वर्ष का नौवाँ सप्ताह, सोमवार - वर्ष 1

पहला पाठ

टोबीत का ग्रन्थ 1:1-2; 2:1-8

"टोबीत राजा की अपेक्षा ईश्वर पर अधिक श्रद्धा रखता था।"

नफ्ताली वंश और नगर का टोबीत अस्सीरियों के राजा शलमन-एसेर के राज्यकाल में बन्दी बना कर निर्वासित किया गया, परन्तु उसने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। प्रभु के पर्व के दिन जब टोबीत के घर में उत्तम भोजन की तैयारी हुई, तो उसने अपने पुत्र से कहा, "जाओ और हमारे वंश के कुछ प्रभु-भक्तों को ले आओ, जिससे वे हमारे साथ भोजन करें।" वह गया और लौट कर बोला कि एक इस्राएली की हत्या गला घोंट कर की गयी है और वह बाजार में पड़ा हुआ है। टोबीत तुरन्त उठ कर खड़ा हुआ और अपना भोजन छोड़ कर शव के पास पहुँचा। उसने उसे उठा लिया और सूर्यास्त के बाद दफ़नाने के लिए छिपे-छिपे अपने घर ले गया। शव को छिपाने के बाद उसने उदास और भयभीत हो कर भोजन किया। उसे नबी आमोस के मुख से निकली प्रभु की यह वाणी याद आयी "तुम्हारे पर्व के दिन विलाप और दुःख में परिणत हो जायेंगे।" सूर्यास्त के बाद वह उस शव को दफनाने गया। उसके सभी पड़ोसी यह कहते हुए उसे रोकना चाहते थे, "इस काम के कारण आप को पहले भी प्राणदण्ड मिला था और आप मरते-मरते बचे थे। तब भी आप फिर मुरदों को क्यों दफ़नाते हैं?" किन्तु टोबीत राजा की अपेक्षा ईश्वर पर अधिक श्रद्धा रखता था, इसलिए वह मारे हुए लोगों के शव ले जा कर अपने घर में छिपाता और आधी रात को उन्हें दफ़नाता था।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 111:1-6

अनुवाक्य : धन्य है वह जो प्रभु पर श्रद्धा रखता है। (अथवा : अल्लेलूया !)

1. धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं को हृदय से चाहता है। उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा-फूलेगा।

2. प्रभु की आशिष धर्मियों की सन्तति पर बनी रहती है। उसका घर भरा-पूरा होगा, उसकी धार्मिकता कभी विचलित नहीं होगी। वह धर्मियों के लिए अन्धकार का प्रकाश है। वह दयालु, कोमल-हृदय और न्यायप्रिय है।

3. वह तरस खा कर उधार देता और ईमानदारी से अपना कारबार करता है। वह सन्मार्ग से कभी नहीं भटकेगा। उसकी समृति सदा बनी रहेगी।

जयघोष

अल्लेलूया ! येसु मसीह, विश्वसनीय साक्षी, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे ! तूने हमें प्यार किया और अपने रक्त से हमें पापों से मुक्त किया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:1-12

"उन्होंने परमप्रिय पुत्र को मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया।"

येसु ने महायाजकों, शास्त्रियों और नेताओं को यह दृष्टान्त सुनाया, "किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में रस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया। समय आने पर उसने असामियों के पास एक नौकर को भेजा, जिससे वह उन से दाखबारी की फसल का हिस्सा वसूल करे। असामियों ने नौकर को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया। उसने एक दूसरे नौकर को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया। उसने एक और नौकर को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत-से नौकरों को भेजा। उन्होंने उन में से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला। अब उसके पास एक ही बच गया - उसका परमप्रिय पुत्र। अंत में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। किन्तु उन असामियों ने आपस में कहा, 'यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और इसकी विरासत हमारी हो जायेगी।' उन्होंने उसे पकड़ कर मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया। दाखबारी का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन असामियों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी दूसरों को सौंप देगा। "क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा? - कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है। यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है।" वे समझ गये कि येसु का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है, और उन्हें गिरफ्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे और उन्हें छोड़ कर चले गये।

प्रभु का सुसमाचार।