ईश्वर की सच्चाई की शपथ ! मैंने आप लोगों को जो संदेश दिया है, उस में कभी 'हाँ' और कभी 'नहीं' जैसी बात नहीं है। क्योंकि सिल्वानुस, तिमथी और मैंने आपके बीच जिनका प्रचार किया, उन ईश्वर के पुत्र येसु मसीह में कभी 'हाँ' और कभी 'नहीं' जैसी बात नहीं उन में 'हाँ' मात्र है। उन्हीं में ईश्वर की समस्त प्रतिज्ञाओं की 'हाँ' विद्यमान है। इसलिए हम ईश्वर की महिमा के लिए उन्हीं के द्वारा 'आमेन' करते हैं। ईश्वर हम को आप लोगों के बीच मसीह में सुदृढ़ बनाये रखता है और उसी ने हमारा अभिषेक किया है। उसी ने हम पर अपनी मुहर लगायी और अग्रिम के रूप में हमारे हृदयों को पवित्र आत्मा प्रदान किया है।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! अपने सेवक पर दयादृष्टि कर।
1. तेरी आज्ञाएँ अपूर्व हैं, इसलिए मैं उनका पालन करता हूँ।
2. तेरी वाणी की व्याख्या ज्योति प्रदान करती है। वह अशिक्षितों की भी समझ में आती है।
3. मैं आह भर कर बड़ी उत्सुकता से तेरी आज्ञाओं के लिए तरसता हूँ।
4. तू मेरे लिए अपनी दया प्रदर्शित कर, जैसा कि तू अपने भक्तों के लिए करता आया है।
5. तू अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मेरा पथप्रदर्शन कर, जिससे पाप का मुझ पर अधिकार न हो जाये।
6. अपने सेवक पर दयादृष्टि कर और मुझे अपनी संहिता सिखा।
अल्लेलूया ! तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे, जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करें। अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "तुम पृथ्वी के नमक हो। यदि नमक फीका पड़ जाये, तो वह किस से नमकीन किया जायेगा? वह किसी काम का नहीं रह जाता। वह बाहर फेंका और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाता है।" “तुम संसार की ज्योति हो। पहाड़ पर बसा हुआ नगर छिप नहीं सकता। लोग दीपक जला कर पैमाने के नीचे नहीं, बल्कि दीवट पर रखते हैं, जहाँ से वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है। उसी प्रकार तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे, जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करें।"
प्रभु का सुसमाचार।