आगमन का पहला इतवार : वर्ष B

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📕पहला पाठ

जब मनुष्य पाप करता है, तब उसे लगता है कि ईश्वर बहुत दूर है। वास्तव में ईश्वर हमारा पिता है, वह हमें मुक्ति दिलाना चाहता है। अत: हमें पश्चात्ताप करना चाहिए, तभी ईश्वर हमारे पास लौटेगा।

नबी इसायस का ग्रंथ 63:16-17; 64:1,3-8

“ओह ! यदि तू आकाश फाड़ कर उतरे !”

हे प्रभु! तू ही हमारा पिता है। हमारा मुक्तिदाता - यही अनन्तकाल से तेरा नाम रहा है। हे प्रभु ! तू यह क्यों होने देता है कि हम तेरे मार्ग छोड़ कर जायें और कठोर-हृदय बन कर तुम पर श्रद्धा न रखें? हे प्रभु ! हमारे पास लौटने की कृपा कर, हम तेरे सेवक और तेरी ही प्रजा हैं! ओह ! यदि तू आकाश फाड़ कर उतरे ! तेरे आगमन पर पर्वत काँप उठेंगे। यह कभी सुनने में अथवा देखने में नहीं आया कि तेरे ही समान कोई देवता अपने पर भरोसा रखने वालों के साथ इस प्रकार का व्यवहार करे। तू उन लोगों का पथप्रदर्शन करता है, जो सदाचरण और तेरे मार्गों का स्मरण करते हों। तू अप्रसन्न है क्योंकि हम पाप करते थे और बहुत समय से तेरे विरुद्ध विद्रोह करते आ रहे हैं। हम सब के सब अपवित्र हो गये और हमारे समस्त धर्मकार्य मलिन वस्त्र जैसे हो गये थे। हम सब पत्तों की तरह सूख गये और पवन की तरह हमारे पाप हमें छितराते रहे। कोई भी न तो तेरा नाम लेता था और न तेरी शरण में जाने का विचार करता था ! क्योंकि तूने, हम से मुँह फेर लिया था और हमें हमारे पापों के हवाले कर दिया था। तो भी, हे प्रभु ! तू हमारा पिता है। हम मिट्टी हैं और तू है कुम्हार, तूने हम सबों को बनाया।

प्रभु की वाणी।

📖भजन स्तोत्र 79: 2-3,15-16,18-19

अनुवाक्य : हे प्रभु-परमेश्वर ! हमें वापस बुला, हम पर दयादृष्टि कर और हमारा उद्धार हो जायेगा।

1. हे प्रभु! तू इस्राएल का चरवाहा है, हमारी सुन ! तू स्वर्गदूतों पर विराजमान है, अपना तेज दिखा ! अपनी शक्ति को जगा ओर आ कर हमें बचाने की कृपा कर।

2. विश्वमंडल के प्रभु ! स्वर्ग से हम पर दयादृष्टि कर। तूने यह दाखलता लगायी है, आ कर इसकी रक्षा कर।

3. जिसे तूने चुन लिया है, जिसे तूने बढ़ने की शक्ति दी है, उसे अपने दाहिने हाथ से सँभाल। हम फिर कभी तुमे नहीं छोड़ेंगे। हमें बचाने कौ कृपा कर, जिससे हम तेरी स्तुति करें।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस कुरिंथ के विश्वासियों से अनुरोध करते हैं कि वे विश्वास में दृढ़ बने रहें और प्रभु येसु के आगमन की राह देखते रहें। हमें भी ऐसा करना चाहिए और इस प्रकार दूसरे लोगों को विश्वास में दृढ़ बने रहने में सहायता देनी चाहिए।

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 1:3-9

“हम अपने प्रभु येसु मसीह के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं। ''

