वर्ष का उन्नीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

एलियंस ने बलप्रयोग द्वारा राजा अहाब की पत्नी ईजेबेल द्वारा लायी हुई मूर्त्तिपूजा का विरोध किया और ईजेबेल ने उन्हें मार डालने की धमकी दी। एलियस सिनाई पर्वत तक भाग गये और ईश्वर ने एक दिव्य दर्शन में यह दिखाया कि वह आँधी, भूकम्प तथा अग्नि में नहीं, बल्कि मन्द समीर में विद्यमान है। इस प्रसंग की शिक्षा यह है कि ईश्वर को बलप्रयोग नहीं, बल्कि शांति तथा साम्यता प्रिय है।

राजाओं का पहला ग्रंथ 19:9,11-13

"पर्वत पर प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ।"

एलियस ने सिनाई पर्वत की गुफा के अन्दर जा कर वहाँ रात बितायी। ईश्वर ने उस से कहा, "निकल आओ और पर्वत पर प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ"। तब प्रभु उसके सामने हो कर आगे बढ़ा। प्रभु के आगे-आगे एक प्रचण्ड आँधी चली - पहाड़ फट गये और चट्टानें टूट गयीं, किन्तु प्रभु आँधी में नहीं था। आँधी के बाद भूकम्प हुआ, किन्तु प्रभु भूकम्प में नहीं था। भूकम्प के बाद अग्नि दिखाई पड़ी, किन्तु प्रभु अग्नि में नहीं था। अग्नि के बाद मन्द समीर की सरसराहट सुनाई पड़ी। एलियस ने यह सुन कर अपना मुँह चादर से ढक लिया और वह बाहर निकल कर गुफा के द्वार पर खड़े हो गये।

📖भजन : स्तोत्र 84:9-14

अनुवाक्य : हे प्रभु ! हम पर दयादृष्टि कर और हमें मुक्ति प्रदान कर।

1. प्रभु-ईश्वर जो कुछ कहता है, मैं उसे ध्यान से सुनूँगा। वह अपने भक्तों को मुक्ति प्रदान करेगा। उसकी महिमा हमारे देश में निवास करेगी।

2. दया और सच्चाई, न्याय और शांति - ये एक दूसरे से मिल जायेंगे। सच्चाई पृथ्वी पर पनपने लगेगी और न्याय स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि करेगा।

3. प्रभु हमें सुख-शांति प्रदान करेगा और पृथ्वी फल उत्पन्न करेगी। न्याय उसके आगे-आगे चलेगा और शांति उसके पीछे-पीछे आती रहेगी।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस इस पर दुःख तथा आश्चर्य प्रकट करते हैं कि यहूदी मसीह को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। यहूदियों को कितने ही कृपादान मिले थे, फिर भी वे ईश्वर से विमुख हो गये थे। हमें भी बहुत-से कृपादान मिले हैं। हम ईश्वर के प्रति ईमानदार रहें।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 9:1-5

“मैं अपने भाइयों के कल्याण के लिए मसीह से वंचित हो जाने के लिए तैयार हूँ।"

मैं मसीह के नाम सच कहता हूँ और मेरा अन्तःकरण पवित्र आत्मा से प्रेरित हो कर मुझे विश्वास दिलाता है कि मैं झूठ नहीं बोलता – मेरे हृदय में बड़ी उदासी तथा निरन्तर दुःख होता है। मैं अपने रक्त-संबंधी भाइयों के कल्याण के लिए मसीह से वंचित हो जाने के लिए तैयार हूँ। वे इस्स्राएली हैं। ईश्वर ने उन्हें गोद लिया था। उन्हें ईश्वर के सान्निध्य की महिमा, विधान, संहिता, उपासना तथा प्रतिज्ञाएँ मिली हैं। कुलपति उन्हीं के हैं और मसीह उन्हीं में उत्पन्न हुए हैं। मसीह सर्वश्रेष्ठ हैं तथा युगयुगों तक परमधन्य ईश्वर हैं।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु! हमें सद्बुद्धि प्रदान कर, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा ग्रहण करें। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

येसु समुद्र पर चलते हैं और इस प्रकार यह प्रमाण देते हैं कि वह मसीह हैं। वह अपने शिष्यों का विश्वास दृढ़ करते हैं और पेत्रुस को डूबने से बचा कर यह शिक्षा देते हैं कि ईश्वर पर निर्भर रहना चाहिए।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 14:22-33

"मुझे पानी पर आपके पास आने की आज्ञा दीजिए।"

येसु ने अपने शिष्यों को इसके लिए बाध्य किया कि वे नाव पर चढ़ कर उन से पहले उस पार चले जायें; इतने में वह स्वयं भीड़ को विदा कर देंगे। येसु भीड़ को विदा कर एकान्त में प्रार्थना करने के लिए पहाड़ी पर चढ़े। संध्या होने पर वह अकेले वहाँ थे। नाव उस समय तट से दूर जा चुकी थी। वह लहरों से डगमगा रही थी, क्योंकि वायु प्रतिकूल थी। रात के चौथे पहर येसु समुद्र पर चलते हुए शिष्यों के पास आये। जब उन्होंने येसु को समुद्र पर चलते हुए देखा, तो वे बहुत घबरा गये और, यह कह कर "यह कोई प्रेत है", डर के मारे चिल्लाने लगे येसु ने तुरन्त उन से कहा, "धीरज धरो; मैं ही हूँ; डरो मत"। पेत्रुस ने उत्तर दिया, "प्रभु ! यदि आप ही हैं, तो मुझे पानी पर अपने पास आने की आज्ञा दीजिए"। येसु ने कहा, "आ जाओ"। पेत्रुस नाव से उत्तर गया और पानी पर चलते हुए येसु की ओर बढ़ा; किन्तु वह प्रचंड वायु देख कर डर गया और जब डूबने लगा, तो वह चिल्ला उठा, "प्रभु! मुझे बचाइए"। येसु ने तुरन्त हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया और कहा, "रे अल्पविश्वासी! तुम्हें संदेह क्यों हुआ?" वे नाव पर चढ़े और वायु थम गयी। जो नाव में थे, उन्होंने यह कहते हुए ईसा को दण्डवत् किया, "सचमुच आप ईश्वर के पुत्र हैं"।

प्रभु का सुसमाचार।