वर्ष का उनतीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष C

📕पहला पाठ

ईश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है यह शिक्षा बाइबिल में बारम्बार दोहरायी जाती है। प्रस्तुत पाठ में मूसा की प्रार्थना द्वारा यहूदियों की विजय-प्राप्ति का वर्णन किया गया है।

निर्गमन-ग्रंथ 17:8-13

"जब तक मूसा हाथ ऊपर उठाये रखता था, तब तक इस्त्राएली प्रबल बने रहते थे ।"

अमालेकी लोगों ने आ कर रेफीदीम में इस्त्राएलियों पर आक्रमण किया। मूसा ने योशुआ से कहा, "अपने लिए आदमियों को चुन लो और कल सुबह अमालेकियों से युद्ध करने जाओ। मैं हाथ में ईश्वर का डण्डा लिए पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूँगा"। मूसा के आदेश के अनुसार योशुआ अमालेकियों से युद्ध करने निकला और मूसा, हारून तथा हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़े । जब तक मूसा हाथ ऊपर उठाये रखता था, तब तक इस्स्राएली प्रबल बने रहते थे और जब वह अपने हाथ गिरा देता था, तो अमालेकी प्रबल हो जाते थे। जब मूसा के हाथ थकने लगे, तो उन्होंने एक पत्थर ला कर भूमि पर रख दिया और मूसा उस पर बैठ गया । हारून और हूर उसके हाथ सँभालते रहे, पहला इस ओर से और दूसरा उस ओर से । इस तरह मूसा ने सूर्यास्त तक अपने हाथ ऊपर उठाये रखा । योशुआ ने अमालेकियों और उनके सैनिकों को तलवार के घाट उतार दिया ।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 120

अनुवाक्य : जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया, वही मेरी सहायता करेगा ।

1. मैं पर्वतों की ओर देखता रहता हूँ क्या वहाँ से मुझे सहायता मिलेगी? जिसने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया, वही प्रभु मेरी सहायता करेगा।

2. वह तुम्हें कभी विचलित न होने दे, तुम्हारा रक्षक न सो जाये। नहीं ! इस्राएल की रक्षा करने वाला न तो सोता है और न झपकी लेता है।

3. प्रभु ही तुम्हारी रक्षा करता है, वह छाया की तरह तुम्हारे दाहिने रहता है। न तो दिन में सूर्य से तुम्हारी कोई हानि होगी और न रात में चंद्रमा से।

4. प्रभु तुम्हें बुराई से बचायेगा। वह तुम्हारी आत्मा की रक्षा करेगा। तुम जहाँ कहीं जाओगे, प्रभु तुम्हारी रक्षा करेगा, अभी और अनन्त काल तक ।

📘दूसरा पाठ

धार्मिक मनुष्य का विश्वास है कि ईश्वर बाइबिल के माध्यम से उसे शिक्षा देता है। सन्त पौलुस अपने सहयोगी तिमथी की धर्मग्रंथ का महत्त्व समझाते हैं तथा धर्मग्रंथ से बल पा कर समय-असमय सुसमाचार सुनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

तिमथी के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 3:14-4:2

"ईश्वर-भक्त पूर्ण और हर प्रकार के सत्कार्य के लिए उपयुक्त हो जाता है।"

जो शिक्षा तुम्हें मिली है और जिस में तुम ने विश्वास किया है, उस पर आचरण करते रहो । याद रखो कि किन लोगों से तुम्हें यह शिक्षा मिली थी और कि तुम बचपन से धर्मग्रंथ जानते हो । धर्मग्रंथ तुम्हें उस मुक्ति का ज्ञान दे सकता है, जो येसु मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है। पूरा धर्मग्रंथ ईश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है और वह शिक्षा देने के लिए, भ्रान्त धारणा का खण्डन करने के लिए, जीवन के सुधार के लिए और सदाचरण का प्रशिक्षण देने के लिए उपयोगी है। इस कारण ईश्वर-भक्त धर्मग्रंथ द्वारा पूर्ण और हर प्रकार के सत्कार्य के लिए उपयुक्त हो जाता है। ईश्वर के सामने और जीवितों तथा मृतकों के न्यायकर्त्ता येसु मसीह के सामने, मैं मसीह के पुनरागमन तथा उनके राज्य के नाम पर, तुम से यह अनुरोध करता हूँ- सुसमाचार सुनाओ, समय-असमय लोगों से आग्रह करते रहो । बड़े धैर्य से तथा शिक्षा देने के उद्देश्य से लोगों को समझाओ, डाँटो और ढारस बँधाओ।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी ।" अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

येसु मसीह नास्तिक न्यायकर्त्ता तथा विधवा के दृष्टान्त द्वारा हमें यह शिक्षा देते हैं कि हमें प्रार्थना करते-करते कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए । ईश्वर हमारी हर प्रार्थना सुनता है। यदि वह हमारी माँग पूरी करने में देर करता है, तो हमें विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर हमारा हित ध्यान में रख कर ऐसा करता है ।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:1-8

"ईश्वर अपने चुने हुए लोगों के लिए न्याय की व्यवस्था करेगा।"

नित्य प्रार्थना करनी चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए- येसु ने यह समझाने के लिए उन्हें एक दृष्टान्त सुनाया। "किसी नगर में एक न्यायकर्त्ता था, जो न तो ईश्वर से डरता और न किसी की परवाह करता था। उसी नगर में एक विधवा थी। वह उसके पास आ कर कहा करती थी, 'मेरे मुद्दई के विरुद्ध मुझे न्याय दिलाइए' । कुछ समय तक वह अस्वीकार करता रहा। बाद में उसने मन-ही-मन सोचा, 'मैं न तो ईश्वर से डरता और न किसी की परवाह करता हूँ, किन्तु वह विधवा मुझे तंग करती है; इसलिए मैं उसके लिए न्याय की व्यवस्था करूँगा, जिससे वह बार-बार आ-आ कर मेरी नाक में दम न करती रहे'।" प्रभु ने कहा, "सुनते हो कि वह अधर्मी न्यायकर्त्ता क्या कहता है? क्या ईश्वर अपने चुने हुए लोगों के लिए, जो रात-दिन उसकी दुहाई देते रहते हैं, न्याय की व्यवस्था नहीं करेगा? क्या वह उनके विषय में देर करेगा? मैं तुम से कहता हूँ - वह शीघ्र ही उनके लिए न्याय करेगा। परन्तु जब मानव पुत्र आयेगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास बचा हुआ पायेगा?"

प्रभु का सुसमाचार।