आगमन का दूसरा सप्ताह – मंगलवार

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📕पहला पाठ

नबी इसायस का ग्रन्थ 40:1-11

ईश्वर अपनी प्रजा को सांत्वना देता है।

तुम्हारा ईश्वर यह कहता है, "मेरी प्रजा को सांत्वना दो, सांत्वना दो। येरुसालेम को ढारस बँधाओ और पुकार कर उस से यह कहो कि उसके विपत्ति के दिन समाप्त हो गये हैं और उसके पाप का प्रायश्चित हो चुका है। प्रभु ईश्वर के हाथ से उसे सभी अपराधों का पूरा-पूरा दण्ड मिल चुका है।" यह आवाज आ रही है, "निर्जन प्रदेश में प्रभु का मार्ग तैयार करो। हमारे ईश्वर के लिए मैदान में रास्ता सीधा कर दो। हर एक घाटी भर दी जाये। हर एक पहाड़ और पहाड़ी समतल की जाये, खड़ी चट्टान को मैदान और कगार को घाटी बना दिया जाये। तब प्रभु-ईश्वर की महिमा प्रकट हो जायेगी और सब शरीरधारी उसे देखेंगे, क्योंकि प्रभु ने ऐसा ही कहा है।" मुझे एक वाणी यह कहती हुई सुनाई पड़ी - "पुकार कर सुनाओ", और मैंने कहा, “मैं क्या सुनाऊँ?” 'सब शरीरधारी घास के सदृश हैं और उनका सौन्दर्य खेत के फूलों के सदृश। जब प्रभु का श्वास उनका स्पर्श करता है, तो घास सूख जाती और फूल मुरझाता है। निश्चय ही मनुष्य घास के सदृश हैं। घास सूख जाती और फूल मुरझाता हैं, किन्तु हमारे ईश्वर का वचन सदा-सर्वदा बना रहता है। " सियोन को शुभ संदेश सुनाने वाले ! ऊँचे पहाड़ पर चढ़ो। येरुसालेम को शुभ संदेश सुनाने वाले ! अपनी आवाज ऊँची कर दो। निडर हो कर यूदा के नगरों से पुकार कर यह कहो : यही तुम्हारा ईश्वर है। देखो, प्रभु ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा और सब कुछ अपने अधीन कर लेगा। वह अपना पुरस्कार अपने साथ ला रहा है और उसका विजयोपहार भी उसके साथ है। वह गड़ेरिये की तरह अपना रेवड़ चराता है, वह मेमने को उठा कर अपनी छाती से लगा लेता और दूध पिलाने वाली भेड़ें धीरे-धीरे ले चलता है।

प्रभु की वाणी।

📖भजन : स्तोत्र 95:1,3,10-13

अनुवाक्य : देखो, हमारा ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा है। (इसा० 40:10)

1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी प्रभु का भजन सुनाये। भजन गाते हुए प्रभु का नाम धन्य कहो। दिन-प्रतिदिन उसका मुक्ति-विधान घोषित करते जाओ।

2. सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो। सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ। राष्ट्रों को यह घोषित करो, "प्रभु ही राजा है"। वह न्यायपूर्वक सभी लोगों का विचार करेगा।

3. स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास, सागर की लहरें गरज उठें, खेतों के पौधे हिल जायें और बन के सभी वृक्ष आनन्द के गीत गायें।

4. क्योंकि प्रभु का आगमन निश्चित है। वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है। वह धर्म और सच्चाई से संसार के राष्ट्रों का शासन करेगा।

📒जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु का दिन निकट है। देखो, वह हमें बचाने आ रहा है। अल्लेलूया !

