वर्ष का दसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 1

पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 4:7-15

"जिसने येसु को पुनर्जीवित किया, वही येसु के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा।"

वह अमूल्य निधि हम मिट्टी के पात्रों में रखी रहती है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह अलौकिक सामर्थ्य हमारा अपना नहीं, बल्कि ईश्वर का है। हम कष्टों से घिरे रहते हैं, परन्तु कभी हार नहीं मानते। हम परेशान हो जाते हैं, परन्तु कभी निराश नहीं होते। हम पर अत्याचार किया जाता है, परन्तु हम अपने को परित्यक्त नहीं पाते। हम को पछाड़ दिया जाता है, परन्तु हम नष्ट नहीं हो जाते। हम हर समय अपने शरीर में येसु के दुःखभोग तथा मृत्यु का अनुभव करते हैं, जिससे येसु का जीवन भी हमारे शरीर में प्रत्यक्ष हो जाये। हमें जीवित ही येसु के कारण निरन्तर मृत्यु का सामना करना पड़ता है, जिससे येसु का जीवन भी हमारे नश्वर शरीर में प्रत्यक्ष हो जाये। इस प्रकार हम में मृत्यु क्रियाशील है और आप लोगों में जीवन। धर्मग्रन्थ कहता है – मैंने विश्वास किया और इस लिए मैं बोला। हम विश्वास के उसी मनोभाव से प्रेरित हैं। हम विश्वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं। हम जानते हैं कि जिसने प्रभु येसु को पुनर्जीवित किया, वही येसु के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा और आप लोगों के साथ हम को भी अपने पास रख लेगा। सब कुछ आप लोगों के लिए हो रहा है, ताकि जिस प्रकार कृपा बहुतों में बढ़ती जाती है, उसी प्रकार ईश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करने वालों की संख्या भी बढ़ती जाये।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 115:10-11,15-18

अनुवाक्य : हे प्रभु, मैं तुझे धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा।

1. यद्यपि मैंने कहा, "मैं अत्यन्त दुःखी हूँ", तब भी मैंने भरोसा नहीं छोड़ दिया। मैंने संकट में पड़ कर यह भी कहा था, "कोई भी मनुष्य विश्वसनीय नहीं है।"

2. अपने भक्तों की मृत्यु से प्रभु को भी दुःख होता है। हे प्रभु! मैं तेरा सेवक हूँ, तेरा दास हूँ। तूने मेरे बन्धन खोल दिये।

3. मैं प्रभु का नाम लेते हुए धन्यवाद का बलिदान चढ़ाऊँगा, प्रभु की सारी प्रजा के सामने प्रभु के लिए अपनी मन्नतें पूरी करूँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! आप लोग संसार में उज्ज्वल तारों की तरह चमकेंगे, क्योंकि जीवन का वचन आप लोगों को प्राप्त हो गया है। अल्लेलूया !

सुसमाचार (वर्ष 1 और वर्ष 2)

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 5:27-32

"जो बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।"

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- व्यभिचार मत करो। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ - जो बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।" "यदि तुम्हारी दाहिनी आँख तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये, तो उसे निकाल कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाये, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न डाला जाये। और यदि तुम्हारा दाहिना हाथ तुम्हारे लिए पाप का कारण बन जाये तो उसे काट कर फेंक दो। अच्छा यही है कि तुम्हारे अंगों में से एक नष्ट हो जाये, किन्तु तुम्हारा सारा शरीर नरक में न जाये। "यह भी कहा गया है - जो कोई अपनी पत्नी को त्यागे, वह उसे त्यागपत्र दे। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ - व्यभिचार को छोड़ किसी अन्य कारण से जो अपनी पत्नी को त्याग देता है, वह उस से व्यभिचार कराता है। और जो त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है।"

प्रभु का सुसमाचार।