प्रभु ने मेरे कान खोल दिये हैं। मैंने न तो कोई विरोध किया और न पीछे हटा। मैंने मारने वालों के सामने अपनी पीठ कर दी और दाढ़ी नोचने वालों के सामने अपने गाल । मैंने अपमान करने और थूकने वालों से अपना मुख नहीं छिपाया । प्रभु मेरी सहायता करता है, इसलिए मैं अपमान से विचलित नहीं हुआ। मैंने अपना मुख पत्थर की तरह कड़ा कर लिया। मैं जानता हूँ कि अंत में मुझे निराश नहीं होना पड़ेगा। मेरा रक्षक निकट है, तो मेरा विरोधी कौन? हम एक दूसरे का सामना करें। मुझ पर अभियोग लगाने वाला कौन? वह आगे बढ़ने का साहस करे ! प्रभु-ईश्वर मेरी सहायता करता है, तो कौन मुझे दोषी ठहराने का साहस करेगा?
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मैं जीवितों के देश में प्रभु के सामने चलता रहूँगा ।
1. मेरे हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा, क्योंकि उसने मेरी पुकार सुनी। जिस दिन मैंने उसकी दुहाई दी, उसने मेरी प्रार्थना पर ध्यान दिया ।
2. मैं मृत्यु के बंधनों में जकड़ा हुआ और अधोलोक के फन्दों में फँसा हुआ था। मैं शोक और संकट से घिरा हुआ था, तब मैंने प्रभु का नाम ले कर पुकारा हे प्रभु! मुझे बचाने की कृपा कर !
3. प्रभु न्यायी और दयालु है, हमारा ईश्वर करुणामय है; प्रभु दरिद्रों की रक्षा करता है। मैं निस्सहाय बन गया था और उसने मुझे बचा लिया
4. उसने मुझे मृत्यु से बचा लिया, उसने मेरे आँसू पोंछ डाले और मेरे पैरों को फिसलने नहीं दिया। मैं जीवितों के देश में प्रभु के सामने चलता रहूँगा ।
भाइयो ! यदि कोई कहे कि मैं विश्वास करता हूँ, किन्तु उसके अनुसार आचरण नहीं करे, तो इस से क्या लाभ? क्या विश्वास ही उसका उद्धार कर सकता है? मान लीजिए कि किसी भाई या बहन के पास न पहनने के कपड़े हों और न रोज-रोज खाने की चीजें । यदि आप लोगों में से कोई उन से कहे, "खुशी से जाइए। गरम-गरम कपड़े पहन लीजिए और पेट भर खाइए", किन्तु वह उन्हें शरीर के लिए जरूरी चीजें नहीं दे, तो इस से क्या लाभ? इसी तरह कार्यों के बिना विश्वास अपने में निर्जीव रह जाता है। और ऐसे मनुष्य से कोई कह सकता है, "तुम विश्वास करते हो, किन्तु मैं उसके अनुसार आचरण करता हूँ। मुझे अपना विश्वास दिखाओ, जिस पर तुम नहीं चलते । और मैं अपने आचरण द्वारा ही तुम्हें अपने विश्वास का प्रमाण दूँगा"।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभ कहते हैं "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है"। अल्लेलूया !
येसु अपने शिष्यों के साथ कैसरिया फिलिपी के गाँवों की ओर चले गये। रास्ते में उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, "मैं कौन हूँ, इसके विषय में लोग क्या कहते हैं?" उन्होंने उत्तर दिया, "योहन बपतिस्ता; कुछ लोग कहते हैं - एलियस; और कुछ लोग कहते हैं – नबियों में से कोई"। इस पर येसु ने पूछा, "और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" पेत्रुस ने उत्तर दिया, "आप मसीह हैं"। इस पर उन्होंने अपने शिष्यों को कड़ी चेतावनी दी कि तुम लोग मेरे विषय में किसी को भी नहीं बताना । उस समय से येसु अपने शिष्यों को स्पष्ट शब्दों में यह समझाने लगे कि मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीन दिन के बाद जी उठना होगा। पेत्रुस येसु को अलग ले जा कर समझाने लगा, किन्तु येसु ने मुड़ कर अपने शिष्यों की ओर देखा और पेत्रुस को डाँटते हुए कहा, "हट जाओ, शैतान ! तुम ईश्वर की बातें नहीं, बल्कि मनुष्यों की बातें सोचते हो। येसु ने अपने शिष्यों के अतिरिक्त लोगों को भी अपने पास बुला कर कहा, "यदि कोई मेरा अनुसरण करना चाहे, तो वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले । क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे तथा सुसमाचार के कारण अपना जीवन खो देता है, वही उसे सुरक्षित रखेगा"।
प्रभु का सुसमाचार।