भाइयो ! हमारा पिता ईश्वर और प्रभु येसु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें। आप लोगों को येसु मसीह द्वारा ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त हुआ है; इसके लिए मैं ईश्वर को निरन्तर धन्यवाद देता हूँ। मसीह का सन्देश आप लोगों के बीच इस प्रकार दृढ़ हो गया है कि आप लोग मसीह से संयुक्त हो कर, अभिव्यक्ति और ज्ञान के सब प्रकार के वरदानों से सम्पन्न हो गये हैं। आप लोगों में किसी कृपादान की कमी नहीं है और अब आप हमारे प्रभु येस मसीह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ईश्वर अंत तक आप लोगों को विश्वास में सुदृढ़ बनाये रखेगा, जिससे आप प्रभु येसु मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें। ईश्वर सत्यप्रतिज्ञ है। उसी ने अपने पुत्र हमारे प्रभु येसु मसीह के सहभागी बनने के लिए आप लोगों को बुलाया है।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष : स्तोत्र 84,8

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु ! हम पर दया प्रदर्शित कर और हमें मुक्ति प्रदान कर। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

प्रभु येसु दुनिया के अंत में अपने आगमन की चर्चा करते हुए कहते हैं कि वह उस मनुष्य के सदृश हैं जो अपना घर नौकरों के जिम्मे दे कर दूर चला गया है। वह अचानक वापस आयेंगे, इसलिए हमें बराबर तैयार रहना चाहिए।

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 13:33-37

“जागते रहो - तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आयेगा। ”

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, ''सावधान रहो। जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि मानव पुत्र किस समय आ जायेगा। यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य विदेश चला गया हो। उसने अपना घर छोड़ कर उसका भार अपने नौकरों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो। तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आ जायेगा - शाम को, आधी रात को, मुरगे के बाँग देते समय या भोर को। इसलिए जागते रहो, कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँच कर, तुम्हें सोता हुआ पाये। जो बात मैं तुम लोगों से कहता हूँ, वही सबों से कहता हूँ - जागते रहो। ”

प्रभु का सुसमाचार।


📚 मनन-चिंतन

मध्य युग के दौरान राज्य और राजपरिवार शासक शक्ति थे। जब भी आक्रमण का खतरा होता है तो जो राज्य खतरे में होता है वह आने वाले दुश्मन को देखने के लिए अपने राज्य से मीलों दूर सैनिकों को तैनात करता है। जैसे ही वे आने वाले दुश्मन को देखते हैं तो वे अपने बीगुल बजाते हैं या आने वाले आक्रमण कारियों के बारे में अपने राज्य के सैनिकों को सचेत करने के लिए जोर से चिल्लाते हैं। इसलिए, सैनिक अपने राज्य की उचित रक्षा के लिए अपने युद्ध उपकरण तैयार करने में सक्षम होंगे। आज आगमन काल का पहला रविवार है जिसका अर्थ है आगमन, यह येसु के आने वाले जन्म की प्रतीक्षा का समय है। मध्य युग के सैनिकों के विपरीत जो अपने आक्रमणकारियों के आने की तैयारी करते थे। आगमन काल हमें याद दिलाता है कि हमें उस उद्धारकर्ता के आने की तैयारी करने की ज़रूरत है जिसने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया। हम उनके आगमन की तैयारी कैसे कर रहे हैं? क्या यह एक ऐसी तैयारी है जिसमें भौतिक चीज़ें शामिल हैं? येसु चाहते हैं कि हम उन पर और उनके साथ अपने रिश्ते पर अधिक ध्यान केंद्रित करके अपने आध्यात्मिक जीवन का मर्म समझें।

फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रांत)

📚 REFLECTION


During the middle ages kingdoms and royalties were the ruling power. Whenever there is a threat of invasion the kingdom who is under threat would position soldiers’ miles away from its kingdom to spot the incoming enemy. The moment they see the incoming enemy they would blow their horns or they would shout loudly to alert their kingdom’s soldiers about the coming invaders. Therefore, the soldiers would be able to prepare their war equipment to properly defend their kingdom. Today is the first Sunday of Advent which means coming, this is a time of expectation for the coming birth of Jesus. Unlike the soldiers in the middle ages who prepared for the coming of their invaders. Advent reminds us that we need to prepare for the coming of the savior who gave His life for our sake. How are we preparing for His coming? Is it a preparation that involves material things? Jesus wants us to dig deeper into our spiritual lives by focusing more our attention on Him and our relationship with Him.

-Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन-2

आज से हम आगमन काल में प्रवेश कर रहें है। आज आगमन काल का पहला रविवार हैं। आगमन काल दो घटनाओं की तैयारी का समावेश हैंः एक तो हैं प्रभु येसु ख्रीस्त के जन्म की घटना और दूसरा है प्रभु येसु ख्रीस्त के दूसरा आगमन की घटना। एक घटना जो 2020 वर्ष पूर्व घटित हो चुकी है और दूसरी घटना जो भविष्य में आने वाली है। आगमन काल यह दोनो घटनाओं की तैयारी है।

आगमन का अर्थ होता है आना या फिर किसी विशेष व्यक्ति का आना और इस विशेष व्यक्ति के आने की तैयारी को हम आगमन काल के रूप में मनाते है। मान लीजिए अगर हमारे घर कोई फादर या सिस्टर आने वाले हों तो हम क्या करेंगे; हम उनके आने की भरपूर तैयारी करेंगे, घर को साफ रखेंगे, उनके भोजन और रहने की व्यवस्था करेंगे तथा उनके हर प्रकार की सुविधा का ध्यान रखेंगे। मान लीजिये अगर बिशप स्वामि हमारे घर में आ रहें हो तब तो हमारी तैयारी कुछ अलग ही स्तर की होगी। या फिर मान लीजिये अगर संत पापा हमारे घर में आ रहे हो तो हमारी तैयारी और भी बढ़ कर हो जायेगी। परंतु क्रिसमस में कोई इंसान नहीं परंतु स्वयं प्रभु येसु ख्रीस्त हमारे दिल में, मन में और जीवन मंे एक नवीन तरह से पुनः आना चाहते है। तब तो हमारी तैयारी सबसे अधिक होनी चाहिए क्योकि स्वयं ईश्वर हमारे जीवन में आने वाले है।

प्रभु येसु ख्रीस्त का स्वागत हेतु हमारे घर को साफ रखना, सजाना, मिठाई बनाना काफी नहीं; अगर हम प्रभु येसु को न केवल हमारे घर में परंतु हमारे दिल, मन और जीवन में बुलाना चाहते हैं तो हमें हमारे दिल और मन को साफ रखने की जरुरत हैं। यह आगमन काल काथलिक कलीसिया द्वारा दिया गया एक समय अवधि है जहॉं पर हम अपने मन और हृदय में भरी बुराईयों को साफ कर सकें। मन और दिल से बुराईयों को निकालना एक दिन का काम नहीं परंतु इसमें कई दिन लग जाते हैं, इस हेतु हमारे पास लगभग चार सप्ताह का समय रहता हैं जिससे हम अपने दिल में ईश्वर के लिए सुयोग्य स्थान या चरनी तैयार कर सकें।

