वर्ष का छब्बीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष C

📕पहला पाठ

नबी आमोस धनी लोगों को धिक्कारते हैं। उन्हें देश की विपत्ति तथा दरिद्रों की दुर्दशा की कोई चिन्ता नहीं। उनके भोग-विलास का शीघ्र ही अन्त हो जायेगा। जब शत्रु देश को हरा कर यहूदियों को निर्वासित करेंगे तो धनी लोगों को सब से पहले अपना देश छोड़ना पड़ेगा ।

नबी आमोस का ग्रंथ 6:1,4-7

"भोग-विलास करने वालों को निर्वासित किया जायेगा ।"

सर्वशक्तिमान् प्रभु यह कहता है, धिक्कार उन लोगों को, जो सियोन में भोग-विलास का जीवन बिताते हैं। धिक्कार उन्हें, जो समारिया के पर्वत पर अपने को सुरक्षित समझते हैं । वे हाथीदाँत के पलंगों पर सोते और आराम-कुरसियों पर पैर फैलाये पड़े रहते हैं। वे कुण्ड के मेमने और गोशाला के बछड़े चट कर जाते हैं। वे सारंगी की ध्वनि पर ऊँचे स्वर से गाते और दाऊद की तरह नये वाद्यों का आविष्कार करते हैं। वे प्याले पर प्याला मदिरा पीते और उत्तम सुगंधित तेल से अपने शरीर का विलेपन करते हैं; किन्तु उन्हें यूसुफ के विनाश की चिन्ता नहीं है। इसलिए उन्हें सब से पहले निर्वासित किया जायेगा और उनके भोग-विलास का अन्त हो जायेगा ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 145:6-10

अनुवाक्य : मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करे । (अथवा : अल्लेलूया !)

1. प्रभु सदा ही सत्यप्रतिज्ञ है। वह पद्दलितों को न्याय दिलाता है, वह भूखों को तृप्त करता और बन्दियों को मुक्त कर देता है

2. प्रभु अंधों की आँखों को अच्छा करता और फुके हुए को सीधा करता है। वह परदेशी की रक्षा करता और अनाथ तथा विधवा को सँभालता है

3. प्रभु धर्मियों को प्यार करता और विधर्मी के मार्ग में बाधा डालता है। प्रभु, सियोन का ईश्वर, युगानुयग राज्य करता रहेगा ।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस अपने प्रिय सहयोगी तिमथी से अनुरोध करते हैं कि वह अपनी साधना में दृढ़ बने रहें। ऐसा करने पर तिमथी मसीह की अभिव्यक्ति के दिन ईश्वर के दर्शन करेंगे, जो "अमरता का स्त्रोत है और अगम्य ज्योति में निवास करता है"।

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 6:11-16

"प्रभु की अभिव्यक्ति के दिन तक अपना धर्म निष्कलंक तथा निर्दोष बनाये रखो ।"

ईश्वर के सेवक होने के नाते तुम धार्मिकता, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो । विश्वास के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहो और उस अनन्त जीवन पर अधिकार प्राप्त करो, जिसके लिए तुम बुलाये गये हो और जिसके विषय में तुमने बहुत-से लोगों के सामने अपने विश्वास का उत्तम साक्ष्य दिया है। ईश्वर के सामने, जो सब को जीवन प्रदान करता है और येसु मसीह के सामने, जिन्होंने पोंतियुस पिलातुस के सम्मुख अपना उत्तम साक्ष्य दिया है, मैं तुम को यह आदेश देता हूँ कि हमारे प्रभु येसु मसीह की अभिव्यक्ति के दिन तक अपना धर्म निष्कलंक तथा निर्दोष बनाये रखो। यह अभिव्यक्ति यथासमय परमधन्य तथा एकमात्र अधीश्वर के द्वारा हो जायेगी। वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है, जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्य ज्योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है - उसे सम्मान तथा अनन्त काल तक बना रहने वाला सामर्थ्य । आमेन ।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। जितनों ने उसे अपनाया, उन सबों को उसने ईश्वर की सन्तति बनने का अधिकार दिया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

येसु प्रस्तुत दृष्टान्त द्वारा यह शिक्षा देते हैं कि भौतिक सम्पत्ति तथा भोग-विलास से कोई स्थायी लाभ नहीं होता । किन्तु जो लाजरूस की तरह धैर्य के साथ इस दुनिया में कष्टों का सामना करता है, उसे परलोक में शांति तथा अनन्त जीवन प्राप्त होगा ।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 16:19-31

"तुम्हें जीवन में सुख ही सुख मिला था और लाज़रुस को दुःख ही दुःख । अब उसे यहाँ सान्त्वना मिल रही है और तुम्हें यंत्राणा ।"

येसु ने फ़रीसियों से कहा, "एक अमीर था, जो बैंगनी वस्त्र और मलमल पहन कर प्रतिदिन दावत उड़ाया करता था । उसके फाटक पर लाज़रुस नामक कंगाल पड़ा रहता था जिसका शरीर फोड़ों से भरा था। वह अमीर की मेज की जूठन से अपनी भूख मिटाने के लिए तरसता था, और कुत्ते आ कर उसके फोड़े चाटा करते थे। वह कंगाल एक दिन मर गया और स्वर्गदूतों ने उसे ले जा कर इब्राहीम की गोद में रख दिया । अमीर भी मरा और दफ़नाया गया । उसने अधोलोक में यंत्रणाएँ सहते हुए अपनीआँखें ऊपर उठा कर दूर ही से इब्राहीम को देखा और उसकी गोद में लाज़रुस को भी। उसने पुकार कर कहा, 'पिता इब्राहीम ! मुझ पर दया कीजिए और लाज़रुस को भेजिए जिससे वह अपनी उँगली का सिरा पानी में भिंगोकर मेरी जीभ ठंढी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूँ'। इब्राहीम ने उस से कहा, 'बेटा, याद करो कि तुम्हें जीवन में सुख ही सुख मिला था और लाज़रुस को दुःख ही दुःख । अब उसे यहाँ सान्त्वना मिल रही है और तुम्हें यंत्रणा । इसके अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गर्त्त अवस्थित है; इसलिए यदि कोई तुम्हारे पास जाना भी चाहे, तो वह नहीं जा सकता और कोई भी वहाँ से इस पार नहीं आ सकता ।' उसने उत्तर दिया, 'हे पिता ! आप से एक निवेदन है। आप लाज़रुस को मेरे पिता के घर भेजिए; क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं। लाज़रुस उन्हें चेतावनी दे । कहीं ऐसा न हो कि वे भी यंत्रणा के इस स्थान में आ जायें।' इब्राहीम ने उस से कहा, 'मूसा और नबियों की पुस्तकें उनके पास हैं, वे उनकी सुनें'। अमीर ने कहा, 'हे पिता इब्राहीम, वे कहाँ सुनते हैं; परन्तु यदि मुरदों में से कोई उनके पास जाये, तो वे पश्चात्ताप करेंगे'। पर इब्राहीम ने उस से कहा, 'जब वे मूसा और नबियों की नहीं सुनते, तब यदि मुरदों में से कोई जी भी उठे, तो वे उसकी भी बात नहीं मानेंगे' ।"

प्रभु का सुसमाचार।