आगमन का पहला इतवार : वर्ष C

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📕पहला पाठ

येरेमियस के समय यहूदियों पर बहुत अत्याचार किया जाता था। येरेमियस यह कहते हैं कि किसी दिन मसीह के द्वारा न्याय का राज्य स्थापित होगा। हमें भी यह विश्वास करना है कि “प्रभु ही हमारा न्याय है!” और मसीह के द्वारा न्याय का राज्य स्थापित किया गया हे।

नबी येरेमियस का ग्रंथ 33, 14-16

“मैं दाऊद के लिए एक धर्मी वंशज उत्पन्न करूँगा। ''

प्रभु का यह कहना है, “देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्राएल तथा यूदा के घराने के प्रति अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगा। उन दिनों और उस समय, मैं दाऊद के लिए एक धर्म-वंशज उत्पन्न करूँगा, जो देश पर न्यायपूर्वक शासन करेगा। उन दिनों यूदा का उद्धार होगा और येरुसालेम सुरक्षित रहेगा। येरुसालेम का यह नाम रखा जायेगा - प्रभु ही हमारा न्याय है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन स्तोत्र 24, 4-5.8-9.10.14

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी आत्मा तुझे पुकारती है।
)

1. हे प्रभु ! तू मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपने पथ बता। मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर; क्योंैकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है।

2. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सम्मार्ग पर ले चलता और पद्दलितों को अपना मार्ग बताता है।

3. प्रभु के विधान और नियमों पर चलने वाले जानते हैं कि उसके मार्ग प्रेम और सच्चाई हैं। प्रभु पर श्रद्धा रंखने वाले उसके कृपापात्र हैं और उसके विधान का रहस्य जान जाते हैं।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस यह याद दिलाते हैं कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए हमें एक दूसरे को प्यार करना चाहिए। यह भ्रातृ-प्रेम हमें येस के आगमन के लिए योग्य रीति से तैयार करेगा।

थेसलनीकियों के नाम संत पौलुस का पहला पत्र 3:12-4:2

“मसीह के दिन तक प्रभु आपके हृदयों को पवित्र बनाये रखें। ''

प्रभु ऐसा करें कि जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबों के प्रति बढ़ता जाये और उमड़ता रहे, इस प्रकार वह उस दिन तक आपके हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनाये रखें, जब हमारे प्रभु येसु अपने सब सन््तोंग के साथ आयेंगे। भाइयो ! आप लोग हम से यह शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं कि किस प्रकार चलना और ईश्वर को प्रसन्न करना चाहिए और आप इसके अनुसार चलते भी हैं। अंत में, हम प्रभु येसु के नाम पर आप से आग्रह के साथ अनुनय करते हैं कि आप इस विषय में और आगे बढ़ते जायें। आप लोग जानते हैं कि मैंने प्रभु येसु की ओर से आपको कौन-कौन आदेश दिये हें।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष : स्तोत्र 84,8

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! हे प्रभु! हम पर दया प्रदर्शित कर। और हमें मुक्ति प्रदान कर। अल्लेलूया!

📙सुसमाचार

हम अकसर इस संसार की चिन्ताओं से इतने परेशान रहते हैं कि हम जीवन का वास्तविक अर्थ भूल जाते हैं। इसलिए येसु हमें चेतावनी देते हैं कि हमें जागते रहना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि हमें परलोक की तैयारी करते रहना चाहिए।

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 21:25-28,34-36

“तुम्हारी मुक्ति निकट है। ''

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “सूर्य, चंद्रमा और तारों में चिह्न प्रकट होंगे। समुद्र के गर्जन और बाढ़ से व्याकुल हो कर पृथ्वी के राष्ट्र व्यथित हो उठेंगे। लोग विश्व पर आने वाले संकट की आशंका से आतंकित हो कर निष्प्राण हो जायेंगे, क्योंकि आकाश की शक्तियाँ विचलित हो जायेंगी। तब लोग मानव पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। जब ये बातें होने लगेंगी, तो उठ कर खड़े हो जाओ और सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है। “सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं से तुम्हारा मन कुंठित हो जाये और वह दिन फन्दे की तरह अचानक तुम पर आ गिरे; क्योंकि वह दिन समस्त पृथ्वी के सभी निवासियों पर आ पड़ेगा। इसलिए जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम इन सब आने वाले संकटों से बचने और भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य बन जाओ”!