आज का पहला पाठ बताता है कि किस प्रकार हम हमेशा सन्मार्ग को छोड़ कर गलत रास्ते पर चले जाते है। बार बार पाप करते है और अपने आप को अपवित्र करते है। इसी प्रकार की मनोव्यथा संत पौलुस द्वारा रोमियों के नाम पत्र 7ः15,19-20 में व्यक्त करते है, ‘‘मैं अपना ही आचरण नहीं समझता हूॅं, क्योंकि मैं जो करना चाहता हॅंू, वही नहीं बल्कि वही करता हूॅंॅ, जिससे मैं घृणा करता हूॅं। मैं जो भलाई चाहता हूॅं, वह नहीं कर पाता, बल्कि मैं जो बुराई नहीं चाहता, वहीं कर डालता हॅंू। किन्तू यदि मैं वही करता हॅंू, जिसेे मैं नहीं चाहता, तो कर्ता मैं नहीं हूॅं, बल्कि कर्ता है- मुझमें निवास करने वाला पाप।’’ अक्सर प्रभु के विरूद्ध विद्रोह करने का कारण हमारे अंदर निवास करने वाला पाप हैं। यह पाप हमारे द्वारा नहीं दूर हो सकता हैं यह केवल प्रभु येसु ख्रीस्त के द्वारा ही संभव है; इसके लिए हमें निरंतर पाप स्वीकार संस्कार द्वारा प्रभु येसु से अपने पापों को धुलाने और उनसे मुक्ति पाने की जरुरत हैं; इसके साथ साथ हमें निरंतर मन की जांच द्वारा सही पथ पर लौटने की जरुरत हैं।

सुसमाचार में प्रभु येसु ख्रीस्त जागते रहने की शिक्षा देते है, यहॉं पर प्रभु येसु ख्रीस्त अपने द्वितीय आगमन के विषय में संकेत देते हैं। यह हम सबके लिए निरंतर तैयार रहने के लिए एक आह्वान हैं। और जो अपने आपको तैयार रखते हुए प्रभु की प्रतीक्षा करता रहेगा वह ईसा मसीह के दिन निर्दोष पाया जायेगा जिस प्रकार संत पौलुस कुरिंथ के निवासियों से आज के दूसरे पाठ में कहते है, ‘‘आप लोगों में किसी कृपादान की कमी नहीं है और आप सब हमारे प्रभु ईसा मसीह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ईश्वर अन्त तक आप लोगों के विश्वास में सुदृढ़ बनाये रखेगा, जिससे आप हमारे प्रभु ईसा मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें।’’

प्रभु येसु ख्रीस्त का महिमा के साथ दूसरा आगमन कब होगा, यह हम नहीं जानते परंतु यह क्रिसमस में हम उस प्रकार की तैयारी करते हुए अपने जीवन में प्रभु येसु को नवीन रूप से जन्म लेने के लिए तैयार जरूर कर सकते है। आईये इस आगमन काल में हम, अधिक समय अपने मन और दिल को स्वच्छ करते हुए तैयारी करें। आमेन!

- फादर डेन्नीस तिग्गा


📚 REFLECTION

From today onwards we are entering into the Advent season. Today is the first Sunday of Advent. Advent season is the inclusion of the preparation of two events: One is the birth of Jesus Christ and the other is the Second coming of Jesus Christ. One event happened 2000 years ago and another event is going to happen in future. Advent is the preparation of these two events.

Advent means coming; the coming of some special one and the preparation of the coming of special one is known as the advent season. Just imagine if any priest or sister is going to come in our house, what we will do; we will prepare everything for their coming; we will keep our houses clean, prepare the food and the stay for them and will make them to feel comfortable in all possible ways. What will happen if Bishop will come to our home then our preparation will be in another level; what about if Pope comes to our home then we will prepare much more than everything else. But in Christmas not a human person but Lord Jesus Christ himself wants to come in a new way in our hearts, in our minds and in our lives. Then our preparation should be above all because God himself is going to come in our lives.

In order to welcome Lord Jesus cleaning the houses, decorations and sweets are not enough; if we want Lord Jesus to come not only in our home but also in our hearts, minds and lives then we need to clean our hearts and minds also. The Advent season is the time span given by the Catholic Church so that we can clean and eradicate all the evils from our minds and hearts. To remove evil is not a one day task but it take days to do that and for that we get almost four weeks of time to prepare a suitable place or manger for Lord Jesus in our hearts.

