वर्ष का नौवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 1

पहला पाठ

टोबीत का ग्रन्थ 3:1-11,16-17

"महिमामय सर्वोच्च ईश्वर ने दोनों की प्रार्थना सुनी।"

टोबीत, दुःखी हो कर और आँसू बहाते हुए इस प्रकार प्रार्थना करने लगा, "हे प्रभु ! तू न्यायी है और तेरे समस्त कार्य न्यायपूर्ण हैं। तेरे सभी मार्ग दया और सच्चाई हैं। तेरे निर्णय सही हैं। हे प्रभु! मुझे याद कर। मुझे मेरे पापों का दण्ड न दे। मेरे और मेरे पूर्वजों के अपराध भुला दे। हम लोगों ने तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया, इसलिए हम लूट, निर्वासन एवं मृत्यु के शिकार बन गये और जिन राष्ट्रों में तूने हमें बिखेर दिया, वहाँ हम अपमानित हुए हैं। हे प्रभु ! तेरा दण्ड सही है; क्योंकि हमने तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया और हम तेरे प्रति ईमानदार नहीं रहे। इसलिए, हे प्रभु! तेरी जैसी इच्छा हो, मेरे साथ वैसा ही व्यवहार कर। मुझे उठा लेने की कृपा कर, क्योंकि जीवन की अपेक्षा मरण मेरे लिए कहीं अच्छा है।" उसी दिन, मेदिया के एकबतना नामक नगर में, रागुएल की पुत्री सारा को भी अपने पिता की एक नौकरानी की फटकार सुननी पड़ी। सारा का विवाह सात बार हो चुका था और सारा से पति का संसर्ग होने के पहले ही अस्मादेव नामक पिशाच ने क्रमशः सातों को उसके पास आते ही मार डाला था। इसलिए जब सारा ने किसी दोष के कारण नौकरानी को डाँटा, तो उसने उत्तर दिया, "पतियों की हत्यारिन ! अच्छा हो कि हम तेरे पुत्र या तेरी पुत्री को कभी नहीं देखें। क्या तू उसी तरह मेरी भी हत्या करना चाहती है, जिस तरह तूने अब तक सात पतियों की हत्या कर दी है?" यह सुन कर सारा ने अपने घर की छत पर जा कर तीन दिन तक खाना-पीना छोड़ दिया। वह प्रार्थना करती रही और आँसू बहाते हुए अनुनय-विनय करती रही कि ईश्वर वह कलंक उस से दूर करे। महिमामय सर्वोच्च ईश्वर ने एक ही समय टोबीत तथा सारा, दोनों की प्रार्थना सुनी। प्रभु के पवित्र स्वर्गदूत राफाएल को भेजा गया जिससे वह उन दोनों को स्वस्थ करे, जिनकी प्रार्थनाएँ एक ही समय प्रभु के समक्ष पहुँची थीं।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 24:2-9

अनुवाक्य : हे प्रभु ! मेरी आत्मा तुझे पुकारती है।

1. मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ, मुझे निराश न होने दे। मेरे शत्रु मेरा उपहास न करने पायें। जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, वे कभी निराश नहीं होते, जो तेरा विश्वासघात करते हैं, वे ही निराश हो जाते हैं।

2. हे प्रभु ! तू मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपने पथ बता। मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल और मुझे शिक्षा देने की कृपा कर, क्योंकि तू ही मेरा ईश्वर और मुक्तिदाता है।

3. हे प्रभु ! अपनी करुणा और दयालुता याद कर, जो अनन्तकाल से बनी हुई हैं। तू मेरी जवानी के पाप भुला दे और अपनी भलाई के अनुसार मेरी सुधि लेने की कृपा कर।

4. प्रभु भला और न्यायी है, वह पापियों को मार्ग पर लाता है। वह दीनों को सन्मार्ग पर ले चलता और पद्द‌लितों को अपना मार्ग बताता है।

जयघोष

अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा।" अल्लेलूया !

सुसमाचार (वर्ष 1 और वर्ष 2)

मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार 12:18-27

"वह मृतकों का नहीं, जीवितों का ईश्वर है।"

सदूकी येसु के पास आये। उनकी धारणा है कि पुनरुत्थान नहीं होता। उन्होंने येसु के सामने यह प्रश्न रखा, "गुरुवर ! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है - यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाये, तो वह उसकी विधवा को ब्याह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्सन्तान मर गया। दूसरा उसकी विधवा को ब्याह कर निस्सन्तान मर गया। तीसरे के साथ भी वही हुआ, और सातों भाई निस्सन्तान मर गये। सबों के बाद वह स्त्री भी मर गयी। जब वे पुनरुत्थान में जी उठेंगे, तो वह किसकी पत्नी होगी? वह तो सातों की पत्नी रह चुकी है।" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "कहीं तुम लोग इसीलिए तो भ्रम में नहीं पड़े हुए हो कि तुम न तो धर्मग्रन्थ जानते हो और न ईश्वर का सामर्थ्य? क्योंकि जब वे मृतकों में से जी उठेंगे, तब न तो पुरुष विवाह करेंगे और न स्त्रियाँ विवाह में दी जायेंगी, बल्कि वे स्वर्गदूतों के सदृश हो जायेंगे।" "जहाँ तक पुनरुत्थान का प्रश्न है, क्या तुम लोगों ने मूसा के ग्रन्थ में, झाड़ी की कथा में, यह नहीं पढ़ा कि ईश्वर ने मूसा से कहा है - मैं इब्राहीम का ईश्वर, इसहाक का ईश्वर और याकूब का ईश्वर हूँ? वह मृतकों का नहीं जीवितों का ईश्वर है। यह तुम लोगों का भारी भ्रम है।"

प्रभु का सुसमाचार।