अब्राम पशुओं और चाँदी-सोने से सम्पन्न था। लोत अब्राम के साथ रहता था और उसके भी भेड़-बकरियाँ, चौपाये, और तम्बू थे। वह भूमि इतनी विस्तृत नहीं थी कि उस से दोनों का निर्वाह हो सके। उनकी इतनी अधिक सम्पत्ति थी कि वे दोनों साथ नहीं रह सकते थे। इस कारण अब्राम और लोत के चरवाहों में झगड़े हुआ करते थे। उस समय कनानी और परिज्जी उस देश में निवास करते थे। इसलिए अब्राम ने लोत से यह कहा, "हम दोनों में, मेरे और तुम्हारे चरवाहों में झगड़ा नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम तो भाई हैं। सारा प्रदेश तुम्हारे सामने है, हम एक दूसरे से अलग हो जायें। यदि तुम बायें जाओगे, तो मैं दाहिने जाऊँगा और यदि तुम दाहिने जाओगे, तो मैं बायें जाऊँगा।" लोत ने आँखें उठा कर देखा कि प्रभु की वाटिका तथा मिस्र देश के सदृश समस्त यर्दन नदी की घाटी सोअर तक अच्छी तरह सींची हुई है। उस समय तक प्रभु ने सोदोम और गोमोरा का विनाश नहीं किया था। इसलिए लोत ने यर्दन नदी की समस्त घाटी चुनी। वह पूर्व की ओर चला गया और इस प्रकार दोनों अलग हो गये। अब्राम कनान की भूमि में रह गया। लोत घाटी के नगरों के बीच बस गया और उसने सोदोम के निकट अपने तम्बू खड़ा कर दिये। सोदोम के निवासी बहुत दुष्ट और प्रभु की दृष्टि में पापी थे। जब लोत चला गया, तो प्रभु ने अब्राम से यह कहा, "तुम आँखें ऊपर उठाओ और जहाँ खड़े हो, वहाँ से उत्तर और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम की ओर दृष्टि दौड़ाओ मैं यह सारा देश, जो तुम्हें दिखाई दे रहा है, तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को प्रदान करूँगा। मैं तुम्हारे वंशजों को पृथ्वी की धूल की तरह असंख्य बना दूँगा पृथ्वी के धूलि-कण भले ही कोई गिन सके, किन्तु तुम्हारे वंशजों की गिनती कोई नहीं कर पायेगा ! चलो; इस देश में चारों ओर घूमने जाओ, क्योंकि मैं इसे तुम को दे दूँगा।" अब्राम अपना तम्बू उखाड़ कर हेब्रोन में मामरे के बलूत के पास बस गया और उसने वहाँ प्रभु के लिए एक बेदी बनायी।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! कौन तेरे शिविर में निवास कर पायेगा।
1. जिसका आचरण निर्दोष है, जो सदा सत्कार्य करता है, जो हृदय से सत्य बोलता है और चुगली नहीं खाता।
2. जो अपने भाई को नहीं ठगता और अपने पड़ोसी की निन्दा नहीं करता, जो विधर्मी को तुच्छ समझता और प्रभु-भक्तों का
3. आदर करता है। जो उधार दे कर ब्याज नहीं माँगता और निर्दोष के विरुद्ध घूस नहीं लेता - जो ऐसा आचरण करता है, वह कभी विचलित नहीं होगा।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।" अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "पवित्र वस्तु कुत्तों को मत दो और अपने मोती सूअरों के सामने मत फेंको। कहीं ऐसा न हो कि वे उन्हें अपने पैरों तले कुचल दें और पलट कर तुम्हें फाड़ डालें।" "दूसरों से अपने साथ जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके साथ वैसा ही किया करो। यही संहिता और नबियों की शिक्षा है।" “सँकरे द्वार से प्रवेश करो। चौड़ा है वह फाटक और विस्तृत है वह मार्ग, जो विनाश की ओर ले जाता है। उस पर चलने वालों की संख्या बड़ी है। किन्तु सँकरा है वह द्वार और सँकीर्ण है वह मार्ग, जो जीवन की ओर ले जाता है। जो उसे पाते हैं, उनकी संख्या थोड़ी है।"
प्रभु का सुसमाचार।