Today’s first reading tells us that we always go to the wrong path leaving the Lord’s path; we sin every time and make ourselves unholy. Similar kind of mental agony is expressed by St. Paul in his letter to the Romans 7:15, 19-20, “I do not understand my own actions. For I do not do what I want, but I do the very thing I hate. For I do not do the good I want, but the evil I do not want is what I do. Now if I do what I do not want, it is no longer I that do it, but sin that dwells within me.” Usually the sin that dwell in us is the main reason for the transgression against God. We cannot get rid of the sin by ourselves but it is possible only through the help of Lord Jesus Christ; For this we need to go frequently for the confession for cleansing and receiving absolution from Lord Jesus; at the same time we have to return to the Lord’s path by continually observing the examination of conscience.

In the gospel Lord Jesus teaches us to be alert and awake, where he gives us the indication of his Second Coming. This is the call for each one of us to be prepared all the time. And those who keep themselves ready and wait for the Lord will be found blameless on the day of our Lord Jesus Christ, as St. Paul tells to the people of Corinth in today’s second reading, “you are not lacking in any spiritual gift as you wait for the revealing of our Lord Jesus Christ. He will also strengthen you to the end, so that you may be blameless on the day of our Lord Jesus Christ.”

When the Lord Jesus Christ will come in his full glory, we do not know but in this Christmas by doing the preparation in that way, we can prepare our lives for the birth of Jesus in our hearts in a renewed way. Let’s spend this advent time to purify our minds and hearts to prepare ourselves. Amen!

-Fr. Dennis Tigga

मनन-चिंतन - 3

हमारा सांसारिक जीवन अनिश्चिताओं से भरा हुआ है। इसलिए हम इसका सामना करने के लिए सदा तैयार रहते हैं। उदाहरण के लिए – आग कब लगेगी इसकी हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। इसलिए अग्निशामक हमेशा तैयार रहता है। दुर्घटना कब होगी ये भी हमें पता नहीं इसलिए एम्बुलेंस सदा तैयार रहती है है। ठीक इसी प्रकार समाज में हम सांसारिक जीवन की अनिश्चिताओं का सामना करने के लिए सदा तैयार रहते हैं।

आज प्रभु येसु हम से कहते हैं कि हमारे आध्यात्मिक जीवन में भी हमारे लिये इसी प्रकार सदा जागरूक रहना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह हमारी आत्मा का विषय है। जीवन में मृत्यु सुनिश्चित है लेकिन यह कब आएगी हम में से किसी को भी नहीं पता। हम ऎसा जीवन बिता रहे हैं जिसके बारे मे संत याकूब कहते हैं कि हम नहीं जानते कि कल हमारा क्या हाल होगा। जीवन एक कुहरा मात्र है - वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्त हो जाता है। (याकूब 4:14) इसलिए रोमियों के नाम संत पौलुस के पत्र में वचन कहते हैं – आप लोग समय पहचानते हैं। आप लोग जानते हैं कि नींद से जागने की घडी आ गयी है। जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय की अपेक्षा अब हमारी मुक्ति अधिक निकट हैं। (रोमियो 13:11)

प्रभु येसु ने ईश्वर के सुसमाचार प्रचार को यह कहते हुए आरंभ किया, समय पूरा हो चुका है। ईश्वर का राज्य निकट आ गया है। पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो। (मारकुस 1:14-15) और अपने पूरे जीवन में बार-बार लोगों से यह आग्रह करते रहे कि आध्यात्मिक जीवन में सावधान रहो, जागते रहो, तैयार रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि मानव-पुत्र कब आयेगा। (मारकुस 13:33, मत्ती 24:42-44, 25:10, लूकस 21:36)