प्रभु का सुसमाचार


📚 मनन-चिंतन

आगमन काल हमें न केवल क्रिसमस के लिए, बल्कि हमारे जीवन के हर क्षण में, मसीह के आगमन के लिए तैयार रहने के लिए आह्वान करता है। आज के सुसमाचार में, प्रभु येसु हमें सचेत रहने को कहते हैं, क्योंकि उनका आगमन अचानक होगा, जैसे रात में चोर आता है। यह संदेश हमें हमारे हृदय की स्थिति और उनके आने के लिए हमारी तत्परता पर विचार करने के लिए चुनौती देता है। आगमन का यह समय हमें आशा, नवीनीकरण और परिवर्तन को अपनाने के लिए आमंत्रित करता है। आइये इस आगमन में हम उन चिंताओं और बुरी आदतों को छोड़ दें जो ईश्वर के साथ हमारे संबंध एक रोड़ा बनती हैं। प्रभु का इंतजार करते समय, हमें अपने जीवन का मूल्यांकन करना चाहिए और उनकी इच्छा के अनुसार जीवन में बदलाव लाना चाहिए। प्रभु येसु के आगमन की तैयारी करते समय आइये हम प्रार्थना, प्रेम और भले कार्यों में अपना मन और दिल लगायें।

आइये हम अपने मन व हृदय का मूल्यांकन करने के लिए समय निकालें और उन क्षेत्रों की पहचान करें जिन्हें चंगाई या बदलाव की आवश्यकता है; इस आगमन के समय में प्रतिदिन प्रार्थना और चिंतन के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करें।; केवल क्रिसमस के लिए नहीं, बल्कि प्रभु के शाश्वत आगमन के लिए भी तैयारी करें।

फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत

📚 REFLECTION


Advent calls us to prepare for the coming of Christ, not just at Christmas, but in every moment of our lives. In today’s Gospel, Jesus reminds us to be alert, as His return will be unexpected, like a thief in the night. This message challenges us to reflect on the state of our hearts and our readiness for His coming. The Advent season invites us to embrace hope, renewal, and transformation. We are called to let go of distractions and sinful habits that may hinder our relationship with God. As we await the Lord, we must examine our lives and make necessary changes to align with His will. Preparing for Jesus’ return requires us to stay watchful in prayer, love, and good works.

Let us take time to examine our hearts and identify areas that need healing or change; Commit to living with more intentionality, avoiding distractions that distance you from God; Use this season of Advent to reconnect with God through daily prayer and reflection; Prepare not just for Christmas, but for the eternal coming of the Lord.

-Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)

📚 मनन-चिंतन - 2

आज से हम आगमन काल की शुरूआत कर रहे हैं। यह प्रभु के आने के लिए स्वयं को तैयार करने का समय है। आज का दूसरा पाठ और सुसमाचार प्रभु की प्रतीक्षा करते हुए तैयारी की आवश्यकता की बात करते हैं।

थेसलनीकियों के नाम संत पौलुस का पहला पत्र को नए विधान की सबसे पुरानी किताब माना जाता है। उन्होंने थेसलनीकियों में प्रचार किया, कलीसिया की स्थापना की और फिर कुरिन्थ चले गए। जब तिमथी ने थेसलनीकियों के विश्वासियों के बीच विश्वास के संकट के बारे में बताया, तो पौलुस ने उन्हें अपना पत्र लिखा। पौलुस के विरोधियों ने यह खबर फैला दी कि मसीह का दूसरा आगमन ईसाई प्रचारकों द्वारा उनमें भय पैदा करने के लिए एक मनगढ़ंत कहानी थी। उन्होंने दावा किया कि जो लोग इस सिद्धांत को मानते हैं वे पहले ही मर चुके हैं परन्तु पौलुस ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा कि उनकी मृत्यु का यह अर्थ नहीं है कि मसीह के आने पर उन्हें कोई हानि होगी। (1 थेसलनीकियों 3ः12-13) में कहा कि मसीह के दूसरे आगमन के लिए तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका यह नहीं है कि यह कैसे और कब और कहाँ होगा, इसके बारे में अनुमान लगाना नहीं है, बल्कि ‘‘जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबों के प्रति बढ़ता और उमड़ता रहे। इस प्रकार वह उस दिन तक अपने हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनायें रखें, जब हमारे प्रभु ईसा अपने सब सन्तों के साथ आयेंगे।’’

