वर्ष का उनतीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष B

📕पहला पाठ

इसायस ने ईश्वर के निर्दोष सेवक के विषय में कहा है कि उसने दूसरों का अधर्म अपने ऊपर लिया और प्रायश्चित्त के रूप में अपना जीवन अर्पित किया। यह भविष्यवाणी येसु में पूरी हो गयी। येसु ने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित्त किया।

नबी इसायस का ग्रंथ 53:10-11

"उसने प्रायश्चित्त के रूप में अपना जीवन अर्पित किया; इसलिए उसका वंश बहुत दिनों तक बना रहेगा।"

प्रभु ने चाहा कि वह दुःख से रौंदा जाये। उसने प्रायश्चित्त के रूप में अपना जीवन अर्पित किया; इसलिए उसका वंश बहुत दिनों तक बना रहेगा और उसके द्वारा प्रभु की इच्छा पूरी होगी। वह अपने दुःखभोग का परिणाम देख कर संतुष्ट होगा। उसने दुःख सह कर जिन लोगों का अधर्म अपने ऊपर लिया था, वह उन्हें उनके पापों से मुक्त करेगा ।

📖भजन : स्तोत्र 32:4-5,18-20,22

अनुवाक्य : हे प्रभु ! तेरा प्रेम हम पर बना रहे तुझ पर ही हमारा भरोसा है।

1. प्रभु का वचन सच्चा है, उसके समस्त कार्य विश्वसनीय हैं। उसे धार्मिकता और न्याय प्रिय हैं। पृथ्वी उसके प्रेम से भरपूर है।

2. प्रभु की कृपादृष्टि अपने भक्तों पर बनी रहती है, उन पर जो उसके प्रेम पर यह भरोसा रखते हैं कि वह उन्हें मृत्यु से बचायेगा और अकाल के समय उनका पोषण करेगा।

3. हम प्रभु की राह देखते हैं। वही हमारा सहायक और रक्षक है। हे प्रभु ! तेरा प्रेम हम पर बना रहे। तुझ पर ही हमारा भरोसा है।

📘दूसरा पाठ

येसु पाप को छोड़कर सब बातों में हमारे समान बन गये, इसलिए वह हम से सहानुभूति रखते हैं। हम निस्संकोच उनके पास जायें, क्योंकि वह हमें प्यार करते हैं और हर मुसीबत में हमारी सहायता करने के लिए तैयार हैं।

इब्रानियों के नाम पत्र 4:14-16

"हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें ।"

हमारे एक अपने महान् सहायक हैं, अर्थात् ईश्वर के पुत्र येसु, जो स्वर्ग पहुँच गये हैं। इसलिए हम अपने विश्वास में दृढ़ रहें । हमारे महायाजक हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी भी परीक्षा ली गयी है। इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें जिससे हमें दया मिल जाये और हम वह कृपा प्राप्त करें जो हमारी दुर्बलताओं में हमारी सहायता करेगी ।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने राज्य के रहस्यों को निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

ज़ेबेदी के पुत्र महत्त्वाकांक्षी थे। वे उदार भी थे और येसु के लिए दुःख उठाने के लिए प्रस्तुत भी। येसु उनकी महत्त्वाकांक्षा को भाइयों के सेवा-भाव में बदल देते हैं। वह उन से तथा अपने शिष्यों से कहते हैं कि तुम लोगों में जो बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने ।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 10, 35-45

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है]
“मानव पुत्र बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है।"

[ ज़ेबेदी के पुत्र याकूब और योहन येसु के पास आ कर बोले, "गुरुवर ! हम अपने लिए एक निवेदन कर रहे हैं। आप उसे पूरा करें"। येसु ने उत्तर दिया, "क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?" उन्होंने कहा, "अपने राज्य की महिमा में हम दोनों को अपने साथ बैठने दीजिए, एक को अपने दायें और एक को अपने बायें"। येसु ने उन से कहा, "तुम नहीं जानते कि क्या माँग रहे हो। जो प्याला मुझे पीना है, क्या तुम उसे पी सकते हो, और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, क्या तुम उसे ले सकते हो?" उन्होंने उत्तर दिया, "हम यह कर सकते हैं" । इस पर येसु ने कहा “जो प्याला मुझे पीना है, उसे तुम पियोगे और जो बपतिस्मा मुझे लेना है, उसे तुम लोगे, किन्तु तुम्हें अपने दायें या बायें बैठने देने का अधिकार मेरा नहीं है; वे स्थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए वे तैयार किये गये हैं" । जब दस प्रेरितों को यह मालुम हुआ तो वे याकूब और योहन पर क्रुद्ध हो गये ।]

येसु ने उन्हें अपने पास बुला कर कहा, "तुम जानते हो कि जो संसार के अधिपति माने जाते हैं, वे अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और सत्ताधारी लोगों पर अधिकार जताते हैं। तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने और जो तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। क्योंकि मानव पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के उद्धार के लिए अपने प्राण देने आया है" ।

प्रभु का सुसमाचार।