आगमन का दूसरा इतवार - वर्ष C

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📕पहला पाठ

नबी बारूक यहूदियों को बताते हैं कि प्रभु उन्हें उनके अपने देश में वापस ले चलेगा और उनके मार्ग से सब बाधाएँ दूर कर देगा। इसी तरह ईश्वर हमारे मार्ग से भी कठिनाइयाँ दूर करता है। हमें उसी पर भरोसा रख कर आनन्द के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

नबी बारूक नबी का ग्रंथ 5:1-9

"ईश्वर पृथ्वी भर के लोगों पर तेरी महिमा प्रकट करेगा।"

हे येरुसालेम ! अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार और सदा के लिए ईश्वर की महिमा का सौन्दर्य धारण कर। तू ईश्वरीय न्याय का लबादा पहन कर अपने सिर पर प्रभु का दिया हुआ गौरव का मुकुट रख ले; क्योंकि ईश्वर पृथ्वी भर के लोगों पर तेरी महिमा प्रकट करेगा और सदा के लिए तेरा यह नाम रखेगा न्याय की शान्ति और धार्मिकता की महिमा। हे येरुसालेम ! उठ खड़ा हो जा, पर्वत पर चढ़ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तेरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये हैं। वे आनन्द मना रहे हैं, क्योंकि ईश्वर ने उनकी सुध ली है। शत्रुओं ने उन्हें बाध्य किया था कि वे तुझको छोड़ कर पैदल ही चले जायें, परन्तु ईश्वर उन्हें राजसी पालकी में बैठा कर तेरे पास वापस ले आ रहा है। ईश्वर का आदेश यह है कि हर एक ऊँचा पहाड़ और सभी चिरस्थायी पहाड़ियाँ समतल की जाये और हर एक घाटी पाट कर भर दी जायें, जिससे इस्राएल महिमामय प्रभु की रक्षा में सुरक्षित आगे बढ़ सके। ईश्वर के आदेश पर सभी वन और सुगंधित वृक्ष इस्राएल पर छाया करेंगे, क्योंकि दयामय तथा न्यायी ईश्वर इस्राएल को आनन्द प्रदान करेगा और अपनी महिमा के प्रकाश से उसका पथप्रदर्शन करेगा।

प्रभु की वाणी।

📖भजन - स्तोत्र 125

अनुवाक्य :प्रभु ने हमारे लिए अपूर्व कार्य किये हैं और हम अत्यन्त आनन्दित हो उठे।

1. प्रभु जब सियोन के निर्वासितों को वापस ले आया, तो हमें लगा कि हम स्वप्न देख रहे हैं; हमारे मुख पर हँसी खिल उठी और हम आनन्द के गीत गाने लगे।

2. गैर-यहूदी आपस में यह कहते थे, "प्रभु ने उनके लिए अपूर्व कार्य किये हैं।" उसने वास्तव में हमारे लिए अपूर्व कार्य किये हैं और हम अत्यन्त आनन्दित हो उठे।

3. हे प्रभु! मरुभूमि की नदियों की तरह हमारे निर्वासितों को वापस ले आ। जो रोते हुए बीज बोते हैं, वे गाते हुए लुनते हैं।

4. जो बीज ले कर चले गये थे, जो रोते हुए चले गये थे, वे पूले लिए लौट रहे हैं, वे गाते हुए लौट रहे हैं।

📘दूसरा पाठ

सन्त पौलुस फिलिप्पी के विश्वासियों से अनुरोध करते हैं कि वे प्रभु के आगमन की तैयारी में पवित्र तथा निर्दोष बनने का प्रयत्न करते रहें। हम भी प्रभु येसु की सहायता से परिपूर्ण धार्मिकता की ओर आगे बढ़ते जायें।

फिलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:3-6, 8-11

" आप लोग मसीह के आगमन के दिन पवित्र तथा निर्दोष हों।"

मैं हमेशा अपनी हर एक प्रार्थना में आनन्द के साथ आप सबों के लिए विनती करता हूँ। जब- जब मैं आप लोगों को याद करता हूँ, तो अपने ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ; क्योंकि आप प्रारंभ से अब तक सुसमाचार के कार्य में सहयोग देते आ रहे हैं। जिसने आप लोगों में यह शुभ कार्य आरंभ किया है, वह उसे येसु मसीह के आगमन के दिन के लिए पूर्णता तक पहुँचा देगा - इसका मुझे पक्का विश्वास है। ईश्वर जानता है कि मैं येसु मसीह के प्रेम से प्रेरित हो कर आप लोगों को कितना चाहता हूँ। ईश्वर से मेरी यह प्रार्थना है कि आपका प्रेम, ज्ञान तथा हर प्रकार की अंतर्दृष्टि में, बराबर बढ़ता जाये, जिससे जो श्रेय है, आप उसे पहचानें, उसे प्रेम करें। इस तरह आप लोग मसीह के आगमन के दिन पवित्र तथा निर्दोष होंगे और ईश्वर की महिमा तथा प्रशंसा के लिए येसु मसीह के द्वारा परिपूर्ण धार्मिकता तक पहुँच जायेंगे।

