वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष A

📕पहला पाठ

दुनिया की बुद्धिमानी में और ईश्वर की प्रज्ञा में बहुत अन्तर है। जो लोग ईश्वर की प्रज्ञा को प्यार करते हैं और उसे खोजते हैं, वे उसे प्राप्त करते हैं, और ईश्वर की प्रज्ञा उन्हें शांति प्रदान करती है।

प्रज्ञा-ग्रंथ 6:12-16

“जो प्रज्ञा को खोजते, वे उसे प्राप्त कर लेते हैं।"

प्रज्ञा देदीप्यमान है। वह कभी मलिन नहीं होती। जो लोग उसे प्यार करते हैं, वे उसे सहज ही पहचानते हैं। जो उसे खोजते हैं, वे उसे प्राप्त कर लेते हैं। जो उसे चाहते हैं, वह स्वयं आ कर उन्हें अपना परिचय देती है। जो उसे खोजने के लिए बड़े सबेरे उठते हैं, उन्हें परिश्रम नहीं करना पड़ेगा - वे उसे अपने द्वार के सामने बैठा हुआ पायेंगे। उस पर मनन करना बुद्धिमानी की परिपूर्णता है। जो उसके लिए जागरण करेगा, वह शीघ्र ही पूर्ण शांति प्राप्त करेगा। वह स्वयं उन लोगों की खोज में निकलती है, जो उसके योग्य हैं। वह कृपापूर्वक उन्हें मार्ग में दिखाई देती है और उनके प्रत्येक विचार में उन से मिलने आती है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 62:2-8

अनुवाक्य : हे ईश्वर! मेरे ईश्वर! मेरी आत्मा तेरे लिए तरसती है।

1. हे ईश्वर! तू ही मेरा ईश्वर है। मैं तुझे ढूँढ़ता रहता हूँ। मेरी आत्मा तेरे लिए तरसती है। जल के लिए सूखी, सन्तप्त भूमि की तरह मैं तेरे दर्शनों के लिए लालायित हूँ।

2. मैं तेरे पवित्र मंदिर में तेरे सामर्थ्य और तेरी महिमा देखना चाहता हूँ। तेरा प्रेम प्राणों से भी अधिक वांछनीय है। मेरा कंठ तेरी स्तुति करता रहेगा।

3. मैं जीवन भर तुझे धन्य कहूँगा और हाथ जोड़ कर तुझ से प्रार्थना करता रहूँगा। तू मेरी आत्मा को तृप्त कर देता है। मैं उल्लसित हो कर तेरी महिमा का बखान करता हूँ।

4. मैं अपनी शय्या पर भी तुझे याद करता हूँ, मैं रात भर तेरा मनन करता हूँ। तू सदा ही मेरा सहारा रहा है। मैं तेरे पंखों की छाया में सुखी हूँ।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस थेसलनीकियों को विश्वास दिलाते हैं कि जो लोग येसु में विश्वास करते हुए मर गये, उन्हें अनन्त जीवन प्राप्त होगा। इसलिए वह अनुरोध करते हैं कि वे मृतकों के लिए उन लोगों की तरह शोक न मनायें; जिन्हें अनन्त जीवन और पुनरुत्थान की कोई आशा नहीं है।

थेसलनीकियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 4:13-18

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है ]
"जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा।"

भाइयो! हम चाहते हैं कि आप लोगों को मृतकों के विषय में निश्चित जानकारी हो। कहीं ऐसा न हो कि आप उन लोगों की तरह शोक मनायें, जिन्हें कोई आशा नहीं है। हम तो विश्वास करते हैं कि येसु मर गये और फिर जी उठे। जो येसु में विश्वास करते हुए मर गये हैं, ईश्वर उन्हें उसी तरह येसु के साथ पुनर्जीवित कर देगा।

[हमें मसीह से जो शिक्षा मिली है, उसके आधार पर हम आप से यह कहते हैं- हम जो प्रभु के आने तक जीवित रहेंगे, मृतकों से पहले ही महिमा में प्रवेश नहीं करेंगे। क्योंकि जब आदेश दिया जायेगा और महादूत की वाणी तथा ईश्वर की तुरही सुनाई पड़ेगी, तो प्रभु स्वयं स्वर्ग से उतरेंगे। जो मसीह में विश्वास करते हुए मर गये, वे पहले जी उठेंगे; इसके बाद हम, जो उस समय तक जीवित रहेंगे, उनके साथ बादलों में आरोहित कर लिये जायेंगे और आकाश में प्रभु से मिलेंगे। इस प्रकार हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। आप इन बातों की चर्चा करते हुए एक दूसरे को सान्त्वना दिया करें। ]

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! जागते रहो और तैयार रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि मानव पुत्र किस घड़ी आयेगा। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

दस कुँवारियों के दृष्टान्त द्वारा येसु हमें यह बतलाते हैं कि हर एक विश्वासी को उनके आगमन की प्रतीक्षा करनी चाहिए। दस कुँवारियाँ समस्त विश्वासियों के प्रतीक हैं। येसु के आने में कितनी देर क्यों न हो, सबों को तैयार हो कर जागते रहना चाहिए। इस तैयारी का अर्थ है अपना कर्त्तव्य और दूसरों की सेवा करते रहना।

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 25:1-13

"दुलहा आ रहा है, उसकी अगवानी करने जाओ।”

येसु ने अपने शिष्यों को यह दृष्टान्त सुनाया, "स्वर्ग का राज्य उन दस कुँवारियों के सदृश होगा, जो अपनी-अपनी मशाल ले कर दुल्हे की अगवानी करने निकलीं। उन में से पाँच नासमझ थीं, और पाँच समझदार। नासमझ अपनी मशाल के साथ तेल नहीं लायीं; समझदार अपनी मशाल के साथ-साथ कुप्पियों में तेल भी लायीं। दुलहे के आने में देर हो जाने पर सब ऊँघने लगीं और सो गयीं। आधी रात को आवाज आयी, 'देखो, दुलहा आ रहा है, उसकी अगवानी करने जाओ।' तब सब कुँवारियाँ उठीं और अपनी-अपनी मशाल सँवारने लगीं। नासमझ कुँवारियों ने समझदारों से कहा, 'अपने तेल में से थोड़ा हमें दे दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझ रही हैं। समझदारों ने उत्तर दिया, 'क्या जाने, कहीं हमारे और तुम्हारे लिए तेल पूरा न हो। अच्छा हो, तुम लोग दुकान जा कर अपने लिए खरीद लो।' वे तेल खरीदने गयी ही थीं कि दुलहा आ पहुँचा; जो तैयार थीं, वे उसके साथ विवाह-भवन में प्रवेश कर गयीं और द्वार बन्द हो गया। बाद में दूसरी कुँवारियाँ भी आ कर कहने लगीं, 'हे प्रभु! हे प्रभु! हमारे लिए द्वार खोल दीजिए'। इस पर उसने उत्तर दिया, 'मैं तुम से कहे देता हूँ मैं तुम्हें नहीं जानता'। इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न तो वह दिन जानते हो और न वह घड़ी।”

प्रभु का सुसमाचार।