वर्ष का उन्नीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष B

📕पहला पाठ

रानी ईजेबेल नबी एलियस को मार डालना चाहती थी। इसलिए वह पर्वत होरेब (सिनाई) की ओर भाग गये। वह बहुत निराश थे, किन्तु एक स्वर्ग-दूत ने उन्हें भोजन दिया; इस प्रकार नबी को आगे बढ़ने का बल मिला। स्वर्गदूत का लाया हुआ भोजन मसीही परमप्रसाद का प्रतीक है।

राजाओं का पहला ग्रंथ 19:4-8

"वह उस भोजन के बल पर ईश्वर के पर्वत तक चलता रहा।"

एलियस मरुभूमि में एक दिन का रास्ता तय कर एक झाड़ी के नीचे बैठ गया और यह कह कर मौत के लिए प्रार्थना करने लगा, "हे प्रभु ! बहुत हुआ। मुझे उठा ले, क्योंकि मैं अपने पुरखों से अच्छा नहीं हूँ।" वह झाड़ी के नीचे लेट कर सो गया। किन्तु एक स्वर्गदूत ने उसे जगा कर कहा, "उठिए और खाइए"। उसने देखा कि उसके सिरहाने पकायी हुई रोटी और पानी की सुराही रखी हुई है। उसने खाया-पिया और फिर लेट गया। किन्तु प्रभु के दूत ने फिर आ कर उसका स्पर्श किया और कहा, "उठिए और खाइए, नहीं तो रास्ता आपके लिए अधिक लम्बा हो जायेगा"। उसने उठ कर खाया-पिया और वह उस भोजन के बल पर चालीस दिन और चालीस रात चल कर ईश्वर के पर्वत होरेब तक पहुँचा।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 33:2-9

अनुवाक्य : परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है।

1. मैं सदा ही प्रभु को धन्य कहूँगा, मेरा कंठ निरन्तर उसकी स्तुति करता रहेगा। मेरी आत्मा प्रभु पर गौरव करेगी। विनम्र सुन कर आनन्दित हो उठेंगे।

2. मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ, हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें। मैंने प्रभु को पुकारा। उसने मेरी सुनी, और मुझे हर प्रकार के भय से मुक्त कर दिया।

3. जो प्रभु की ओर दृष्टि लगाता है, वह आनन्दित होगा उसे कभी लज्जित नहीं होना पड़ेगा। दीन-हीन ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने उसकी सुनी और उसे हर प्रकार की विपत्ति से बचा लिया।

4. प्रभु का दूत उनके भक्तों के पास डेरा डाल कर उनकी रक्षा करता है। परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण में जाता है।

📘दूसरा पाठ

मनुष्य को ईश्वर के सदृश बनना चाहिए। इसलिए ईश्वर येसु के रूप में प्रकट हुआ, जिससे हमें एक आदर्श प्राप्त हो। जिस तरह मसीह ने हम को प्यार किया, उसी तरह हमें एक दूसरे को प्यार करना चाहिए। हम ईश्वर का अनुकरण करें, क्योंकि "ईश्वर प्रेम है"।

एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:30-5:2

"मसीह की तरह प्रेम के मार्ग पर चलिए।"

पवित्र आत्मा ने मुक्ति के दिन के लिए आप लोगों पर अपनी मोहर लगा दी है। आप उसे दुःख नहीं दीजिए। आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्दा और हर तरह की बुराई अपने बीच में से दूर कर दीजिए। एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बन जाइए। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया है, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा कर दीजिए। आप लोग ईश्वर की प्रिय सन्तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण कीजिए और प्रेम के मार्ग पर चलिए, जिस तरह मसीह ने आप लोगों को प्यार किया है और सुगंधित भेंट तथा बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर लिया है।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता"। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

जीवन की रोटी के विषय में येसु की शिक्षा सुन कर यहूदी भुनभुनाने लगे। तब येसु ने अपनी यह शिक्षा दुहरायी कि "जीवन की रोटी मैं हूँ"। येसु का यह दावा वही स्वीकार कर सकता है, जो इस बात पर विश्वास करता है कि पिता ने उन को इस संसार में भेजा है।

योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:41-51

“स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ।"

येसु ने कहा था, "स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ"। इस पर यहूदी यह कह कर भुनभुनाने लगे, "क्या यह यूसुफ़ का बेटा येसु नहीं है? हम इसके माँ-बाप को जानते हैं। तो यह कैसे कह सकता है मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?” येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "आपस में मत भुनभुनाओ। कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे आकर्षित न करे। मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा। नबियों ने लिखा है, वे सब के सब ईश्वर से शिक्षा पायेंगे। जो कोई ईश्वर की शिक्षा सुनता और ग्रहण करता है, वह मेरे पास आता है। "यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; जो ईश्वर की ओर से आया है, उसी ने पिता को देखा है। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - जो विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है। जीवन की रोटी मैं हूँ। तुम्हारे पूर्वजों ने मरुभूमि में मन्ना खाया; फिर भी वे मर गये। मैं जिस रोटी के विषय में कहता हूँ, वह स्वर्ग से उतरती है और जो उसे खाता है, वह नहीं मरता। स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खाये, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी मैं दूँगा, वह संसार के जीवन के लिए अर्पित मेरा मांस है।"

प्रभु का सुसमाचार।