विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है, "मैं महान् राजा हूँ। राष्ट्रों में लोग मेरे नाम से डरते हैं। हे याजको! मैं तुम्हें चेतावनी देता हूँ। यदि तुम नहीं सुनोगे, यदि तुम मेरे नाम का आदर करने का ध्यान नहीं रखोगे, तो विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है - मैं तुम्हें और तुम्हारी धन-सम्पत्ति को अभिशाप दूँगा। तुम लोग भटक गये हो और अपनी शिक्षा द्वारा तुमने बहुत-से लोगों को विचलित कर दिया। विश्वमण्डल का प्रभु कहता है कि तुम लोगों ने लेवी का विधान भंग किया है। तुमने मेरा मार्ग छोड़ दिया और अपनी शिक्षा में भेदभाव रखा है, इसलिए मैंने सारी जनता की दृष्टि में तुम्हें घृणित और तुच्छ बना दिया है। क्या हम सबों का एक ही पिता नहीं? क्या एक ही ईश्वर ने हमारी सृष्टि नहीं की? तो, अपने पूर्वजों का विधान अपवित्र करते हुए हम एक दूसरे के साथ विश्वासघात क्यों करते हैं?"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मेरी आत्मा तेरे निकट शांति पा सके!
1. हे प्रभु! मेरे हृदय में अहंकार नहीं है। मैं महत्त्वकांक्षी नहीं हूँ। मैं न तो बड़ी-बड़ी योजनाओं के फेर में पड़ा और न ऐसे कार्यों की कल्पना की, जो मेरी शक्ति के परे हैं।
2. मैं माँ की गोद में सोये हुए दूध छुड़ाये बच्चे की भाँति तेरे सामने शांत और मौन रहता हूँ।
3. हे इस्राएल! प्रभु पर भरोसा रखो, अभी और अनन्तकाल तक।
अपने बच्चों का लालन-पालन करने वाली माता की तरह हमने आप लोगों के साथ कोमल व्यवहार किया। आपके प्रति हमारी ममता तथा हमारा प्रेम यहाँ तक बढ़ गया था कि हम आपको सुसमाचार के साथ अपना जीवन भी अर्पित करना चाहते थे। भाइयो! आप को हमारा कठोर परिश्रम याद होगा। आपके बीच सुसमाचार का प्रचार करते समय हम दिन-रात काम करते रहे, जिससे किसी पर भार न डालें। हम इसलिए निरन्तर ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि जब आपने हम से ईश्वर का संदेश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्यों का वचन नहीं, बल्कि जैसा कि वह वास्तव में है - ईश्वर का वचन समझ कर स्वीकार किया है। और यह वचन अब आप विश्वासियों में क्रियाशील है।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैंने अपने पिता से जो कुछ सुना है, वह सब तुम्हें बता दिया है।" अल्लेलूया!
येसु ने जनसमूह तथा अपने शिष्यों से कहा, "शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं, इसलिए वे तुम लोगों से जो कुछ कहें, वह करते और मानते रहो; परन्तु उनके कर्मों का अनुसरण न करो, क्योंकि वे कहते तो हैं, पर करते नहीं। वे बहुत-से भारी बोझ बाँध कर लोगों के कंधों पर लाद देते हैं, परन्तु स्वयं उँगली से भी उन्हें उठाना नहीं चाहते। वह हर काम लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही करते हैं; वे अपने ताबीज चौड़े बना लेते हैं और अपने कपड़ों के झब्बे बढ़ाते हैं। भोजों में प्रमुख स्थानों पर और सभागृहों में प्रथम आसनों पर विराजमान हो जाना, बाज़ारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना और जनता द्वारा गुरुवर कहलाना - यह सब उन्हें बहुत पसन्द है।” तुम लोग 'गुरुवर' कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु है और तुम सब के सब भाई हो। पृथ्वी पर किसी को अपना 'पिता' न कहो, क्योंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्वर्ग में है। 'आचार्य' भी कहलाना स्वीकार न करो, क्योंकि तुम्हारा एक ही आचार्य है अर्थात् मसीह। जो तुम लोगों में से सब से बड़ा है, वह तुम्हारा सेवक बने। जो अपने को बड़ा मानता है, वह छोटा बनाया जायेगा और जो अपने को छोटा मानता है, वह बड़ा बनाया जायेगा।”
प्रभु का सुसमाचार।