सात भाई अपनी माता के साथ गिरफ्तार हो गये थे। राजा उन्हें कोड़े लगवा कर और यंत्रणा दिला कर वाध्य करना चाहता था कि वे सूअर का मांस खायें, जो संहिता में मना किया गया है। उन में से एक ने दूसरों का प्रतिनिधि बन कर कहा, "तुम हम लोगों से क्या चाहते हो? अपने पूर्वजों की संहिता का उल्लंघन करने की अपेक्षा हम मर जाना अधिक पसन्द करेंगे"। दूसरे भाई ने प्राण त्यागते समय कहा, "रे दुष्ट! तुम हम से यह जीवन छीन ले सकते हो, किन्तु संसार का राजा, जिसके नियमों के लिए हम मर रहे हैं, हमें पुनर्जीवित कर अनन्त जीवन प्रदान करेगा"। इसके बाद वे तीसरे भाई को उत्पीड़ित करने लगे। जब उस से जीभ निकालने को कहा गया, तो उसने ऐसा ही किया और यह कह निधड़क अपने हाथ बढ़ाये, "ईश्वर की ओर से मुझे ये अंग मिले और उसके नियमों की रक्षा के लिए मैं इनकी परवाह नहीं करता। मेरा विश्वास है कि ईश्वर इन्हें मुझ को लौटा देगा"। राजा और उसके परिजन युवक का साहस तथा यात्नाओं में उसका धैर्य देख कर अचंभे में पड़ गये। जब यह मर गया, तो वे चौथे भाई को इसी प्रकार की घोर यात्नाएँ देने लगे। वह मरते-मरते चिल्ला उठा, "यह अच्छा ही है कि हम मनुष्यों के हाथ मर जायें क्योंकि हमें ईश्वर की इस प्रतिज्ञा पर भरोसा है कि वह हमें पुनर्जीवित कर देगा। किन्तु तुम्हारे लिए नवजीवन का पुनरुत्थान नहीं होगा"।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं जागने पर तेरा स्वरूप देख कर परितृप्त होऊँगा।
1. हे प्रभु! मुझे न्याय दिला। मेरी दुहाई पर ध्यान दे। मैं निष्कपट हृदय से जो प्रार्थना कर रहा हूँ, उसे तू सुनने की कृपा कर।
2. मैं तेरे बताये हुए पथ पर चलता रहा, मैं भटका नहीं हूँ। हे ईश्वर! मैं तुझे पुकारता हूँ। मेरी सुन। मुझ पर कृपादृष्टि कर, मेरी प्रार्थना स्वीकार कर।
3. मुझे अपने पंखों की छाया में छिपा। मैं सन्मार्ग पर चल कर तेरे दर्शन करूँगा। मैं जागने पर तेरा स्वरूप देख कर परितृप्त होऊँगा।
हमारे येसु मसीह स्वयं तथा ईश्वर, हमारा पिता - जिसने हमें इतना प्यार किया और हमें चिरस्थायी सान्त्वना तथा उज्ज्वल आशा का वरदान दिया है आप लोगों को ढाढ़स बंधाते रहें तथा हर प्रकार के भले काम और बात में सुदृढ़ बनाये रखें। अन्त में यह : हे भाइयो! आप हमारे लिए प्रार्थना करें जिससे प्रभु का वचन आप लोगों के यहाँ की तरह शीघ्र ही फैल जाये तथा समादृत हो जाये, और यह भी कि टेढ़े तथा दुष्ट लोग हमारे कार्य में बाधा न डालें, क्योंकि सबों को विश्वास का वरदान नहीं दिया जाता है। परन्तु प्रभु सत्यप्रतिज्ञ हैं। वह आप लोगों को सुदृढ़ बनाये रखेंगे और दुष्ट से आपकी रक्षा करेंगे। हम को, प्रभु में, आप लोगों पर पूरा भरोसा है कि आप हमारी आज्ञाओं का पालन कर रहे हैं और करते रहेंगे। प्रभु आपके हृदयों को ईश्वर के प्रेम तथा मसीह के धैर्य की ओर अभिमुख करें।
प्रभु की वाणी।
अल्लेलूया, अल्लेलूया! जागते रहो और तैयार रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि मानव पुत्र किस घड़ी आयगा। अल्लेलूया!
कुछ सदूकी येसु के पास आये। उनकी धारणा है कि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता।
[उन्होंने येसु के सामने यह प्रश्न रखा, "गुरुवर! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है- यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाये, तो वह अपने भाई की विधवा को ब्याह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्सन्तान मर गया। दूसरा और तीसरा आदि सातों भाई विधवा को ब्याह कर निस्सन्तान मर गये। अंत में वह स्त्री भी मर गयी। अब पुनरुत्थान में वह किसकी पत्नी होगी? वह तो सातों की पत्नी रह चुकी है।"]
येसु ने उन से कहा, "इस लोक में पुरुष विवाह करते हैं और स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं; परन्तु जो परलोक तथा मृतकों के पुनरुत्थान के योग्य पाये जाते हैं, उन लोगों में न तो पुरुष विवाह करते हैं और न स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं। वे फिर कभी नहीं मरते। वे तो स्वर्गदूतों के सदृश होते हैं और पुनरुत्थान की सन्तति होने के कारण वे ईश्वर की सन्तति बन जाते हैं। मृतकों का पुनरुत्थान होता है। मूसा ने भी झाड़ी की कथा में इसका संकेत किया है, जहाँ वह प्रभु को इब्राहीम का ईश्वर, इसहाक का ईश्वर और याकूब का ईश्वर कहते हैं। वह मृतकों का नहीं, जीवितों का ईश्वर है, क्योंकि उसके लिए सभी जीवित हैं।"
प्रभु का सुसमाचार।