जब तक प्रभु मिल सकता है, तब तक उसके पास चले जाओ, जब तक वह निकट है, तब तक उसकी दुहाई देते रहो । पापी अपना मार्ग छोड़ दे और दुष्ट अपने बुरे विचार त्याग दे। वह प्रभु के पास लौट आए और वह उस पर दया करेगा, क्योंकि हमारा ईश्वर दयासागर है । प्रभु यह कहता है, "तुम लोगों के विचार मेरे विचार नहीं हैं और मेरे मार्ग तुम लोगों के मार्ग नहीं हैं। जिस तरह आकाश पृथ्वी के ऊपर बहुत ऊँचा है, उसी तरह मेरे मार्ग तुम्हारे मार्गों से और मेरे विचार तुम्हारे विचारों से ऊँचे हैं।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु उन सबों के निकट है, जो उसका नाम लेते हैं।
1. मैं दिन-प्रतिदिन तुझे धन्य कहूँगा, मैं सदा-सर्वदा तेरे नाम की स्तुति करूँगा। प्रभु महान् और अत्यन्त प्रशंसनीय है। उसकी महिमा की सीमा नहीं
2. प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनशील और अत्यन्त प्रेममय है। वह सबों का कल्याण करता है, वह अपनी सारी सृष्टि पर दया करता है
3. प्रभु जो कुछ करता है, अच्छा ही करता है। वह जो कुछ करता है, प्रेम से करता है। वह उन सबों के निकट है, जो उसका नाम लेते हैं, जो सच्चे हृदय से उस से विनती करते हैं।
मसीह मुझ में महिमान्वित होंगे, चाहे मैं जीता रहूँ या मर जाऊँ। मेरे लिए तो जीवन है - मसीह । और मृत्यु है उनकी पूर्ण प्राप्ति । किन्तु यदि मैं जीवित रहूँ, तो सफल परिश्रम कर सकता हूँ, इसलिए मैं नहीं समझता कि क्या चुन लूँ। मैं दोनों ओर खिंचा हुआ हूँ। मैं तो चला जाना और मसीह के साथ रहना चाहता हूँ – यह निश्चय ही सर्वोत्तम है, किन्तु मेरे शरीर में विद्यमान रहना आप लोगों के लिए अधिक हितकर है। आप लोग एक बात पर ध्यान रखें योग्य हो।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। जितनों ने उसे अपनाया उन सबों को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया है। अल्लेलूया!
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "स्वर्ग का राज्य उस ज़मीनदार के सदृश है, जो अपनी दाखबारी में मज़दूरों को लगाने के लिए बहुत सबेरे घर से निकला। उसने मज़दूरों के साथ एक दीनार का रोजाना तय किया और उन्हें अपनी दाखबारी भेजा । लगभग पहले पहर वह बाहर निकला और उसने दूसरों को चौक में बेकार खड़ा देख कर कहा, 'तुम लोग भी मेरी दाखबारी जाओ; मैं तुम्हें उचित मज़दूरी दे दूंगा; और वे वहाँ गये। लगभग दूसरे और तीसरे पहर भी उसने बाहर निकल कर ऐसा ही किया। वह एक घंटा दिन रहे फिर बाहर निकला और वहाँ दूसरों को खड़ा देख कर उनसे बोला, 'तुम लोग यहाँ दिन भर क्यों बेकार खड़े हो?' उन्होंने उत्तर दिया, 'इसलिए कि किसी ने हमें मज़दूरी में नहीं लगाया' । उसने उन से कहा, 'तुम लोग भी मेरी दाखबारी में जाओ'। संध्या होने पर दाखबारी के मालिक ने अपने कारिन्दे से कहा, 'मज़दूरों को बुलाओ; बाद में आने वालों से ले कर पहले आने वालों को, सब को मज़दूरी दे दो। जब वे मज़दूर आये, जो एक घंटा दिन रहे काम पर लगाये गये थे, तो उन्हें एक-एक दीनार मिला । जब पहले मज़दूर आये, तो वे समझ रहे थे कि उन्हें अधिक मिलेगा; लेकिन उन्हें भी एक-एक दीनार ही मिला । उसे पा कर वे जमींदार के विरुद्ध भुनभुनाने लगे और बोले, 'इन पिछले मज़दूरों ने केवल घंटे भर काम किया। तब भी आपने इन्हें हमारे बराबर बना दिया, जो दिन भर कठोर परिश्रम करते और धूप सहते रहे'। उसने उन में से एक को यह कह कर उत्तर दिया, भई ! मैं तुम्हारे साथ अन्याय नहीं कर रहा हूँ। क्या तुमने मेरे साथ एक दीनार नहीं तय किया था? अपनी मज़दूरी ले लो और जाओ। मैं इस पिछले मज़दूर को भी तुम्हारे जितना देना चाहता हूँ। क्या मैं अपनी ही इच्छा के अनुसार अपनी सम्पत्ति का उपयोग नहीं कर सकता? तुम मेरी उदारता पर क्यों जलते हो?' इस प्रकार जो पिछले हैं, वे अगले हो जायेंगे और जो अगले हैं, वे पिछले हो जायेंगे" ।
प्रभु का सुसमाचार।