मैं अपने मित्र की दाखबारी के विषय में अपने मित्र को एक गीत सुनाऊँगा । उपजाऊ ढाल पर मेरे मित्र की दाखबारी थी । उसने इसकी ज़मीन खुदवायी, इस में से पत्थर निकाल दिये और इस में बढ़िया दाख लगवा दी। उसने इसके बीच में मीनार बनवायी और इस में एक कोल्हू भी खुदवाया। उसे अच्छी फसल की आशा थी, किन्तु उसे खट्टे अंगूर ही मिले । हे येरुसालेम के निवासियो ! हे यूदा के लोगो ! अब, तुम मेरा तथा मेरी दाखबारी के बीच न्याय करो । कौन-सी बात रह गयी थी, जिसे मैं अपनी दाखबारी के लिए कर सकता था और जिसे मैंने उसके लिए नहीं किया? मुझे अच्छी फसल की आशा थी, किन्तु मुझे खट्टे अंगूर ही मिले । अब, मैं तुम्हें बताऊँगा कि अपनी दाखबारी का क्या करूँगा। मैं उसका बाड़ा हटाऊँगा और पशु उसमें चरने आयेंगे । मैं उसकी दीवारें ढाऊँगा और लोग उसे पैरों तले रौंद देंगे। वह उजड़ जायेगी; कोई भी उसे छाँटने या खोदने नहीं आयेगा और उस में झाड़-भंखार उग जायेगा। मैं बादलों को आदेश दूँगा कि वे उस पर पानी नहीं बरसायें । विश्वमण्डल के प्रभु की यह दाखबारी इस्राएल का घराना है और इसके उत्तम पौधे यूदा के लोग हैं। प्रभु को न्याय की आशा थी और भ्रष्टाचार दिखाई दिया। उसे धार्मिकता की आशा थी और अधर्म के कारण हाहाकार सुनाई पड़ा ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु की दाखबारी इस्त्राएल का घराना है।
1. तू मिस्त्र देश से एक दाखलता लाया । तूने दूसरे राष्ट्रों को भगा कर उसे रोप दिया। वह अपनी डालियाँ समुद्र तक और अपनी टहनियाँ नदी तक फैलाती थी।
2. तूने उसका बाड़ा क्यों तोड़ डाला? उधर निकलने वाले उसके फल तोड़ लेते हैं। जंगली सूअर उसे उजाड़ते हैं और खेत के पशु उस में चरते हैं।
3. विश्वमण्डल के प्रभु! स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि कर। तूने यह दाखलता लगायी है, आ कर इसकी रक्षा कर।
4. हम फिर कभी तुझे नहीं छोड़ेंगे। हमें बचाने की कृपा कर, जिससे हम तेरी स्तुति करें । विश्वमण्डल के प्रभु ! हमें वापस बुला । हम पर दयादृष्टि कर और हमारा उद्धार हो जायेगा।
किसी बात की चिन्ता मत कीजिए। हर जरूरत में प्रार्थना कीजिए और विनय तथा धन्यवाद के साथ ईश्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत कीजिए। और ईश्वर की शांति, जो हमारी समझ से परे है, आपके हृदयों और विचारों को येसु मसीह में सुरक्षित रखेगी । भाइयो ! अन्त में यह जो कुछ सच है, आदरणीय है, जो कुछ न्यायसंगत है, निर्दोष है, जो कुछ प्रीतिकर है, मनोहर है, जो कुछ भी उत्तम है, प्रशंसनीय है ऐसी बातों का मनन किया करें। आप लोगों ने मुझ से जो सीखा, ग्रहण सत्ताईसवाँ सप्ताह - इतवार किया, सुन लिया और मुझ में देखा, उसी के अनुसार आचरण करें। और शांति का ईश्वर, आप लोगों के साथ रहेगा।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी ।" अल्लेलूया !
येसु ने महायाजकों और जनता के नेताओं से कहा, "एक दूसरा दृष्टान्त सुनो। किसी जमींदार ने एक दाखबारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मकान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया। फसल का समय आने पर उसने असामियों के पास अपने नौकरों को भेजा, जिससे वे फसल का हिस्सा वसूल करें। किन्तु असामियों ने उसके नौकरों को पकड़ कर उन में से किसी को मारा-पीटा, किसी की हत्या कर दी और किसी को पत्थर से मार डाला। इसके बाद उसने पहले से अधिक नौकरों को भेजा और असामियों ने उनके साथ भी वैसा ही किया। अंत में उसने यह सोच कर अपने पुत्र को उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। किन्तु पुत्र को देख कर असामियों ने एक दूसरे से कहा, 'यह उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें । और इसकी विरासत पर कब्जा कर लें ।' उन्होंने उसे पकड़ लिया और दाखबारी से बाहर निकाल कर मार डाला। जब दाखबारी का स्वामी लौटेगा तो वह उन असामियों का क्या करेगा?" उन्होंने येसु से कहा, "वह उन दुष्टों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी का पट्टा दूसरे असामियों को देगा, जो समय पर फसल का हिस्सा देते रहेंगे"। येसु ने उन से कहा, "क्या तुम लोगों ने धर्मग्रंथ में कभी यह नहीं पढ़ा? कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है। इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ स्वर्ग का राज्य तुम से ले लिया जायेगा और ऐसे राष्ट्र को दिया जायेगा, जो इसका उचित फल उत्पन्न करेगा"।
प्रभु का सुसमाचार।