प्रभु यह कहता है, "न्याय बनाये रखो और धर्म का पालन करो, क्योंकि मुक्ति निकट है, और मेरी न्यायप्रियता शीघ्र ही प्रकट हो जायेगी। जो विदेशी प्रभु के अनुयायी बन गये हैं, जिससे वे उसकी सेवा करें, उसका नाम लेते रहें और उसके भक्त बन जायें और वे सब, जो विश्राम-दिवस मनाते हैं और उसे अपवित्र नहीं करते मैं उन लोगों को अपने पवित्र पर्वत तक ले आऊँगा, मैं उन्हें अपने प्रार्थनागृह में आनन्द प्रदान करूँगा। मैं अपनी वेदी पर उनके होम और बलिदान स्वीकार करूँगा, क्योंकि मेरा घर सब राष्ट्रों का प्रार्थनागृह कहलायेगा।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे ईश्वर, राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें।
1. हे ईश्वर ! हम पर दया कर और हमें आशिष दे, हम पर प्रसन्न हो कर दयादृष्टि कर। पृथ्वी के निवासी तेरा मार्ग समझ लें, सभी राष्ट्र तेरा मुक्ति-विधान जान जायें।
2. सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें, क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता है। तू निष्पक्ष हो कर पृथ्वी के देशों का शासन करता और सभी राष्ट्रों का संचालन करता है।
3. हे ईश्वर ! राष्ट्र तेरी स्तुति करें, सभी राष्ट्र तेरी महिमा गायें। ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करता रहे और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे।
मैं आप गैर-यहूदियों से यह कहता हूँ मैं तो गैर-यहूदियों में प्रचार करने भेजा गया और इस धर्मसेवा पर गर्व भी करता हूँ, किन्तु मैं अपने रक्त भाइयों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने की और इस प्रकार उनमें से कुछ लोगों का उद्धार करने की आशा भी रखता हूँ। क्योंकि यदि उनके परित्याग के फलस्वरूप ईश्वर के साथ संसार का मेल हो गया है, तो उनके अंगीकार का परिणाम मृतकों में से पुनरुत्थान होगा। ईश्वर न तो अपने वरदान वापस लेता और न अपना बुलावा रद्द करता है। जिस तरह आप लोग पहले ईश्वर की अवज्ञा करते थे और अब, जब कि वे अवज्ञा करते हैं, आप ईश्वर के कृपापात्र बन गये हैं, उसी तरह अब, जब कि आप ईश्वर के कृपापात्र बन गये हैं, वे ईश्वर की अवज्ञा करते हैं, किन्तु वे भी बाद में दया प्राप्त करेंगे। ईश्वर ने सबों को अवज्ञा के पाप में फँसने दिया, क्योंकि वह सबों पर दया दिखाना चाहता था।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता हमें प्रज्ञा तथा आध्यात्मिक दृष्टि प्रदान करे, जिससे हम देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान् है। अल्लेलूया !
येसु ने वहाँ से विदा हो कर तीरुस और सीदोन प्रान्तों के लिए प्रस्थान किया। उस प्रदेश की एक कनानी स्त्री आयी, और पुकार-पुकार कर कहने लगी, "हे प्रभु ! दाऊद के पुत्र ! मुझ पर दया कीजिए। मेरी बेटी एक अपदूत द्वारा बुरी तरह सतायी जा रही है।" येसु ने उसे उत्तर नहीं दिया। उनके शिष्यों ने पास आकर उन से यह निवेदन किया, "उसकी बात मान कर उसे विदा कर दीजिए; क्योंकि वह हमारे पीछे-पीछे चिल्लाती आ रही है।" येसु ने उत्तर दिया, "मैं केवल इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ।" इतने में उस स्त्री ने आ कर येसु को दण्डवत् किया और कहा, "प्रभु ! मेरी सहायता कीजिए।" येसु ने उत्तर दिया, "बच्चों की रोटी ले कर पिल्लों के सामने डालना ठीक नहीं है। उसने कहा, "जी हाँ, प्रभु ! फिर भी स्वामी की मेज़ से गिरा हुआ चूर पिल्ले खाते ही हैं।" इस पर येसु ने उत्तर दिया, "हे नारी ! तुम्हारा विश्वास महान् है। तुम्हारी इच्छा पूरी हो।" और उसी क्षण उसकी बेटी अच्छी हो गयी।
प्रभु का सुसमाचार।