वर्ष का तेईसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

मनुष्य न केवल अपने लिए बल्कि कुछ हद तक अपने भाइयों के लिए भी ज़िम्मेदार है। यह बात विशेष रूप से उन लोगों पर लागू है जिन्हें कोई अधिकार मिला है। यहाँ नबी एज़ेकिएल की जिम्मेदारी की चरचा है।

नबी एज़ेकिएल का ग्रंथ 33:7-9

"यदि तुम कुमार्ग छोड़ने के लिए दुष्ट को चेतावनी नहीं दोगे, तो तुम उसकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी होगे।"

प्रभु ने मुझ से यह कहा, "मानव पुत्र ! मैंने तुम को इस्राएल के घराने का पहरेदार नियुक्त किया है। तुम मेरी वाणी सुनोगे और इस्त्राएलियों को मेरी ओर से चेतावनी दोगे। यदि मैं किसी दुष्ट से कहूँ, 'रे दुष्ट ! तू मर जायेगा,' और तुम कुमार्ग छोड़ने के लिए उसे चेतावनी नहीं दोगे, तो वह अपने पाप के कारण मर जायेगा, किन्तु तुम उसकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी होगे। और यदि तुम कुमार्ग छोड़ने के लिए उसे चेतावनी दोगे और वह तुम्हारी बात नहीं मानेगा, तो वह अपने पाप के कारण मर जायेगा, किन्तु तुम्हारा जीवन सुरक्षित रह जायेगा।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 94:1-2,6-9

अनुवाक्य : ओह ! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनो अपना हृदय कठोर न बनाओ।

1. आओ ! हम प्रभु के सामने आनन्द मनायें, अपने शक्तिशाली त्राणकर्ता का गुणगान करें। हम स्तुति करते हुए उसके पास जायें भजन गाते हुए धन्य कहें।

2. आओ ! हम दण्डवत् कर प्रभु की आराधना करें, अपने सृष्टिकर्ता के सामने घुटने टेकें। वही तो हमारा ईश्वर है और हम हैं उसके चरागाह की प्रजा, उसकी अपनी भेड़ें।

3. ओह ! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनो, "अपना हृदय कठोर न बनाओ, जैसा कि पहले मरीबा और मस्सा की मरुभूमि में हुआ था। उस दिन तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी परीक्षा ली। मेरे कार्यों को देखते हुए भी, उन्होंने मुझ में विश्वास नहीं किया।"

📘दूसरा पाठ

सुसमाचार तथा प्रेरितों के पत्रों में यह बात बहुत बार दुहरायी गयी है कि ईश्वर की सभी आज्ञाओं का सार है - ईश्वर का प्रेम तथा भ्रातृप्रेम। ईश्वर के प्रति हमारे प्रेम की कसौटी है हमारा भ्रातृप्रेम।

रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 13:8-10

"जो प्यार करता है, वह संहिता के सब नियमों का पालन करता है।"

भ्रातृप्रेम का ऋण छोड़ कर और किसी बात में किसी का ऋणी न बनें। जो दूसरों को प्यार करता है, उसने संहिता के सभी नियमों का पालन किया। 'व्यभिचार मत करो, हत्या मत करो, चोरी मत करो, लालच मत करो'। इनका तथा अन्य सभी दूसरी आज्ञाओं का सारांश यह है- अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। प्रेम पड़ोसी के साथ अन्याय नहीं करता। इसलिए जो प्यार करता है, वह संहिता के सभी नियमों का पालन करता है।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु मैं तेरी स्तुति करता हूँ। क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

भ्रातृप्रेम का एक कर्त्तव्य यह है कि हम अपने भाई के सुधार का ध्यान रखें और जहाँ तक हम से बन पड़े, उसे प्रेमपूर्वक समझायें। हमारे भ्रातृप्रेम का एक दूसरा पहलू यह भी है कि हम एकमत हो कर प्रार्थना करें, क्योंकि जहाँ दो या तीन व्यक्ति येसु के नाम पर इकट्ठे हैं, वहाँ वह उनके बीच विद्यमान हो जाते हैं।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:15-20

"यदि वह तुम्हारी बात मान जाता है, तो तुमने अपने भाई को बचा लिया।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यदि तुम्हारा भाई कोई अपराध करता है, तो जा कर उसे अकेले में समझाओ। यदि वह तुम्हारी बात मान जाता है, तो तुमने भाई को बचा लिया। यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता, तो और दो-एक व्यक्तियों को साथ ले जाओ। ताकि दो या तीन गवाहों के सहारे सब कुछ प्रमाणित हो जाये। यदि वह उनकी भी नहीं सुनता, तो कलीसिया को बता दो। और यदि वह कलीसिया की भी नहीं सुनता, तो उसे गैर-यहूदी और नाकेदार जैसा समझो। "मैं तुम से कहे देता हूँ : तुम लोग पृथ्वी पर जिसका निषेध करोगे, स्वर्ग में भी उसका निषेध रहेगा; और पृथ्वी पर जिसको अनुमति दोगे, स्वर्ग में भी उसकी अनुमति रहेगी। "मैं तुम से वह भी कहे देता हूँ : यदि पृथ्वी पर तुम लोगों में से दो व्यक्ति एकमत हो कर कुछ भी माँगेंगे, तो वह उन्हें मेरे स्वर्गिक पिता की ओर से निश्चय ही मिलेगा, क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं, वहाँ मैं उनके बीच उपस्थित रहता हूँ।"

प्रभु का सुसमाचार।