प्रारंभिक ईसाई येरूसालेम मंदिर के विनाश के तुरंत बाद येसु के दूसरे आगमन में विश्वास करते थे। जब ऐसा नहीं हुआ तो विश्वास का संकट खड़ा हो गया। उनमें से कई इस संसार की आसारता में वापस चले गए। इन मुद्दों को संबोधित करते हुए लूकस उन्हें प्रोत्साहित करते है कि वे सावधान रहें ताकि वे ‘‘भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्ताओं’’ के बोझ तले न दब जायें (लूकस 21ः34)। वह लोगों को यह याद दिलाते है कि सामान्य घटनाओं और लोगों के जरिये येसु हमारे जीवन में आते है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें उनमें ईश्वर को पहचानने के लिए सतर्क रहना चाहिए और उनका स्वागत करने के लिए तैयार रहना चाहिए। वह हमारे पास अनपेक्षित समय, स्थान और लोगों के द्वारा आता है।

आगमन सक्रिय रूप से प्रतीक्षा करने का एक समय है। आइए हम अपने जीवन की दैनिक घटनाओं में और अपने आसपास के लोगों के बीच प्रभु का स्वागत करने के लिए स्वयं को तैयार करें।

-फादर मेलविन चुल्लिकल


📚 REFLECTION

Today we begin the season of Advent. It is a time to prepare ourselves for the coming of the Lord. Today’s second reading and the gospel speak of the need for preparation while waiting for the Lord.

St. Paul’s first letter to the Thessalonians is believed to be the oldest book of the New Testament. He preached in Thessalonika, established church and then moved to Corinth. When Timothy reported about the crisis of faith among the believers of Thessalonika, Paul wrote his letter to them. Paul’s opponents spread the news that Christ’s second coming was a fabricated story by Christian preachers to create fear in them. They claimed that those who believed this theory are already dead and gone. But Paul replied to them saying that their death does not mean that they will suffer any disadvantage when Christ comes. In his first letter to Thess. 3:12-13 he said that the best way to prepare for the second coming of Christ is not to engage in speculations of how and when and where it will be but to “increase and abound in love for one another and for all, as we do for you so that he may establish your hearts blameless in holiness before our God and father at the coming of our Lord Jesus with all the saints”.

Early Christians believed in the second coming of Jesus immediately after the destruction of the Jerusalem Temple. When it did not take place there was a crisis of faith. Many of them fell back into the pleasures of this world. Addressing these issues Luke exhorts them to be on their guard so as not to be weighed down with “dissipation and drunkenness and the worries of this life” (Lk. 21:34). He reminds the people about Jesus’ coming to our lives in the ordinary events and people. He emphasized that we should be vigilant to recognize God in them and be prepared to welcome Him. He comes to us at a least expected time, place and people.

Advent is a time of active waiting. Let us prepare ourselves to welcome the Lord in the daily events of our life and among the people around us.

-Fr. Melvin Chullickal

📚 मनन-चिंतन -3

आज, आगमन काल के पहले रविवार, से हम नए पूजन पद्धति वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। आगमन काल इन्तजार का समय है। यह इन्तजार न केवल येसु के जन्म पर्व के लिए बल्कि येसु के पुनरागमन के लिए भी है।

