भाइयो ! मैं आप लोगों को उस अनुग्रह के विषय में बताना चाहता हूँ, जिसे ईश्वर ने मकेदूनिया की कलीसियाओं को प्रदान किया है। संकटों की अग्नि परीक्षा में भी उनका आनन्द अपार रहा और तंगहाली में रहते हुए भी उन्होंने बड़ी उदारता का परिचय दिया। उन्होंने अपने सामर्थ्य के अनुसार, बल्कि उस से भी अधिक, चन्दा दिया। उन्होंने स्वयं ही बड़े आग्रह के साथ मुझ से अनुरोध किया कि उन्हें भी सन्तों की सहायता के लिए चन्दा देने का सौभाग्य मिले। वे अपनी उदारता में हमारी आशा से बहुत अधिक आगे बढ़ गये – उन्होंने पहले ईश्वर के प्रति और बाद में, ईश्वर की इच्छा के अनुसार, हमारे प्रति अपने को अर्पित किया है। इस कारण हमने तीतुस से अनुरोध किया कि जिस परोपकार का कार्य उसने प्रवर्तित किया था, वह उसे आप लोगों के बीच पूरा कर दें। आप लोग हर बात में : विश्वास, अभिव्यक्ति, ज्ञान, सब प्रकार की धर्मसेवा और हमारे प्रति प्रेम में बढ़े-चढ़े हैं, इसलिए आप लोगों को इस परोपकार में भी बड़ी उदारता दिखानी चाहिए। मैं इस सम्बन्ध में कोई आदेश नहीं दे रहा हूँ, बल्कि दूसरे लोगों की उदारता की चरचा कर मैं आपके प्रेम की सच्चाई की परीक्षा लेना चाहता हूँ। आप लोग हमारे प्रभु येसु मसीह की उदारता जानते ही हैं; वह धनी थे किन्तु आप लोगों के कारण निर्धन बने, जिससे आप लोग उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन जायें।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : मेरी आत्मा प्रभु की स्तुति करे। अथवा : अल्लेलूया !
1. मैं जीवन भर प्रभु की स्तुति करूँगा, अपने ईश्वर के आदर में सदा ही गीत गाता रहूँगा।
2. धन्य है वह, जिसका सहायक याकूब का ईश्वर है, जो अपने प्रभु-ईश्वर पर भरोसा रखता है। उसी प्रभु ने स्वर्ग और पृथ्वी बनायी, समुद्र भी, और जो कुछ उन में है। प्रभु सदा ही सत्यप्रतिज्ञ है।
3. वह पद्दलितों को न्याय दिलाता है, वह भूखों को तृप्त करता और बन्दियों को मुक्त कर देता है।
4. प्रभु अन्धों की आँखों को अच्छा करता और फुके हुए को सीधा करता है, वह परदेशी की रक्षा करता और अनाथ तथा विधवा को सँभालता है।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "मैं तुम लोगों को एक नयी आज्ञा देता हूँ जैसे मैंने तुम लोगों को प्यार किया है, वैसे तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।" अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुम से कहता हूँ अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो। इस से तुम अपने स्वर्गिक पिता की सन्तान बन जाओगे; क्योंकि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता है तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है। यदि तुम उन्हीं से प्रेम रखते हो, जो तुम से प्रेम रखते हैं, तो पुरस्कार का दावा कैसे कर सकते हो? क्या नाकेदार भी ऐसा नहीं करते? और यदि तुम अपने भाइयों को ही नमस्कार करते हो, तो कौन-सा बड़ा काम करते हो? क्या गैरयहूदी भी ऐसा नहीं करते? इसलिए तुम पूर्ण बनो, जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।"
प्रभु का सुसमाचार।