वर्ष का ग्यारहवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

कुरिंथियों के नाम सन्त पौलुस का दूसरा पत्र 12:1-10

"मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा।"

डींग मारने से कोई लाभ नहीं, फिर भी मुझे ऐसा ही करना पड़ रहा है। इसलिए दिव्य दर्शनों और प्रभु द्वारा प्रकट किये हुए रहस्यों की चर्चा करूँगा। मैं मसीह के एक भक्त को जानता हूँ, जो चौदह वर्ष पहले तीसरे स्वर्ग तक ऊपर आरोहित कर लिया गया – सशरीर या दूसरे प्रकार से, यह मैं नहीं जानता; ईश्वर ही जानता है। मैं उस मनुष्यं के विषय में जानता हूँ कि वह स्वर्ग में आरोहित कर लिया गया - सशरीर या दूसरे प्रकार से, यह मैं नहीं जानता; ईश्वर ही जानता है। उस मनुष्य ने ऐसी बातों की चर्चा सुनी, जो अनिर्वचनीय हैं और जिन्हें प्रकट करने की किसी मनुष्य को अनुमति नहीं है। मैं ऐसे व्यक्ति पर गौरव करना चाहूँगा। अपनी दुर्बलताओं के अतिरिक्त मैं अपने विषय में किसी और बात पर गौरव नहीं करूँगा। यदि मैं गौरव करता, तो यह नादानी नहीं होती, क्योंकि मैं सत्य ही बोलता। किन्तु मैं यह नहीं करूँगा। लोग जैसा मुझे देखते और सुनते हैं, उस से बढ़ कर मुझे कुछ भी नहीं समझें। मुझ पर बहुत-सी असाधारण बातों का रहस्य प्रकट किया गया है। मैं इस पर घमण्ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक काँटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्ड न करूँ। मैंने तीन बार प्रभु से विनती की है कि यह मुझ से दूर हो जाये, किन्तु प्रभु ने कहा- मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि तुम्हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता है। इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे। मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गौरव करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान् हूँ।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 33:8-13

अनुवाक्य : परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है।

1. प्रभु का दूत उसके भक्तों के पास डेरा डाल कर उनकी रक्षा करता है। परख कर देखो कि प्रभु कितना भला है। धन्य है वह, जो उसकी शरण में जाता है।

2. प्रभु के भक्तो ! प्रभु पर श्रद्धा रखो ! श्रद्धालु भक्तों को किसी बात की कमी नहीं। शक्तिशाली दरिद्र बन कर भूखे रहते हैं, किन्तु प्रभु की खोज में लगने वालों का घर भरा-पूरा है।

3. हे मेरे पुत्रो ! आओ और मेरी बात सुनो ! मैं तुम्हें प्रभु की श्रद्धा सिखाऊँगा। तुम में से कौन भरपूर जीवन, लम्बी आयु और सुख-शांति चाहता है?

जयघोष

अल्लेलूया ! येसु मसीह धनी थे किन्तु आप लोगों के लिए निर्धन बने, जिससे आप उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन जायें। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 6:24-34

"कल की चिन्ता मत करो।"

येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "कोई भी दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। तुम ईश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।" "मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्ता मत करो न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्या खायें और न अपने शरीर की, कि हम क्या पहनें। क्या जीवन भोजन से बढ़ कर नहीं? और क्या शरीर कपड़े से बढ़ कर नहीं? आकाश के पक्षियों को देखो। वे न तो बोते हैं, न लुनते हैं और न बखारों में जमा करते हैं। फिर भी तुम्हारा स्वर्गिक पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम उन से बढ़ कर नहीं हो? चिन्ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु घड़ी भर भी बढ़ा सकता है? और कपड़ों की चिन्ता क्यों करते हो? खेत के फूलों को देखो। वे कैसे बढ़ते हैं ! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं। फिर भी मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि सुलेमान अपने पूरे ठाट-बाट में उन में से एक की भी बराबरी नहीं कर सकता था। हे अल्पविश्वासियो ! खेत की घास आज भर है और कल चूल्हे में झोंक दी जायेगी। उसे भी यदि ईश्वर इस प्रकार सजाता है, तो वह तुम्हें क्यों नहीं पहनायेगा?" "इसलिए यह कह कर चिन्ता मत करो हम क्या खायें, क्या पीयें, क्या पहनें। इन सब चीजों की खोज में गैरयहूदी लगे रहते हैं। तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीजों की जरूरत है। तुम सब से पहले ईश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो और ये सब चीजें तुम्हें यों ही मिल जायेंगी। कल की चिन्ता मत करो। कल अपनी चिन्ता स्वयं कर लेगा। आज की मुसीबत आज के लिए बहुत है।"

प्रभु का सुसमाचार।