टोबिअस ने स्वर्गदूत से कहा, "आप क्या चाहते हैं? हम कहाँ ठहरें?" स्वर्ग-दूत ने उत्तर दिया, "जहाँ आपके वंश का रागुएल नामक मनुष्य रहता है। वह तुम्हारा सम्बन्धी है और उसके एक सारा नामक पुत्री है।" वे रागुएल के यहाँ आये और रागुएल ने उनका आनन्दपूर्वक स्वागत किया। कुछ समय तक बातचीत करने के बाद रागुएल ने एक मेढ़ा मारने और भोजन की तैयारी करने का आदेश दिया। जब उसने दोनों को भोजन पर बैठने का निमंत्रण दिया, तो टोबिअस ने कहा, "जब तक आप मेरा निवेदन स्वीकार कर मुझे अपनी पुत्री सारा को देने की प्रतिज्ञा नहीं करेंगे, तब तक मैं कुछ भी नहीं खाऊँगा-पीऊँगा।" जब रागुएल ने यह सुना, तो उस पर भय छा गया; क्योंकि वह जानता था कि उन सात पुरुषों पर क्या बीती थी, जो सारा के पास गये थे। इसलिए वह डरता था कि कहीं टोबिअस पर भी वही न बीते। जब उसने असमंजस में पड़ कर टोबिअस की माँग का उत्तर नहीं दिया, तो स्वर्गदूत ने उस से कहा, "आप उसे अपनी पुत्री देने से न डरिए। यह ईश्वर पर श्रद्धा रखते हैं, इसलिए आपकी पुत्री इन्हीं की पत्नी बनने वाली थी और यही कारण है कि कोई दूसरा व्यक्ति इसका पति नहीं बन सका।" इस पर रागुएल ने कहा, “अब मैं जान गया कि ईश्वर ने मेरी प्रार्थनाएँ और मेरे आँसू स्वीकार किये। मुझे विश्वास है कि ईश्वर ने आप दोनों को इसलिए मेरे यहाँ भेजा है कि मेरी पुत्री मूसा की संहिता के अनुसार अपने सम्बन्धी की पत्नी बन जाये। अब आप निश्चित रहिए, मैं उसे आप को दे दूँगा।" तब उसने अपनी पुत्री का दाहिना हाथ पकड़ कर उसे टोबिअस के दाहिने हाथ पर रखा और कहा, "इब्राहीम, इसहाक और याकूब का ईश्वर तुम्हारे साथ हो। वह तुम दोनों को एक कर दे और तुम्हें भरपूर आशीर्वाद प्रदान करे।" और उन्होंने कागज ले जा कर विवाह के अनुबन्ध-पत्र पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद वे ईश्वर को धन्यवाद दे कर भोजन करने लगे। टोबिअस ने कुमारी को सम्बोधित कर कहा, "सारा ! उठ कर खड़ी हो जाओ। हमें आज, कल और परसों ईश्वर से प्रार्थना करते रहना चाहिए। हम तीन रात तक ईश्वर के सामने उपस्थित रहें और तीसरी रात बीत जाने पर ही हम अपना विवाहित जीवन प्रारंभ करें। हम सन्तों की सन्तति हैं, और उन लोगों की तरह अपना विवाहित जीवन प्रारंभ नहीं कर सकते, जो ईश्वर को नहीं जानते।" दोनों उठ खड़े हुए और आग्रह के साथ सुरक्षा के लिए मिल कर प्रार्थना करने लगे। टोबिअस ने यह कहा, "हे प्रभु ! हमारे पूर्वजों के ईश्वर ! आकाश और पृथ्वी, समुद्र, जलस्रोत एवं नदियाँ, और उन में रहने वाले तेरे बनाये हुए सभी प्राणी तुझे धन्य कहें ! तूने पृथ्वी की मिट्टी से आदम की सृष्टि की और उसे सहयोगिनी के रूप में हौवा को प्रदान किया। हे प्रभु ! तू जानता 396 नौवाँ सप्ताह - बृहस्पतिवार है कि मैं कामवासना से प्रेरित हो कर नहीं, बल्कि सन्तति की इच्छा से इस बहन को पत्नी के रूप में ग्रहण करता हूँ; जिससे वह सन्तति युग-युगों तक तेरा नाम धन्य कहे।" सारा ने भी कहा, "हम पर दया कर ! हे प्रभु! हम पर दया कर! ऐसा कर कि हम स्वस्थ हो कर बुढ़ापे तक एक साथ जीवित रह सकें।"
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : धन्य हैं वे सब, जो प्रभु पर भरोसा रखते हैं।
1. धन्य हो तुम, जो प्रभु पर भरोसा रखते हो और उसके मार्ग पर चलते हो। तुम अपने हाथ की कमाई से सुखपूर्वक जीवन बिताओगे।
2. तुम्हारी पत्नी तुम्हारे घर के आँगन में दाखलता की भाँति फलेगी फूलेगी। तुम्हारी सन्तान जैतून की टहनियों की भाँति तुम्हारे चौके की शोभा बढ़ायेगी।
3. जो ईश्वर पर भरोसा रखता है, उसे वही आशिष प्राप्त होगी, ईश्वर सियोन-पर्वत से तुम्हें जीवन-भर आशीर्वाद प्रदान करता रहे।
अल्लेलूया ! हे प्रभु ! मुझे ऐसी शिक्षा दे कि मैं सारे हृदय से तेरी संहिता का पालन करता रहूँ। अल्लेलूया !
एक शास्त्री येसु के पास आया। उसने यह विवाद सुना था और यह देख कर कि येसु ने सदूकियों को ठीक उत्तर दिया, उन से पूछा, "सब से पहली आज्ञा कौन-सी है?" येसु ने उत्तर दिया, "पहली आज्ञा यह है हे इस्त्राएल, सुनो ! हमारा प्रभु-ईश्वर एकमात्र प्रभु है। अपने प्रभु-ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा, अपनी सारी बुद्धि और सारी शक्ति से प्यार करो। दूसरी आज्ञा यह है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। इन से बड़ी कोई आज्ञा नहीं है।" शास्त्री ने उन से कहा, “ठीक है, गुरुवर ! आपने सच कहा है। एक ही ईश्वर है, उसके सिवा और कोई नहीं है। उसे अपने सारे हृदय, अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्यार करना और अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करना, यह हर प्रकार के होम और बलिदान से बढ़ कर है।" येसु ने उसका विवेकपूर्ण उत्तर सुन कर उस से कहा, "तुम ईश्वर के राज्य से दूर नहीं हो।" इसके बाद किसी को येसु से और प्रश्न करने का साहस नहीं हुआ।
प्रभु का सुसमाचार।