📙सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 18:12-14

"ईश्वर यह नहीं चाहता कि नन्हों में से एक भी खो जाये।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम्हारा क्या विचार है - यदि किसी के एक सौ भेड़ें हों और उन में से एक भी भटक जाये, तो क्या वह उन निन्यानबे भेड़ों को पहाड़ी पर छोड़ कर उस भटकी हुई को खोजने नहीं जायेगा? और यदि वह उसे पाये, तो विश्वास करो कि उसे उन निन्यानबे की अपेक्षा, जो भटकी नहीं थीं, उस भेड़ के कारण अधिक आनन्द होगा। इसी तरह मेरा स्वर्गिक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये। "

प्रभु का सुसमाचार।


📚 मनन-चिंतन

हमारे लिए यह सोचने की बात है कि इतने बड़े झुंड में से एक भेड़ कैसे भटक जाती है? क्या उसे बाकी झुंड दिखाई नहीं देता? दरअसल, जब हमारे भीतर अहंकार बढ़ने लगता है, तब हमें लगता है कि सारी दुनिया हमारे अधीन है। इस अहंकार के कारण हम यह भूल जाते हैं कि हमें किसने रचा है। परंतु इस दृष्टांत में हम देखते हैं कि ईश्वर स्वयं उस खोई हुई भेड़ की तलाश में जाते हैं और उसे पाकर आनंदित होते हैं। इसी प्रकार जब हम भी अपने अहंकार के कारण ईश्वर से दूर हो जाते हैं, तब ईश्वर हमारी खोज में आते हैं, हमें भला-चंगा करते हैं, और हमें पाकर स्वर्ग में हर्ष और उल्लास मनाते हैं।

डीकन कपिल देव - ग्वालियर धर्मप्रांत

📚 REFLECTION


It is worth pondering how one sheep can stray from such a large flock. Did it not see the rest? Truly, when pride grows within us, we begin to believe the whole world is under our feet. Because of this arrogance, we forget who made us. Yet in this parable, we see that God Himself goes in search of the lost sheep and rejoices when He finds it. In the same way, when we drift from God because of pride, He comes looking for us, heals us, and all heaven rejoices when we return to Him.

-Deacon Kapil Dev (Gwalior Diocese)



📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में, प्रभु येसु खोई हुई भेड़ का दृष्टांत सुनाते हैं, जो यह दर्शाता है कि ईश्वर हममें से हर एक का कितना ज्यादा ख्याल रखते हैं। वह उन निन्यानवे को छोड़कर उस एक भेड़ को खोजने के लिए तैयार हैं, जो खो गई है, जो यह दिखाता है कि हर व्यक्ति के लिए उनका प्रेम कितना गहरा है। आगमन काल हमें याद दिलाया जाता है कि कोई भी ईश्वर के प्रेम से कभी दूर नहीं होता। जैसे वह चरवाहा खोई हुई भेड़ को ढूंढ निकालता है, वैसे ही प्रभु येसु भी हमें ढूंढते हैं जब हम रास्ता भटकते हैं। हम कितनी बार ईश्वर के मार्ग से भटक जाते हैं, और कितनी बार हम संसार की व्यस्तताओं में खो जाते हैं? क्योंकि हमारा ईश्वर हमेशा हमें अपनाने और अपने पास हमें रखने के लिए तैयार रहता है, आइये इस आगमन काल में हम ईश्वर के पास उस बेतलेहेम की चरनी की और चलें।

फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांत

📚 REFLECTION


In today’s Gospel, Jesus shares the parable of the lost sheep, illustrating how God cares deeply for each one of us. He is willing to leave the ninety-nine to search for the one that is lost, showing His love for every individual. During Advent, we are reminded that no one is ever too far from God’s love. Like the shepherd, Jesus seeks us out when we stray. How often do we stray from God’s path, and how often do we allow ourselves to be lost in the distractions of the world? Advent calls us to return to God, to seek His forgiveness and embrace His love, knowing that He is always ready to welcome us back. Let us take this time to reflect on God’s mercy and ask for His help in staying close to Him.

-Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)

📚 मनन-चिंतन -2

आज का सुसमाचार पाठ अत्यंत संक्षिप्त हैः केवल तीन पद। फिर भी इन पदो में येसु का एक शक्तिशाली संदेश है। आज का सुसमाचार उस आदमी का दृष्टांत है जिसके पास 100 भेड़ें हैं जिनकी वह देखभाल कर रहा है। भेड़ों में से एक भटक जाती है। जैसा कि हम जानते हैं, चरवाहा 99 भेड़ों को छोड़कर खोई हुई भेड़ की तलाश में निकल पड़ता है। हम जानते हैं कि येसु चरवाहा है और हम “भेडे़“ हैं। अपने जीवन में कभी-कभी, हम भी चरवाहे और झुंड से भटक जाते हैं। क्या आपको अपने जीवन का कोई ऐसा समय याद है जब आप खो गए थे? जब आप ईश्वर से दूर थे? उस समय आपके जीवन में क्या चल रहा था? एक क्षण रुकें और उन दिनों या महीनों को प्रतिबिंबित करें। येसु हमें तब तक खोजता है जब तक वह हमें ढूंढ नहीं लेता है। येसु हमें ढूँढ़ना या हमारे लौटने की लालसा कभी नहीं छोड़ते!

फादर अल्फ्रेड डिसूजा (भोपाल महाधर्मप्रांत)

📚 REFLECTION


The Gospel reading for today is extremely short: only three verses. Yet Jesus has a powerful message in these verses. Today’s Gospel is the parable of the man who has 100 sheep that he is tending. One of the sheep wanders off. As we know, the shepherd leaves the 99 sheep and goes in search of the lost sheep. We know that Jesus is the shepherd and we are the “sheep.” At times in our lives, we also wander off or stray from the Shepherd and from the flock. Do you remember a time in your life when you were lost? When you were distant from God? What was going on in your life at that time? Take a moment and reflect those days or months. Jesus searches for us until He finds us and we allow Him to bring us home! Jesus never gives up looking for us or longing for our return! It is our decision to allow ourselves be found by Him.

-Fr. Alfred D’Souza (Bhopal Archdiocese)

📚 मनन-चिंतन -3

हमारे पाप और अज्ञानता हमें ईश्वर के असीम प्रेम से दूर कर देते हैं। ईश्वर हमें हमेशा से ही प्रेम करते आए हैं, और जब भी ईश्वर से दूर भटके, ईश्वर हमें पुनः अपनी राह पर ले आए। उन्होंने अनेक सन्देश वाहकों को भेजा, ताकि हम उससे हमेशा के लिये दूर न हो जाएं। अंत में उन्होंने अपने एकलौते पुत्र को हमारे मुक्तिदाता के रूप में हमारे लिए भेजा। ईश्वर कभी नहीं चाहेंगे की उसकी प्रिय संतानें उससे दूर रहें। आज भी वह दुनिया के लिए मुक्तिदाता भेजने के लिए तैयार हैं, बशर्ते दुनिया अपने पापों को त्याग कर ईश्वर की ओर अभिमुख हो।

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु पिता ईश्वर की करुणा और दया की याद दिलाते हैं, जो भूले-भटके लोगों के लिए सदा उपलब्ध है। वह सदा भूले-भटके लोगों की खोज में रहते हैं। भूले-भटके और पापियों को वापस सही राह पर लाने में ईश्वर को आनन्द आता है। आगमन काल का यह समय हमें याद दिलाता है कि हमें अपने पापों अभिमुख होकर, ईश्वर की ओर मुड़ना है, ताकि वे हमारे मन-परिवर्तन में आनन्द मना सकें। वह हमारे लिए मुक्तिदाता भेजेंगे जो हमें हमारे पापों से मुक्त करेगा। (देखिए मत्ती 1:21)। क्या हम ईश्वर की आवाज सुनने के लिए तैयार हैं और उनकी ओर मुड़ने के लिए तत्पर हैं?

-फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

It is our sins and ignorance that takes us away from God’s unconditional love and mercy. It was always God, who loved us unconditionally and whenever we went astray, he brought us back to himself. He continued to send messengers, so that we are not lost forever. Finally he sent his own son as our saviour. God would never want that his loving children should remain away from him. Even today he is ready to send a saviour to the world, provided the world heeds him.

In the gospel today Jesus reminds us about the same mercy and compassion of God towards those who have lost their way. He is always in search of the sinners. Saving the sinners is the thing that God enjoys the most. The advent season reminds us that we have to make God happy, by giving up our sinful life and turning back to God. Since he is our loving father, he will send a saviour for us who will save us from our sins (cf Matt. 1:21). Are we ready to listen and welcome God amidst us?

-Fr. Johnson B. Maria (Gwalior Diocese)