योशुआ ने सिकेम में सब इस्राएली वंशी को इकट्ठा कर लिया। इसके बाद, उसने इस्राएल के वयोवृद्धों, नेताओं, न्यायकर्ताओं तथा शास्त्रियों को बुला भेजा और वे सब ईश्वर के सामने उपस्थित हो गये। तब योशुआ ने समस्त लोगों से कहा, "यदि तुम ईश्वर की सेवा करना नहीं चाहते, तो आज ही तय कर लो कि तुम किसकी सेवा करना चाहते हो उन देवताओं की, जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखे नदी के उस पार करते थे अथवा अमारियों के देवताओं की, जिनके देश में तुम रहते हो। मैं और मेरा परिवार, हम सब ईश्वर की सेवा करना चाहते हैं"। लोगों ने उत्तर दिया, "प्रभु को छोड़ कर अन्य देवताओं की सेवा करने का विचार हम से कोसों दूर है। हमारे प्रभु-ईश्वर ने हमें और हमारे पुरखों को दासता के घर से, मिस्र देश से निकाल लिया है। उसी ने हमारे सामने वे महान् चमत्कार दिखाये हैं। हम बहुत लम्बा रास्ता तय कर चुके हैं, बहुत-से राष्ट्रों से हो कर हम यहाँ तक आये हैं, और सर्वत्र उसी ने हमारी रक्षा की है। हम भी प्रभु की सेवा करना चाहते हैं, क्योंकि वही हमारा ईश्वर है"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है।
1. मैं सदा ही प्रभु को धन्य कहूँगा, मेरा कंठ निरन्तर उसकी स्तुति करता रहेगा। मेरी आत्मा प्रभु पर गौरव करेगी। विनम्र, सुन कर, आनन्दित हो उठेंगे।
2. प्रभु कुकर्मियों से मुँह फेर लेता और पृथ्वी पर से उनकी स्मृति मिटा देता है। प्रभु की कृपादृष्टि धर्मियों पर बनी रहती है। वह उनकी पुकार पर कान देता है।
3. धर्मी प्रभु की दुहाई देते हैं। वह उनकी सुनता और हर प्रकार की विपत्ति से उनकी रक्षा करता है। प्रभु दुःखियों से दूर नहीं है। जिनका मन टूट गया है, वह उन्हें सँभालता है।
4. धर्मी विपत्तियों से घिरा रहता है, किन्तु उन सबों से प्रभु उसे छुड़ाता है। प्रभु उसकी हड्डियों की रक्षा करता है; उसकी एक भी हड्डी नहीं रौंदी जायेगी।
5. अधर्म ही विधर्मी को मारता है। जो धर्मियों से बैर करते हैं, वे नष्ट हो जायेंगे। प्रभु अपने सेवकों की आत्मा को छुड़ाता है। जो प्रभु की शरण में जाता है, वह कभी नष्ट नहीं होगा।
हम मसीह के प्रति श्रद्धा रखने के कारण एक दूसरे के अधीन रहें। पत्नी प्रभु-जैसे अपने पति के अधीन रहे। पति उसी तरह पत्नी का शीर्ष है, जिस तरह मसीह कलीसिया का शीर्ष है और उसके शरीर का मुक्तिदाता। जिस तरह कलीसिया मसीह के अधीन रहती है, उसी तरह पत्नी को भी सब बातों में अपने पति के अधीन रहना चाहिए। पतियो ! अपनी पत्नी को उसी तरह प्यार करो, जिस तरह मसीह ने कलीसिया को प्यार किया है। उन्होंने उसके लिए अपने को अर्पित किया है, जिससे वह उसे पवित्र कर सकें और वचन तथा जल के स्नान द्वारा शुद्ध कर सकें। क्योंकि वह एक ऐसी कलीसिया अपने सामने उपस्थित करना चाहते हैं जो महिमामय हो, जिस में न दाग हो, न झुर्री और न कोई दूसरा दोष, जो पवित्र और निष्कलंक हो। पति अपनी पत्नी को उसी तरह प्यार करे मानो वह उसका अपना शरीर हो। कोई भी अपने ही शरीर से बैर नहीं रखता। उलटे वह उसका पालन-पोषण करता है और उसकी देख-भाल करता रहता है। मसीह कलीसिया के साथ ऐसा ही करते हैं, क्योंकि हम उनके शरीर के अंग हैं। धर्मग्रंथ में लिखा है- पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे : यह एक महान् रहस्य है। मैं समझता हूँ कि यह मसीह और कलीसिया के सम्बन्ध की ओर संकेत करता है। जो भी हो, आप लोगों में हर एक अपनी पत्नी को अपने समान प्यार करे और पत्नी अपने पति का आदर करे।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !
येसु के बहुत-से शिष्यों ने उनकी यह शिक्षा सुन कर कहा, "यह तो कठोर शिक्षा है। इसे कौन मान सकता है?" यह जान कर कि मेरे शिष्य इस पर भुनभुना रहे हैं येसु ने उन से कहा, "क्या तुम इसी से विचलित हो रहे हो? जब तुम मानव पुत्र को वहाँ आरोहण करते देखोगे जहाँ वह पहले था, तो क्या कहोगे? आत्मा ही जीवन प्रदान करता है, मांस से कुछ लाभ नहीं होता। मैंने तुम्हें जो शिक्षा दी है, वह आत्मा और जीवन है। फिर भी तुम लोगों में से अनेक विश्वास नहीं करते"। येसु तो प्रारंभ से ही यह जानते थे कि कौन विश्वास नहीं करते और कौन मेरे साथ विश्वासघात करेगा। उन्होंने कहा, "इसलिए मैंने तुम लोगों से यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि उसे पिता से यह वरदान न मिल जाये"। इसके बाद बहुत-से शिष्य अलग हो गये और उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया। इसलिए येसु ने बारहों से कहा, "क्या तुम लोग भी चले जाना चाहते हो?" सिमोन पेत्रुस ने उन्हें उत्तर दिया, "प्रभु ! हम किसके पास जायें? आपके ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। हमने विश्वास कर लिया और हम जान गये हैं कि आप ईश्वर के भेजे हुए परमपावन पुरुष हैं"। येसु ने उन से कहा, "क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? तब भी तुम में से एक शैतान है"।
प्रभु का सुसमाचार।