वर्ष का तीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

मूसा, ईश्वर से प्रेरित हो कर, यहूदियों को सक्रिय भ्रातृप्रेम की शिक्षा देते हैं। उन्हें विशेष रूप से उन लोगों की सहायता करनी है, जो दीन-हीन हैं जैसे परदेशी, विधवा और अनाथ। ईश्वर ऐसे लोगों के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को कठोर दण्ड देगा।

निर्गमन-ग्रंथ 22:20-26

“यदि तुम विधवा अथवा अनाथ के साथ दुर्व्यवहार करोगे, तो मेरा क्रोध भड़क उठेगा।"

प्रभु मूसा से बोला, "इस्राएलियों से यह कहो तुम लोग परदेशी के साथ अन्याय मत करो, उस पर अत्याचार मत करो, क्योंकि तुम भी मित्र देश में परदेशी थे। तुम विधवा अथवा अनाथ के साथ दुर्व्यवहार मत करो। यदि तुम उनके साथ दुर्व्यवहार करोगे और वे मेरी दुहाई देंगे, तो मैं उनकी पुकार सुनूँगा और मेरा क्रोध भड़क उठेगा। मैं तुम को तलवार के घाट उतरवा दूँगा और तुम्हारी पत्नियाँ विधवा और तुम्हारे बच्चे अनाथ हो जायेंगे। यदि तुम अपने बीच रहने वाले किसी दरिद्र देशभाई को रुपया उधार देते हो, तो सूदखोर मत बनो तुम उस से ब्याज मत लो। यदि तुम रेहन के तौर पर किसी की चादर लेते हो, तो सूर्यास्त से पहले उसे लौटा दो; क्योंकि ओढ़ने के लिए उसके पास और कुछ नहीं है। वह उसी से अपना शरीर ढक कर सो जाता है। यदि वह मेरी दुहाई देगा, तो मैं उसकी सुनूँगा, क्योंकि मैं दयालु हूँ।"

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 17:2-4,47-51

अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं तुझे प्यार करता हूँ तू मेरा बल है।

1. हे प्रभु! मैं तुझे प्यार करता हूँ, तू मेरा बल है, तूने मुझे अत्याचार से बचा लिया है। प्रभु ही मेरी चट्टान और मेरा गढ़ है, मेरे ईश्वर ने मेरा उद्धार किया है। वही मेरी चट्टान है, जहाँ मुझे शरण मिलती है, वही मेरी ढाल और मेरा शक्तिशाली सहायक है।

2. प्रभु की जय! धन्य है मेरी चट्टान! मेरे मुक्तिदाता ईश्वर की स्तुति हो। जिसे तूने राज्याभिषेक दिया है, उसे तू सँभालता और जिताता है।

📘दूसरा पाठ

थेसलोनिका के निवासियों ने प्रभु येसु तथा सन्त पौलुस का अनुसरण किया था। उनके दृढ़ विश्वास की चरचा समस्त युनानी देश में फैल गयी और उनका यह धर्माचरण सुसमाचार के प्रचार में बहुत ही सहायक हुआ। आजकल भी धर्म-प्रचार का सर्वोत्तम साधन है विश्वासियों का सदाचरण और भ्रातृप्रेम।

थेसलनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 1:5-10

"आप लोग देवमूर्त्तियाँ छोड़ कर ईश्वर के सेवक बन गये। अब आप उसके पुत्र की प्रतीक्षा करते हैं।"

आप लोग जानते हैं कि आपके कल्याण के लिए आपके बीच हमारा आचरण कैसा रहा। आप लोगों ने हमारा तथा प्रभु का अनुसरण किया और घोर कष्टों का सामना करते हुए पवित्र आत्मा की प्रेरणा से आनन्दपूर्वक सुसमाचार स्वीकार किया। इस. प्रकार आप मकेदूनिया तथा अवैया के सब विश्वासियों के लिए आदर्श बन गये। आप लोगों के यहाँ से प्रभु का सुसमाचार न केवल मकेदूनिया तथा अवैया में फैल गया, बल्कि ईश्वर में आपके विश्वास की चरचा सर्वत्र हो रही है। हमें कुछ नहीं कहना है। लोग स्वयं हमें बताते हैं कि आपके यहाँ हमारा कैसा स्वागत हुआ और आप किस प्रकार देवमूर्तियाँ छोड़ कर ईश्वर की ओर अभिमुख हुए, जिससे आप सच्चे तथा जीवन्त ईश्वर के सेवक बन जायें और उसके पुत्र येसु की प्रतीक्षा करें, जिसे ईश्वर ने मृतकों में से जिलाया है। यही येसु स्वर्ग से उतरेंगे और हमें आने वाले प्रकोप से बचायेंगे।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! यदि कोई मुझे प्यार करेगा, तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम सब उसके पास आ कर उस में निवास करेंगे। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

येसु हमें याद दिलाते हैं कि ईश्वर के प्रति हमारे प्रेम की कसौटी है हमारा भ्रातृप्रेम। इन दोनों को अलग नहीं किया जा सकता है। सच्चे मसीही जीवन का मर्म यह है कि हम दूसरों को अपने समान प्यार करें।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 22:34-40

"अपने प्रभु-ईश्वर को और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।"

जब फ़रीसियों ने यह सुना कि येसु ने सदूकियों का मुँह बन्द कर दिया है, तो वे इकट्ठे हो गये और उन में से एक शास्त्री ने येसु की परीक्षा लेने के लिए उन से पूछा, "गुरुवर! संहिता में सब से बड़ी आज्ञा कौन-सी है? " येसु ने उस से कहा, "अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो। यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। दूसरी आज्ञा उसी के सदृश है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन्हीं दो आज्ञाओं पर समस्त संहिता और नबियों की शिक्षा अवलंबित हैं।"

प्रभु का सुसमाचार।