वर्ष का दसवाँ सप्ताह, बुधवार - वर्ष 1

पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 3:4-11

"उसने हमें नये विधान का सेवक बनाया है। और वह विधान अक्षरों का नहीं, बल्कि आत्मा का है।"

हमें मसीह के कारण ईश्वर पर भरोसा है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी कोई अपनी योग्यता है हम अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते। हमारी योग्यता का स्त्रोत ईश्वर है। उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्य बनाया है। और यह विधान अक्षरों का नहीं, बल्कि आत्मा का है, क्योंकि अक्षर तो घातक है, किन्तु आत्मा है जीवनदायक। उस विधान के अक्षर पत्थर पर अंकित थे और उसके द्वारा प्राणदण्ड दिया जाता था; फिर भी उसकी महिमामय घोषणा के फलस्वरूप मूसा का मुखमंडल इतना दीप्तिमय हो गया था कि इस्राएली उस पर आँख जमाने में असमर्थ थे, यद्यपि मूसा के मुखमंडल की दीप्ति अस्थायी थी। यदि पुराना विधान इतना महिमामय था, तो आत्मा का विधान कहीं अधिक महिमामय होगा। यदि दोषी ठहराने वाले विधान का सेवा-कार्य इतना महिमामय था, तो दोषमुक्त करने वाले विधान का सेवा-कार्य कहीं अधिक महिमामय होगा। इस वर्त्तमान परमश्रेष्ठ महिमा के सामने वह पूर्ववर्ती महिमा अब निस्तेज हो गयी है। यदि अस्थायी विधान इतना महिमामय था, तो चिस्थायी विधान कहीं अधिक महिमामय होगा।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 98:5-9

अनुवाक्य : हे हमारे प्रभु-ईश्वर ! तू पवित्र है।

1. हमारे प्रभु-ईश्वर को धन्य कहो। उसके पाँवदान सियोन को दण्डवत् करो। वह पवित्र है।

2. हारून और मूसा उसके पुरोहित थे, समूएल उसकी उपासना करता था। उन्होंने प्रभु को पुकारा और उसने उनकी सुनी।

3. उसने बादल के खंभे में से उन से बातें कीं। उन्होंने उसकी आज्ञाओं तथा उसकी संहिता का पालन किया।

4. हे प्रभु ! हमारे ईश्वर ! तूने उनकी प्रार्थना सुनी, तूने उन्हें पाप का दण्ड तो दिया किन्तु उन्हें क्षमा भी प्रदान की।

5. हमारे प्रभु-ईश्वर को धन्य कहो। उसके पवित्र पर्वत को दण्डवत् करो। हमारा प्रभु-ईश्वर पवित्र है।

जयघोष

अल्लेलूया ! हे मेरे ईश्वर ! मुझे अपने मार्ग सिखा, तू मुझे अपनी सच्चाई के मार्ग पर ले चल। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:17-19

"मैं रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ।"

येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "यह न समझो कि मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने आया हूँ। उन्हें रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ। मैं तुम लोगों से कहे देता हूँ- आकाश और पृथ्वी भले ही टल जायें, किन्तु संहिता की एक मात्रा अथवा एक बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा। इसलिए जो उन छोटी-से-छोटी आज्ञाओं में से एक को भी भंग करता और दूसरों को ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में छोटा समझा जायगा। जो उनका पालन करता और उन्हें सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में बड़ा समझा जायेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।