वर्ष का उनतीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

ईश्वर समस्त मानव जाति का सूत्रधार और विधाता है। वह गैर- यहूदी सम्राट सीरुस द्वारा अपनी प्रजा इस्राएल का उद्धार करता है। हमें विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर हमारे जीवन की प्रत्येक घटना जानता है और इसके द्वारा हमें मुक्ति के मार्ग पर ले चलता है।

नबी इसायस का ग्रंथ 45:1,4-6

"मैंने राष्ट्रों को सीरुस के अधीन करने के लिए उसका दाहिना हाथ सँभाला है।"

प्रभु ने अपने अभिषिक्त सीरुस का दाहिना हाथ सँभाला है। उसने राष्ट्रों को सीरुस के अधीन कर दिया और राजाओं के शस्त्र ले लिये । प्रभु ने उसके लिए फाटकों को तोड़ दिया। अब उसके सामने कोई भी द्वार बन्द नहीं रहा । प्रभु उसी सीरुस से यह कहता है - मैंने अपने सेवक याकूब तथा अपने कृपापात्र इस्राएल के कारण तुम को नाम ले कर बुलाया और महान् बना दिया है, यद्यपि तुम मुझे नहीं जानते। मैं ही प्रभु हूँ, कोई दूसरा नहीं है। मुझे छोड़ कर कोई अन्य ईश्वर नहीं है। यद्यपि तुम मुझे नहीं जानते, तो भी मैंने तुम्हें शस्त्र प्रदान किये, जिससे पूर्व से पश्चिम तक सभी लोग यह जान जायें कि मुझे छोड़ कर कोई दूसरा नहीं ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 95:1,3-5,7-10

अनुवाक्य : प्रभु की महिमा तथा शक्ति का बखान करो ।

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी प्रभु का भजन सुनाये। सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो । सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ

2. प्रभु महान् है और अत्यन्त प्रशंसनीय । अन्य राष्ट्रों के देवता निस्सार हैं- हमारा प्रभु ही परम श्रद्धेय है। प्रभु ने आकाश का निर्माण किया है

3. पृथ्वी की सभी जातियो ! प्रभु की महिमा का तथा शक्ति का बखान करो। उसके नाम की महिमा का गीत सुनाओ । चढ़ावा ले कर प्रभु के प्रांगण में प्रवेश करो

4. प्रभु के मंदिर में उसकी आराधना करो। समस्त पृथ्वी उसके सामने काँप उठे। राष्ट्रों को यह घोषित करो - "प्रभु ही राजा हैं। वह न्यायपूर्वक सभी लोगों का विचार करेगा"।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस थैसलोनिका के मसीही समुदाय का विश्वास, भरोसा और प्रेम देख कर आनन्दित हैं। वह स्वयं ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और थेसलनीकियों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें भी ईश्वर को उसके वरदानों के लिए धन्यवाद देना चाहिए।

थेसलनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-5

"हम आप लोगों का विश्वास, प्रेम तथा भरोसा निरन्तर स्मरण करते हैं।"
पिता-परमेश्वर तथा प्रभु येसु मसीह पर आधारित का पत्र । आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति ! जब-जब हम आप लोगों को अपनी प्रार्थना में याद करते हैं, तो हम हमेशा आप सबों के कारण ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। आपका सक्रिय विश्वास, प्रेम से प्रेरित आपका परिश्रम तथा हमारे प्रभु येसु मसीह पर आपका अटल भरोसा यह सब हम अपने पिता-परमेश्वर के सामने निरन्तर स्मरण करते हैं। भाइयो ! हम जानते हैं कि ईश्वर आप को प्यार करता है। ईश्वर ने आप को चुना है, क्योंकि हमने निरे शब्दों द्वारा नहीं, बल्कि सामर्थ्य, पवित्र आत्मा तथा दृढ़ विश्वास के साथ आप लोगों के बीच अपने सुसमाचार का प्रचार किया ।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मार्ग, सत्य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता ।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

येसु के शत्रु उन्हें फँसाना चाहते हैं। क्या वह इस्राएल के शत्रुओं का पक्ष लेते हैं अथवा उनका विरोध करते हैं? येसु अपने उत्तर द्वारा यह दिखलाते हैं कि इस दुनिया की समस्याओं में उलझ कर हमें ईश्वर को नहीं भुलाना चाहिए ।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 22:15-21

"जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो ईश्वर का है, उसे ईश्वर को।"

फ़रीसी आपस में परामर्श करने लगे कि हम किस प्रकार येसु को उनकी अपनी बात के फन्दे में फँसायें । इन्होंने हेरोदियों के साथ अपने शिष्यों को यह प्रश्न पूछने येसु के पास भेजा, "गुरुवर ! हम जानते हैं कि आप सत्य बोलते हैं और सच्चाई से ईश्वर का मार्ग सिखलाते हैं। आप को किसी की परवाह नहीं। आप मुँह-देखी बातें नहीं करते । इसलिए हमें बताइए, आपका क्या विचार है - कैसर को कर देना उचित है या नहीं?" उनकी धूर्तता भाँप कर येसु ने कहा, "रे ढोंगियो ! मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? कर का सिक्का मुझे दिखलाओ।" जब उन्होंने एक दीनार प्रस्तुत किया तो येसु ने उन से कहा, "यह किसका चेहरा और किसका लेख है?" उन्होंने उत्तर दिया, "कैसर का।" इस पर येसु ने उन से कहा, "तो, जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो ईश्वर का है, उसे ईश्वर को।"

प्रभु प्रभु का सुसमाचार।