टोबीत किसी दिन दफनाने के काम से थका-माँदा घर लौटा और आँगन की दीवाल के पास लेट कर सो गया। सोते समय अबाबील के घोंसले से उसकी आँखों पर गरम बीट गिर गयी, जिससे वह अन्धा हो गया। ईश्वर ने टोबीत पर यह विपत्ति आने दी, जिससे वह योब की तरह अगली पीढ़ियों के लिए धैर्य का आदर्श हो। टोबीत ईश्वर पर श्रद्धा रखते हुए बचपन से ही उसकी आज्ञाओं का पालन करता आ रहा था और अब अन्धा हो गया था। तब भी, वहं ईश्वर के विरुद्ध नहीं भुनभुनाता था। वह अटल विश्वास से ईश्वर पर श्रद्धा रख कर प्रतिदिन उसका धन्यवाद करता था। जिस प्रकार कुलपतियों ने धन्य योब का अपमान किया था, उसी प्रकार टोबीत के सम्बन्धी और परिचित उसकी जीवनचर्या के कारण यह कहते हुए उसका उपहास करते थे, "जिसके लिए आप भिक्षादान करते और मुरदों को दफ़नाते थे, वह आशा व्यर्थ ही है।" किन्तु टोबीत उन्हें डाँट कर यह उत्तर देता था, "ऐसा मत कहिए। हम तो सन्तों की सन्तति हैं और उस जीवन की प्रतीक्षा करते हैं जिसे ईश्वर उन लोगों को प्रदान करेगा, जो उसके प्रति ईमानदार रहते हैं।" टोबीत की पत्नी अन्ना प्रतिदिन बुनाई करने जाती थी और अपने हाथों की कमाई से जो खाद्य मिल सकता था, घर ले आया करती थी। किसी दिन उसे बकरी का बच्चा मिला और वह उसे घर ले आयी। किन्तु टोबीत ने उसका मिमियाना सुन कर कहा, "खबरदार ! हो सकता है कि यह कहीं से चुराया गया हो। इसे इसके मालिक को लौटा दो; क्योंकि हम न तो चुराया हुआ माल खा सकते और न रख सकते हैं।" इस पर उसकी पत्नी ने क्रुद्ध हो कर उत्तर दिया, "अब तो यह स्पष्ट हो गया है कि तुम्हारी आशा व्यर्थ ही थी और तुम्हारे भिक्षादान से कोई लाभ नहीं !" और वह उसी प्रकार टोबीत को फटकारा करती थी।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : ईश्वर पर भरोसा रखने वाले का मन दृढ़ रहता है। (अथवा : अल्लेलूया
1. धन्य है वह, जो प्रभु पर श्रद्धा रखता और उसकी आज्ञाओं को हृदय से चाहता है। उसका वंश पृथ्वी पर फलेगा फूलेगा। प्रभु की आशिष धर्मियों की सन्तति पर बनी रहती है।
2. वह विपत्ति के समाचार से नहीं डरता। उसका मन दृढ़ रहता है। वह ईश्वर पर भरोसा रखता है। वह न तो घबराता और न डरता है। वह अपने शत्रुओं पर विजयी होगा।
3. वह उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान देता है। उसकी न्यायप्रियता सदा बनी रहती है। उसकी शक्ति तथा ख्याति बढ़ती जायेगी।
अल्लेलूया ! हमारे प्रभु येसु मसीह का पिता आप लोगों के मन की आँखों को ज्योति प्रदान करे, जिससे आप यह देख सकें कि उसके द्वारा बुलाये जाने के कारण हमारी आशा कितनी महान् है। अल्लेलूया !
उन्होंने कुछ फरीसियों और हेरोदियों को येसु के पास भेजा जिससे वे उन्हें उनकी अपनी बात के फन्दे में फँसायें। वे आ कर उन से बोले, "गुरुवर ! हम यह जानते हैं कि आप सत्य बोलते हैं और किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं करते, बल्कि सच्चाई से ईश्वर का मार्ग सिखलाते हैं। कैसर को कर देना उचित है या नहीं? हम दें या नहीं दें?" उनकी धूर्तता भाँप कर येसु ने कहा, "मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? एक दीनार ला कर मुझे दिखलाओ।" वे एक दीनार लाये और येसु ने उन से पूछा, "यह किसका चेहरा और किसका लेख है?" उन्होंने उत्तर दिया, "कैसर का"। इस पर येसु ने उन से कहा, "जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो ईश्वर का है, उसे ईश्वर को।" यह सुन कर वे बड़े अचम्भे में पड़ गये।
प्रभु का सुसमाचार।