प्रभु की वाणी।

📒जयघोष : लूकस 3:4,6

अल्लेलूया, अल्लेलूया ! प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो। सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेंगे। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

सन्त लूकस यहूदिया के आसपास के सब राजाओं के नाम देने के बाद ही योहन के उपदेश का उल्लेख करते हैं। मनुष्यों की दृष्टि में वे राजा बड़े थे और योहन छोटे। ईश्वर की दृष्टि में वे राजा छोटे थे और योहन बड़े।

लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 3:1-6

"सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेंगे।"

जब कैसर तिबेरियस के शासनकाल के पन्द्रहवें वर्ष में पोन्तियुस पिलातुस यहूदिया का राज्यपाल था; हेरोद गलीलिया का राजा, उसका भाई फिलिप इतूरिया और त्रखोनितिस का राजा और लिसानियस अबिलेना का राजा था; जब अन्नास तथा कैफ़स प्रधानयाजक थे, उस समय ज़करियस के पुत्र योहन को निर्जन प्रदेश में प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी। वह यर्दन के आसपास के समस्त प्रदेश में घूम-घूम कर पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश देने लगा, जैसा कि नबी इसायस की पुस्तक में लिखा है : निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़ - प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो। हर एक घाटी भर दी जायेगी, हर एक पहाड़ और पहाड़ी समतल की जायेगी, टेढ़े रास्ते सीधे और ऊबड़-खाबड़ रास्ते बराबर कर दिये जायेंगे और सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति - विधान के दर्शन करेंगे।

प्रभु का सुसमाचार।

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार पाठ में, संत लूकस हमें बताते है कि योहन बप्तिस्ता ने अपने जीवन को एक विशेष मिशन के लिए समर्पित किया: प्रभु के आगमन के लिए रास्ता तैयार करना। योहन ने धर्मग्रन्थ की उस वाणी को पूर्ण किया, जो कहती है: "निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़: 'प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसकी मार्ग सीधे कर दो।'" यह वाणी हमें भी एक निमंत्रण देती है। इस आगमन काल में हम किस प्रकार अपने जीवन में प्रभु का मार्ग तैयार कर रहे हैं? हमारे जीवन में पाप, ईर्ष्या, और असत्यता जैसी बुराइयाँ उन टेढ़े-मेढ़े रास्तों की तरह हैं, जिन्हें हमें प्रभु के लिए सीधा करना है। इसका अर्थ है कि हम पश्चाताप करें, प्रेम और दया के मार्ग पर चलें, याने कुल मिलाके प्रभु के वचनों पर चलें। योहन का संदेश केवल चेतावनी नहीं था, बल्कि यह आशा का संदेश भी था। प्रभु का आगमन हर हृदय को शांति और मुक्ति देने के लिए है। संत पिता ने प्रभु येसु के जन्म की २०२५ वीं जयंती के लिए हमें जो सूत्रवाक्य दिया है वो है – ‘आशा के तीर्थ यात्री’ हम सब प्रभु येसु से मिलने की आशा में हमारा यह दुनियाई जीवन गुजार रहे हैं। आइये हम खुद आशावान बने रहें और साथ ही दूसरों के जीवन में आशा और प्रकाश का स्रोत बनें जैसे योहन बपतिस्ता बना। जैसा कि हम आगमन काल में हैं, यह समय है आत्मनिरीक्षण और तैयारी का। यह समय हमें याद दिलाता है कि हमें केवल बाहरी तैयारी (सजावट और उपहार) तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने मन को विनम्रता और विश्वास से प्रभु के स्वागत के लिए तैयार करना चाहिए। हे प्रभु, हमें अनुग्रह प्रदान कर कि हम अपने हृदय को शुद्ध करें और तेरे आगमन का मार्ग सरल और सीधा बनाएं। हमें अपने जीवन में तेरे प्रेम और दया को प्रतिबिंबित करने योग्य बना।

फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत

📚 REFLECTION


In today’s Gospel reading, St. Luke tells us that John the Baptist dedicated his life to a special mission: preparing the way for the Lord’s coming. John fulfilled the prophecy of Scripture that says: "A voice of one crying out in the wilderness: 'Prepare the way of the Lord, make his paths straight.' This message also serves as an invitation to us. During this Advent season, how are we preparing the way of the Lord in our lives? The sins, jealousy, and falsehoods in our lives are like crooked paths that we must straighten for the Lord. This means repenting, walking on the path of love and mercy, and ultimately living according to the Word of God. John’s message was not just a warning but also a message of hope. The coming of the Lord brings peace and salvation to every heart. The Holy Father has given us the theme "Pilgrims of Hope" for the 2025th Jubilee of the birth of Jesus. We are all living this earthly life in the hope of meeting the Lord Jesus. Let us remain hopeful and become sources of hope and light in others’ lives, just as John the Baptist was. As we journey through Advent, this is a time for introspection and preparation. It reminds us that we should not limit ourselves to external preparations (decorations and gifts) but prepare our hearts with humility and faith to welcome the Lord. O Lord, grant us the grace to purify our hearts and make the way for Your coming straight and simple. Help us to reflect Your love and mercy in our lives.

-Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)

📚 मनन-चिंतन - 2

नबी बारूक और नबी यिरमियाह का नबूबत कार्यकाल छठवें शताब्दी ई.पू. था। नबी बारूक, नबी यिरमियाह के सचिव थे। सन् 612 ई. पू. खलदैयियों के राजा नबूकदनेजर ने यूदा देश को अपने अधीन कर दिया। नबियों ने यहूदी लोगों को समझाया कि वे अपने पापों पर पश्चाताप करें और तभी उन्हें मुक्ति होगी। यहूदी नेताओं ने नबियों की बात न मानी और नबूकदनेजर के विरूद्ध विद्रोह किया और नबूकदनेजर ने 587 ई. पू. में येरूसलेम को तथा येरूसलेम मन्दिर को नष्ट कर दिया और यहूदि लोगों को निर्वासित कर बाबूल ले जाया गया। नबी बारूक और नबी यिरमियाह को भी निर्वासन में ले जाया गया।

नबी बारूक उन व्यथित, उदास, निर्वासित लोगों को बता रहे है, आज का पहला पाठ के द्वारा कि उनकी मुक्ति का दिन आ गया है और विलाप न करें। “येरूसलेम, अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार, और सदा के लिए ईश्वर की महिमा धारण कर। ... येरूसलेम, उठ खडे हो जा, पर्वत पर चढ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तेरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये है। वे आनन्द मना रहे है क्योंकि ईश्वर ने उन की सुध ली है (बारूक 5:1,5)। यह यहूदियों के लिए बहुत बडी खूशखबरी थी। नबी बारूक की यह भविष्यवाणी की पूर्ति सन् 538 ई. पू. में होती है जब पेसिया के राजा सैरा ने बाबूल पर कब्जा कर यहूदी लोगों को आजादी दी। उन लोगों ने यरूसलेम नगर की पुन:स्थापना और मन्दिर का पुनःनिर्माण किए। उस प्रकार यहूदी लोग यहोवा के नाम पर पुनः एकत्रित हो गए।

योहन बपतिस्ता आज के सुसमाचार में उद्घोषणा करते हैं कि न केवल यहूदी लोग बल्कि सब राष्ट्र के लोग मासीह की ओर आ जायेंगे। पाप की गुलामी में जीवन बिताने वाले लोगों को मसीह की ओर आना और मसीह को स्वीकार कर मसीह में जीना ही सच्ची आजादी है, सच्ची मुक्ति है। अतः पश्चाताप के जरिए ह्रदय को शुद्व करने के लिए योहन बपतिस्ता आह्वान करते है।

येरूसलेम शहर कलीसिया का प्रतीक है। कलीसिया में सब राष्ट्र के लोग एकत्रित हो जायेंगे और सब इश्वर के मुक्तिविधान का दर्शन करेंगे। मुक्ति केवल प्रभु येसु मसीह के द्वारा ही संभव है। “किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती; क्योंकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है” (प्रेरित 4:12)।

विनम्र लोग ही ईश्वर द्वारा प्रदत्त मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। योहन बपतिस्ता येसु समक्ष विनम्र होकर दीनता से येसु से मुक्ति हाजि़ल करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं – “मुझे तो आपसे बपतिस्मा पाने की जरूरत है...” (मत्ति 3:14)। ऐसे विनम्र योहन बपतिस्ता को ईश्वर ने यर्दन नदी के आसपास के लोगों को तथा अन्य जगहों सें आये लोगों को पश्चाताप का सन्देश सुनाने और मसीह के लिए रास्ता तैयार करने के हेतु भेजा है।

पौलुस तथा फिलीप्पि की छोटी सी कलीयिसा विनम्रता एवं सुसमाचर प्रचार का अनूठा उदाहरण है। पौलुस आज के दूसरे पाठ में फिलिप्पि के ख्रीस्तीय लोगों को बताते है कि -

☞ येसु ख्रीस्त तथा उनके मुक्ति कार्य की ज्ञान उनमें गहरा होता जायें;

☞उनके बीच का आपसी प्रेम दिनों दिन बढता जायें;

☞ वे कलंक रहित जीवन बिताने के लिए हरगिज प्रयास करते रहें ताकि येसु मसीह अपना मुक्ति कार्य उन लोगों में पूरा करें।

यह आगमन काल का समय हम लोगों में येसु की ज्ञान गहरा कर दें; हम लोगों में आपसी प्यार बढता जायें तथा निष्कलंक जीवन बिताते हुए येसु की मुक्ति हम लोंगों में सम्पन्न हो जायें एवं येसु के मुक्ति कार्य को हर दिलों तक पहुँचा सकें।

फादर डोमिनिक थॉमस – जबलपूर धर्मप्रान्त