वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

एज़ेकिएल इस बात पर बल देते हैं कि ईश्वर अन्याय नहीं करता यदि कोई वर्षों तक धर्ममार्ग पर चलने के बाद पाप करने लगता है, तो उसे दण्ड दिया जायेगा। किन्तु ईश्वर दयालु भी हैं यदि कोई बर्षों तक कुमार्ग पर चलने के बाद पश्चात्ताप करता है, तो ईश्वर उसे क्षमा प्रदान करेगा ।

नबी एज़ेकिएल का ग्रंथ 18:25-28

"यदि पापी अपना पापमय जीवन त्याग देता है, तो वह अवश्य जीवित रहेगा।"

प्रभु ने मुझ से यह कहा, "तुम लोग कहते हो कि प्रभु अन्याय करता है। हे इस्त्राएलियो ! मेरी बात सुनो। मैं अन्याय नहीं करता । तुम लोग अवश्य अन्याय करते हो। यदि कोई भला मनुष्य अपनी धार्मिकता त्याग कर अधर्म करने लगता और मर जाता है, तो वह अपने पाप के कारण मर जाता है। और यदि कोई पापी अपना पापमय जीवन त्याग कर धार्मिकता और प्याय के पथ पर चलने लगता है, तो वह अपने जीवन को सुरक्षित रखेगा। यदि उसने अपने पुराने पापों को छोड़ देने का निश्चय किया है, तो वह अवश्य जीवित रहेगा, वह मरेगा नहीं"।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 24:4-9

अनुवाक्य : हे प्रभु ! अपनी दयालुता याद कर ।

1 हे प्रभु तू मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपने पथ बता । मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर। क्योंकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है

2. हे प्रभु ! अपनी करुणा और दयालुता याद कर, जो अनन्तकाल से बनी हुई हैं। तू मेरी जवानी के पाप भुला दे और अपनी भलाई के अनुसार मेरी सुधि लेने की कृपा कर

3. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सन्मार्ग पर ले चलता और पद्द‌लितों को अपना मार्ग बताता है।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस हम से अनुरोध करते हैं कि हम मसीह की विनम्रता का अनुसरण करें और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझें । मसीह इतने विनम्र थे कि ईश्वर होते हुए भी वह दीन बन कर हमारे बीच आये और अंत में उन्होंने क्रूस पर मरना स्वीकार किया ।

फिलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 2:1-11

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है ]
"आप लोग अपने मनोभावों को येसु मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें।"

यदि आप लोगों के लिए मसीह के नाम पर निवेदन तथा प्रेमपूर्ण अनुरोध कुछ महत्त्व रखता हो और आत्मा में सहभागिता, हार्दिक अनुराग तथा सहानुभूति का कुछ अर्थ हो, तो आप लोग एकचित, एक हृदय तथा एकमत हो कर प्रेम के सूत्र में बंध जायें और इस प्रकार मेरा आनन्द परिपूर्ण बना दें। आप दलबन्दी तथा मिथ्याभिमान से दूर रहें। हर व्यक्ति नम्रतापूर्वक दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझे । कोई भी केवल अपने हित का नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे। आप लोग अपने मनोभावों को येसु मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें।

[यद्यपि वह ईश्वर थे और ईश्वर की बराबरी करना उनका पूरा अधिकार था, फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन-हीन बना लिया और मनुष्य का रूप धारण करने के बाद वह मरण तक, हाँ क्रूस पर मरण तक आज्ञाकारी बन गये और इस प्रकार उन्होंने अपने को भी दीन बना लिया। इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बनाया और उन को वह नाम प्रदान किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, जिससे येसु का नाम सुन कर आकाश, पृथ्वी और पाताल के सब निवासी घुटने टेकें तथा पिता की महिमा के लिए सब लोग यह स्वीकार करें कि येसु मसीह प्रभु ही हैं ]

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! तेरी शिक्षा आत्मा और जीवन है। तेरे ही शब्दों में अनन्त जीवन का संदेश है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

प्रस्तुत दृष्टान्त में हमें इन दो बातों की शिक्षा मिलती है। एक तो, हम जो कहते नहीं, बल्कि हम जो करते हैं, उसी के आधार पर हमारा न्याय किया जायेगा। दूसरे जो पापी पश्चात्ताप करता है, वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेगा, किन्तु जो अपने घमण्ड में मसीह का तिरस्कार करता है, उसे दण्ड दिया जायेगा ।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 21:28-32

"बाद में उसे पश्चात्ताप हुआ और वह गया। नाकेदार और वेश्याएँ तुम लोगों से पहले ईश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे ।"

येसु ने महायाजकों तथा जनता के नेताओं से कहा, "आप लोगों का क्या विचार है? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उसने पहले के पास जा कर कहा, 'बेटा ! जाओ आज दाखबारी में काम करो'। उसने उत्तर दिया, 'जी हाँ, पिताजी !' किन्तु वह गया नहीं। पिता ने दूसरे पुत्र के पास जा कर यही कहा; उसने उत्तर दिया, 'मैं नहीं जाऊँगा', किन्तु बाद में उसे पश्चात्ताप हुआ और वह गया। दोनों में से किसने अपने पिता की इच्छा पूरी की?" उन्होंने येसु को उत्तर दिया, "दूसरे ने" । इस पर येसु ने उन से कहा, "मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- नाकेदार और वेश्याएँ तुम लोगों से पहले ईश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे। योहन तुम्हें धार्मिकता का मार्ग दिखाने आया और तुम लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया, परन्तु नाकेदारों और वेश्याओं ने उस पर विश्वास किया; यह देख कर तुम्हें बाद में भी पश्चात्ताप नहीं हुआ और तुम लोगों ने उस पर विश्वास नहीं किया"।

प्रभु का सुसमाचार।