वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, इतवार - वर्ष B

📕पहला पाठ

येसु ने नाज़रेथ के सभा-गृह में अपने गाँव वालों से कहा था, "जब एलियस के दिनों में साढ़े तीन वर्षों तक पानी नहीं बरसा और सारे देश में अकाल पड़ा था, तो उस समय इस्राएल में बहुत-सी विधवाएँ थीं। फिर भी एलियस उन में से किसी के पास नहीं भेजा गया - वह सिदोन के सरेप्ता की एक विधवा के पास ही भेजा गया था। बाइबिल का वह अंश पढ़ कर सुनाया जायेगा, जिस में उस घटना का वर्णन है।

राजाओं का पहला ग्रंथ 17:10-16

"विधवा अपने आटे से एक छोटी-सी रोटी पका कर उसे एलियस के पास ले आयी।”

एलियस उठ कर सरेप्ता गया। शहर के फाटक पर पहुँच कर उसने वहाँ लकड़ी बटोरती हुई एक विधवा को देखा और उसे बुला कर कहा, "मुझे पीने के लिए घड़े में थोड़ा-सा पानी ला दो"। वह पानी लाने जा ही रही थी कि उसने उसे पुकार कर कहा, "मुझे थोड़ी-सी रोटी भी ला दो"। उसने उत्तर दिया, "आपका ईश्वर, जीवन्त प्रभु इस बात का साक्षी है कि मेरे पास रोटी नहीं रह गयी है। मेरे पास बरतन में केवल मुट्ठी भर आटा और कुप्पी में थोड़ा-सा तेल है। मैं दो-एक लकड़ियाँ बटोरने आयी हूँ; अब घर जा कर उसे अपने लिए और अपने बेटे के लिए पकाती हूँ। हम उसे खायेंगे और इसके बाद हम मर जायेंगे"। एलियस ने उस से कहा, "मत डरो। जैसा तुमने कहा, वैसा ही करो। किन्तु पहले मेरे लिए एक छोटी-सी रोटी पका कर ले आओ। इसके बाद अपने लिए और अपने बेटे के लिए तैयार करना। क्योंकि इस्राएल का ईश्वर, प्रभु यह कहता है: जिस दिन तक प्रभु पृथ्वी पर पानी न बरसाये, उस दिन तक न तो बरतन में आटा समाप्त होगा और न तेल की कुप्पी खाली होगी।” एलियस ने जैसा कहा था, स्त्री ने वैसा ही किया और बहुत दिनों तक उस स्त्री, उसके पुत्र और एलियस को खाना मिलता रहा। जैसा कि प्रभु ने एलियस के मुख से कहा था, न तो बरतन में आटा समाप्त हुआ और न तेल की कुप्पी खाली हुई।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 145, 7-10

अनुवाक्य : मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करे। (अथवा: अल्लेलूया!)

1. प्रभु सदा ही सत्यप्रतिज्ञ है। वह पद्दलितों को न्याय दिलाता है, वह भूखों को तृप्त करता और बन्दियों को मुक्त कर देता है।

2. प्रभु अंधों की आँखों को अच्छा करता और फुके हुए को सीधा करता है, वह धर्मियों को प्यार करता और परदेशी की रक्षा करता है।

3. वह अनाथ तथा विधवा को सँभालता और विधर्मियों के मार्ग में बाधा डालता है। प्रभु, सियोन के ईश्वर, युगानुयुग राज्य करता रहेगा।

📘दूसरा पाठ

यहाँ इस्राएल के प्रधानयाजक तथा येसु मसीह की तुलना की गयी है। येसु ने हमारे पापों का प्रायश्चित्त किया था, जिससे हम उनके प्रत्यागमन तक निष्पाप जीवन बितायें और अपने को एक पवित्र बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अर्पित करें।

इब्रानियों के नाम पत्र 9:24-28

"मसीह बहुतों के पाप हर लेने के लिए एक ही बार अर्पित हुए।"

येसु ने उस हाथ के बने मंदिर में प्रवेश नहीं किया जो वास्तविक मंदिर का प्रतिरूप मात्र है। उन्होंने स्वर्ग में प्रवेश किया, जिससे वह हमारी ओर से ईश्वर के सामने उपस्थित हो सकें। प्रधानयाजक किसी दूसरे का रक्त ले कर प्रतिवर्ष मंदिरगर्भ में प्रवेश करता है; येसु को उसी तरह बार-बार अपने को अर्पित करने की जरूरत नहीं है। यदि ऐसा होता तो संसार के प्रारंभ से उन्हें बार-बार दुःख भोगना पड़ता, किन्तु अब युग के अंत में वह एक ही बार प्रकट हुए जिससे वह आत्मबलिदान द्वारा पाप को मिटा दें। जिस तरह मनुष्यों के लिए एक ही बार मरना और इसके बाद उनका न्याय होना निर्धारित है, उसी तरह मसीह बहुतों के पाप हर लेने के लिए एक ही बार अर्पित हुए। वह दूसरी बार प्रकट हो जायेंगे, पाप के कारण नहीं, बल्कि उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए, जो उनकी प्रतीक्षा करते हैं।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष

अल्लेलूया, अल्लेलूया! जागते रहो और तैयार रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि मानव पुत्र किस घड़ी आयेगा। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

येसु ने बहुत-से अवसरों पर दरिद्रों के साथ सहानुभूति दिखायी है और धनियों को अपनी सम्पत्ति का सदुपयोग करने को कहा है। ईश्वर को हमारी सम्पत्ति की कोई आवश्यकता नहीं होती। वह चाहता है कि हम अनासक्त तथा उदार रहें। उसकी दृष्टि में धनियों के दान की अपेक्षा विधवा का अधेला अधिक महत्त्व रखता है।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:38-44

[ कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है ]
"इस कंगाल विधवा ने सब से अधिक दिया है।"

[ येसु ने शिक्षा देते समय कहा, "शास्त्रियों से सावधान रहो। लम्बे लबादे पहन कर टहलने जाना, बाजारों में प्रणाम-प्रणाम सुनना, सभागृहों में प्रथम आसनों पर और भोजों में प्रथम स्थानों पर विराजमान हो जाना यह सब उन्हें बहुत पसन्द है। वे विधवाओं की संपत्ति चट कर जाते हैं और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हैं। उन लोगों को बड़ी कठोर दण्डाज्ञा मिलेगी"]

येसु खजाने के सामने बैठ कर लोगों को उस में सिक्के डालते हुए देख रहे थे। बहुत-से धनी बहुत दे रहे हैं। एक कंगाल विधवा आयी और उसने दो अधेले अर्थात् एक पैसा डाल दिया। इस पर येसु ने अपने शिष्यों को बुला कर कहा, “मैं तुम से कहता हूँ - खजाने में पैसे डालने वालों में से इस विधवा ने सब से अधिक डाला है। क्योंकि सबने अपनी समृद्धि में से कुछ डाला, परन्तु इसने तंगी में रहते हुए भी जीविका के लिए अपने पास जो कुछ था, वह सब दे डाला"।

प्रभु का सुसमाचार।