घबराये हुए लोगों से कह दो ढारस रखो, डरो मत। देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। वह बदला चुकाने आता है; वह प्रतिशोध लेने आता है। वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है। अंधों की आँखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंगे। लँगड़ा हिरण की तरह छलाँग भरेगा और गूँगे की जीभ आनन्द का गीत गायेगी। मरुस्थल में जल की धाराएँ फूट निकलेंगी, रेतीले मैदानों में नदियाँ बह जायेंगी, सूखी भूमि झील बन जायेगी, और प्यासी धरती में झरने निकलेंगे।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य: मैं जीवन भर प्रभु का स्तुतिगान करूँगा । (अथवा: अल्लेलूया !)
1. प्रभु सदा ही सत्यप्रतिज्ञ है। वह पद्दलितों को न्याय दिलाता है, वह भूखों को तृप्त करता और बन्दियों को मुक्त कर देता है
2. प्रभु अंधों की आँखों को अच्छा करता और झुके हुए को सीधा करता है। वह परदेशी की रक्षा करता और अनाथ तथा विधवा को सँभालता है
3. प्रभु धर्मियों को प्यार करता और विधर्मियों के मार्ग में बाधा डालता है। प्रभु, सियोन का ईश्वर, युगानुयुग राज्य करता रहेगा ।
भाइयो ! आप लोग हमारे महिमान्वित प्रभु येसु मसीह में विश्वास करते हैं, इसलिए भेदभाव और चापलूसी से दूर रहिए । मान लीजिए कि आप लोगों की सभा में सोने की अँगूठी और कीमती वस्त्र पहने कोई व्यक्ति प्रवेश करे और साथ ही फटे-पुराने कपड़े पहने कोई कंगाल । यदि आप कीमती वस्त्र पहने वाले का विशेष ध्यान रख कर उस से कहें "आप यहाँ इस आसन पर विराजिए" और कंगाल से कहें - "तुम वहाँ खड़े रहो" अथवा "मेरे पाँवदान के पास बैठ जाओ", तो क्या आपने अपने मन में भेदभाव नहीं आने दिया और गलत विचार के अनुसार निर्णय किया है ? प्यारे भाइयो ! सुन लीजिए क्या ईश्वर ने उन लोगों को नहीं चुना, जो संसार की दृष्टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्वास के धनी हो जायें और उस राज्य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है ?
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु! हमें सद्बुद्धि प्रदान कर, जिससे हम तेरे पुत्र की शिक्षा ग्रहण करें। अल्लेलूया !
येसु तीरुस प्रान्त से चले गये। वह सिदोन हो कर और देकापोलिस का प्रान्त पार कर गलीलिया के समुद्र के पास पहुँचे । लोग एक बहरे-गूंगे को उनके पास ले आये और उन्होंने यह प्रार्थना की कि आप उस पर हाथ रख दीजिए। येसु ने उसे भीड़ से अलग एकान्त में ले जा कर उसके कानों में अपनी उँगलियाँ डाल दीं और उसकी जीभ पर अपना थूक लगाया। फिर आकाश की ओर आँखें उठा कर उन्होंने आह भरी और उस से कहा, "एफेता", अर्थात् "खुल जा" । उसी क्षण उसके कान खुल गये और उसकी जीभ का बंधन छूट गया, जिससे वह अच्छी तरह बोलने लगा। येसु ने लोगों को आदेश दिया कि वे यह बात किसी से नहीं कहें; परन्तु वह जितना ही मना करते थे, लोग उतना ही इसका प्रचार करते थे। लोगों के आश्चर्य की सीमा न थी; वे कहते रहते थे, "वह जो कुछ करते हैं, अच्छा ही करते हैं। वह बहरों को कान और गूँगों को वाणी देते हैं"।
प्रभु का सुसमाचार।