सन् 2008 में ओडिशा के कंधमाल जिले के ख्रीस्तीय विश्वासियों पर बहुत बडा अत्याचार हुआ जिस में सैकडों ख्रीस्तीय विश्वासी मारे गये, उनके घरों को चुन चुन कर जलाया गया। अत्याचारियों ने उम्मीद की होगी कि यहॉ के ख्रीस्तीय लोग विचलित होकर ख्रीस्तीय विश्वास को छोड देंगे। 2009 में मैं ने इस क्षेत्र का दौरा किया और मुझे उनकी दृढता एवं धैर्य देखकर आश्चर्य हुआ। मैं जले हुए घरों और शरणार्थी शिविरों में रहने वाले हजारों विश्वासियों से मिला जिन्होने येसु के पवित्र नाम से हमारा अभिवादन और स्वागत किया। उस भयावह आतंकित परिस्थिति में भी अपने गले में रोजरी माला एवं क्रूस पहने हुए वे अपने ख्रीस्तीय विश्वास का साक्ष्य दे रहे थे। मुझे लगा कि यह उत्पीडित कलीसिया आज के सुसमाचार में सुने पवित्र वचन की जीती जागती अनोखी मिसाल है – “जब ये बातें होने लगेंगी, तो उठकर खडे हो जाओ और सिर उपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है” (लूकस 21:28)

जैसा कि पहले पाठ में बताया गया है – नबी यिरमियाह के समयकाल में इस्राएली जनता गुलामी का जीवन बिता रही थी। विवश, निराश और व्यथित हो चुकी इस जनता को ढारस बंधाते हुए नबी यिरमियाह उनको मुक्ति देने वाले मसीह के आगमन का संदेश देते हैं और उन्हें मुक्ति का भरोसा देते हैं। पहली शताब्दी की आदिम कलीसिया भी संघर्ष भरा जीवन बिता रही थी। नाना प्रकार की प्राकृतिक आपदायो, अकाल, बीमारियॉं, मृत्यु आदि के अलावा, उन लोगों के ख्रीस्तीय विश्वास के कारण उनके विरोधियों एवं शासकों द्वारा उन पर निर्मम अत्याचार व उनकी हत्या की जाती थी। इसी संदर्भ में संत लूकस ने येसु के शिक्षा-वचनों को याद दिलाते हुए कहा – “जागते रहो और सब समय प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम इन सब आने वाले संकटों से बचने और भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खडे हाने योग्य बन जाओ।“ (लूकस 21:36) इन वचनों से संत लूकस येसु के पुनरागमन का संकेत देते है।

विश्वासी लोग अपने जीवन को येसु की प्रतीक्षा में व्यतीत करें इस बात का उल्लेख येसु मसीह आज के सुसमाचार में एवं संत पौलुस थेसेलेनीकिया की कलीसिया को लिखे पत्र में हमें बताते है -

1. जागते रहो - शैतान हर वक्त हमारी मुक्ति का विनाश करने हेतु प्रयासरत है। भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिन्तायें हमें कुण्ठित कर देती और येसु की प्रतीक्षा से हमें विच्छेदित करती है। अतः विश्वासियों को चौकसी बरतना अति आवश्यक है।

2. हर समय प्रार्थना करते रहो - तभी हम जीवन में आने वाले संकटों से बचने और भरोसे के साथ मानव पुत्र के सामने खडे होने के योग्य बन जायेंगे।

3. येसु एवं मानवों के प्रति हमारा प्रेम बढता जायें। मनुष्य प्रगतिशील है किंतु ईश्वर एवं मानवों के प्रति अपना प्रेम दिनों दिन बढते जाना ही सबसे ज्यादा जरूरी है और आगमन काल का उद्येश्य है।

4. हम अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभायें, आलसीपन और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को छोड दें, परिवार की देखरेख करें, अपनी कमाई का रोटी खायें (1थेसलनीकियों (3:12)।

5. येसु मसीह के अधिकार से दी जाती कलीसिया की शिक्षा को ध्यान में रखें और उसके अनुसरण करें।

“ईश्वर की इच्छा यह है कि आप लोग पवित्र बनें...” (1थेसलनीकियों 4:3)।

यह आगमन काल हमारे लिए पवित्र बनने एवं हमारे ख्रीस्तीय जीवन में प्रगति लाने का सुअवसर बन जाये।

फादर डोमिनिक थॉमस – जबलपूर धर्मप्रान्त