याद रखना चाहिए कि जो हमेशा तैयार रहता है उस के लिए प्रभु का दिन दुल्हे का आगमन के समान होगा – जैसे कि समझदार कुँवारियों ने दुल्हे के साथ विवाह-भवन में प्रवेश किया (मत्ती 25:10), और जो तैयार नहीं रहता है उस के लिए प्रभु का दिन फन्दे की तरह हो – सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुण्ठित हो जाये और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे। (लूकस 21:34) या चोर की तरह हो - भाइयों! आप तो अन्धकार में नहीं हैं, जो वह दिन आप पर चोर की तरह अचानक आ पडे। (1थेसलनी 5:4) तुम ने जो शिक्षा स्वीकार की और सुनी, उसे याद रखो, उस का पालन करो और पश्चात्ताप करो। यदि तुम नहीं जागोगे, तो मैं चोर की तरह आऊॅगा और तुम्हें मालूम नहीं हैं कि मैं किस घडी तुम्हारे पास आ जाऊॅगा। (प्रकाशना 3:3)

मानवपुत्र की अगवानी करने के लिए हमें किस प्रकार की तैयारी करनी हैं? मानव पुत्र को स्वीकार करने के लिए एवं उनके द्वारा प्रदत्त मुक्ति का अधिकारी होने के लिए हमें अन्धकार के कर्मों को त्याग कर, ज्योति के शस्त्र धारण करना हैं। दिन के योग्य सदाचरण करना हैं। रंगरलियों और नशेबाजी, व्यभिचार और भोगविलास, झगडे और ईष्या से दूर रहें। आप लोग प्रभु ईसा मसीह को धारण करें और शरीर की वासनाएँ तृप्त करने का विचार छोड दें। (रोमियो 13:12-14)

आदिम ईसाई समुदाय में प्रेरितगण को पत्रों द्वारा प्रभु के दिन की अगवानी के लिए अपने आपको पवित्र और निर्दोष बनाये रखने के लिए ईसाइयों से बार-बार आहृान करते हुए हम पाते हैं। - शान्ति का ईश्वर आप लोगों को पूर्ण रूप से पवित्र करे। आप लोगों का मन आत्मा तथा शरीर हमारे प्रभु ईसा मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें। (1थेसलनीकि 5:23) आप लोग प्रभु के दिन तक आपने ह्रदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनाये रखें, जब हमारे प्रभु ईसा अपने सब सन्तों के साथ आयेंगे। (1थेसलनीकि 3:13) ईश्वर अन्त तक आपलोगों को विश्वास में सुदृढ बनाये रखेगा, जिससे आप हमारे प्रभु ईसा मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें। (1कुरिन्थि 1:8) प्रेरितों का उपदेश गंभीरता से लेते हुए कुरिन्थि के ईसाई समुदाय ने प्रभु के दिन के लिए अपने आप को तैयार किया है जिसके बारे मे हम आज के दूसरे पाठ में पढते है। संत पौलूस कहते हैं- आप लोगों मे किसी कृपादान की कमी नहीं है और अब आप हमारे प्रभु ईसा मसीह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। (1कुरिन्थि 1:7)

हम अपने आप से पूछें कि बालक येसु को स्वीकार करने के लिए इस आगमन काल में मुझे क्या करना होगा। जब योहन ने लोगों से कहा पश्चाताप करो तब जनता ने, नाकेदार ने और सैनिक ने भी योहन से पूछा कि उन्हें क्या करना चाहिए। जवाब में योहन उन सब को एक ही प्रकार के जवाब नहीं देते है बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन में जो पाप वे करते आ रहे थे उन पापों के प्रति पश्चाताप करते हुए ईश्वर के राज्य को स्वीकार करने के लिए आग्रह करते है। तो हमे भी इस बात का पता करना चाहिए कि हमें इस आगमन काल में क्या करना चाहिए है ।

आईए हम ईश्वर को धन्यवाद दें कि हमें प्रभु की आगवानी करने के लिए पुनः एक और मौका मिला है । इस आगमन काल में हम अपने आप को सब से सुन्दर तरीके से तैयार करें ताकि हम प्रभु येसु मसीह को योग्य रीति से स्वीकार कर सकें। येसु हमारे बीच हमें ईश्वर का अनुग्रह प्रदान करने आ रहे हैं।

- फादर शैल्मोन अंथोनी