हम पीढ़ियों के अनुसार अपने लब्ध-प्रतिष्ठ पूर्वजों का गुणगान करें। कुछ लोगों की स्मृति शेष नहीं रही। वे इस प्रकार लुप्त हो गये हैं, मानो कभी थे ही नहीं। वे इस प्रकार चले गये हैं, मानो उनका कभी जन्म नहीं हुआ; और उनकी सन्तति की भी यही दशा है। जिन लोगों के उपकार नहीं भुलाये गये हैं, उनके नाम यहाँ दिये जायेंगे। उन्होंने जो सम्पत्ति छोड़ दी है, वह उनके वंशजों में निहित है। उनके वंशज आज्ञाओं का पालन करते हैं, और इनके कारण इनकी सन्तति भी। उनका वंश सदा बना रहेगा और उनकी कीर्ति कभी नहीं मिटेगी।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता है।
1. प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, भक्तों की मण्डली में उसकी स्तुति करो। इस्राएल अपने सृष्टिकर्ता में आनन्द मनाये, सियोन के पुत्र अपने राजा का जयकार करें।
2. वे नृत्य करते हुए उसका नाम धन्य कहें, डफली और सितार बजाते हुए उसकी स्तुति करें, क्योंकि प्रभु अपनी प्रजा को प्यार करता और पद्दलितों का उद्धार करता है।
3. प्रभु के भक्त विजय के गीत सुनायें और अपने यहाँ आनन्द मनायें। वे ईश्वर की स्तुति करते रहें। इस में सभी भक्तों का गौरव है।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैंने तुम्हें इसलिए चुना कि तुम जा कर फल उत्पन्न करो और तुम्हारा फल बना रहे।" अल्लेलूया !
लोगों के स्वागत के बाद येसु ने येरुसालेम पहुँच कर मंदिर में प्रवेश किया। वहाँ सब कुछ अच्छी तरह देख कर वह अपने शिष्यों के साथ बेथानिया चले गये, क्योंकि संध्या हो चली थी। दूसरे दिन जब वे बेथानिया से चले आ रहे थे, तो येसु को भूख लगी। वह कुछ दूरी पर एक पत्तेदार अंजीर का पेड़ देख कर उसके पास गये कि शायद उस पर कुछ फल मिलें; किन्तु वहाँ पहुँचने पर उन्होंने पत्तों के सिवा और कुछ नहीं पाया, क्योंकि वह अंजीर का मौसम नहीं था। येसु ने पेड़ से कहा, "फिर कभी कोई तेरे फल न खाये।" उनके शिष्यों ने उन्हें यह कहते सुना। वे येरुसालेम पहुँचे। मंदिर में प्रवेश कर येसु वहाँ से बेचने और खरीदने वालों को बाहर निकालने लगे। उन्होंने सराफों की मेजें और कबूतर बेचने वालों की चौकियाँ उलट दीं और वह किसी को भी घड़ा लिये मंदिर से हो कर आने-जाने नहीं देते थे। उन्होंने लोगों को शिक्षा देते हुए कहा, "क्या यह नहीं लिखा है - मेरा घर सब राष्ट्रों के लिए प्रार्थना का घर कहलायेगा; परन्तु तुम लोगों ने उसे लुटेरों का अड्डा बना दिया है।" महायाजकों तथा शास्त्रियों को इसका पता चला और वे येसु के सर्वनाश का उपाय ढूँढ़ने लगे। वे उन से डरते थे, क्योंकि लोग मंत्रमुग्ध हो कर उनकी शिक्षा सुनते थे। संध्या हो जाने पर वह शहर के बाहर चले जाते थे। प्रातः जब वे उधर से आ रहे थे, तो शिष्यों ने देखा कि अंजीर का वह पेड़ जड़ से सूख गया है। पेत्रुस को वह बात याद आयी और उसने कहा, "गुरुवर ! देखिए, अंजीर का वह पेड़, जिसे आपने शाप दिया था, सूख गया है।" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "ईश्वर में विश्वास करो। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ - यदि कोई इस पहाड़ से यह कहे, 'उठ, समुद्र में गिर जा', और मन में सन्देह न करे, बल्कि यह विश्वास करे कि मैं जो कह रहा हूँ, वह पूरा होगा, तो उसके लिए वैसा ही हो जायेगा। इसलिए मैं तुम से कहता हूँ - तुम जो कुछ प्रार्थना में माँगते हो, विश्वास करो कि वह तुम्हें मिल गया है और वह तुम्हें दिया जायेगा।" "जब तुम प्रार्थना के लिए खड़े हो और तुम्हें किसी से कोई शिकायत हो, तो क्षमा कर दो, जिससे तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा कर दे। परन्तु यदि तुम क्षमा नहीं करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।"
प्रभु का सुसमाचार।