृप्त हो गये हो। नश्वर भोजन के लिए नहीं, बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो जो अनन्त जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता-परमेश्वर ने मानव पुत्र को यह अधिकार दिया है।" लोगों ने उन से कहा, "ईश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?" येसु ने उत्तर दिया, "ईश्वर की इच्छा यह है उसने जिसे भेजा है, उस में विश्वास करो"। लोगों ने उन से कहा, "आप हमें कौन-सा चमत्कार दिखा सकते हैं, जिसे देख कर हम आप में विश्वास करें? आप क्या कर सकते हैं? हमारे पुरखों ने मरुभूमि में मन्ना खाया था, जैसा कि लिखा है- उसने खाने के लिए उन्हें स्वर्ग से रोटी दी"। येसु ने उत्तर दिया, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- मूसा ने तुम्हें जो दिया था, वह स्वर्ग की रोटी नहीं थी। मेरा पिता तुम्हें स्वर्ग की सच्ची रोटी देता है। ईश्वर की रोटी तो वह है, जो स्वर्ग से उतर कर संसार को जीवन प्रदान करती है"। लोगों ने येसु से कहा, "प्रभु ! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें।" उन्होंने उत्तर दिया, "जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।"
प्रभु का सुसमाचार।