अब्राम ने एक दिव्य दर्शन में ईश्वर की वाणी को यह कहते हुए सुना, "अब्राम ! मत डरो ! मैं तुम्हारी ढाल हूँ। तुम्हारा पुरस्कार महान् होगा।" अब्राम ने कहा, "हे प्रभु-ईश्वर ! तू मुझे क्या दे सकता है? मैं निस्सन्तान हूँ और मेरे घर का उत्तराधिकारी दमिश्क का एलिआजार है।" अब्राम ने फिर कहा, "तूने मुझे कोई सन्तान नहीं दी; मेरा नौकर मेरा उत्तराधिकारी होगा।" तब प्रभु ने उस से यह कहा, "वह तुम्हारा उत्तराधिकारी नहीं होगा। तुम्हारा औरस पुत्र ही तुम्हारा उत्तराधिकारी होगा।" ईश्वर ने अब्राम को बाहर ले जा कर कहा, "आकाश की ओर दृष्टि लगाओ और संभव हो, तो तारों की गिनती करो।" उसने उस से यह भी कहा, "तुम्हारी सन्तति इतनी ही बड़ी होगी।" अब्राम ने ईश्वर में विश्वास किया और इस कारण प्रभु ने उसे धार्मिक माना। प्रभु ने उस से कहा, "मैं वही प्रभु हूँ, जो तुम्हें इस देश का उत्तराधिकारी बनाने के लिए खल्दियों के ऊर नामक नगर से निकाल लाया था।" अब्राम ने उत्तर दिया, "हे प्रभु! मेरे ईश्वर ! मैं यह कैसे जान पाऊँगा कि इस पर मेरा अधिकार हो जायेगा?" प्रभु ने कहा, "तीन बरस की कलोर, तीन बरस की बकरी, तीन बरस का मेढ़ा, एक पंडुक और एक कपोत का बच्चा यहाँ ले आना।" अब्राम ये सब ले आये। उसने उनके दो-दो टुकड़े कर दिये और उन टुकड़ों को आमने-सामने रख दिया, किन्तु पक्षियों के दो-दो टुकड़े नहीं किये। गीध लाशों पर उतर आये, किन्तु अब्राम ने उन्हें भगा दिया। जब सूरज डूबने पर था, तो अब्राम गहरी नींद में सो गया और उस पर आतंक छा गया। सूरज डूबने तथा गहरा अन्धकार हो जाने पर एक धुँआती हुई अंगीठी तथा एक जलती हुई मशाल दिखाई पड़ीं, जो जानवरों के उन टुकड़ों के बीच से होते हुए आगे निकल गयीं। उस दिन प्रभु ने यह कह कर अब्राम के लिए अपना विधान प्रकट किया मैं मिस्र की नदी से ले कर महानदी अर्थात् फरात नदी तक का यह देश तुम्हारे वंशजों को दे देता हूँ।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु सदा अपना विधान याद करता है। (अथवा : अल्लेलूया !)
1. प्रभु को धन्यवाद दो, उसका नाम धन्य कहो, राष्ट्रों में उसके महान् कार्यों का बखान करो। उसके आदर में गीत गाओ, उसकी स्तुति करो, उसके अपूर्व कार्यों का बखान करो।
2. उसके पवित्र नाम पर गौरव करो। प्रभु को खोजने वालों का हृदय आनन्दित हो। प्रभु और उसके सामर्थ्य का मनन करो, उसके दर्शनों के लिए तरसते रहो।
3. हे प्रभु-भक्त इब्राहीम की सन्तति ! हे प्रभु के कृपापात्र, याकूब के पुत्रो ! प्रभु ही हमारा ईश्वर है, उसके निर्णय समस्त पृथ्वी पर लागू हैं।
4. वह सदा अपना विधान याद करता है, हजारों पीढ़ियों के लिए अपनी प्रतिज्ञाएँ, इब्राहीम के लिए ठहराया हुआ विधान, इसहाक के सामने खायी हुई शपथ।
अल्लेलूया ! प्रभु कहते हैं, "तुम मुझ में रहो और मैं तुम में रहूँगा। जो मुझ में रहता है, वही बहुत फलता है।" अल्लेलूया !
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "भूठे नबियों से सावधान रहो। वे भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, किन्तु वे भीतर से खूंखार भेड़िये हैं। उनके फलों से तुम उन्हें पहचान जाओगे। क्या लोग कंटीली झाड़ियों से अंगूर या ऊँटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं? इस तरह हर अच्छा पेड़ अच्छे फल देता है और बुरा पेड़ बुरे फल देता है। अच्छा पेड़ बुरे फल नहीं दे सकता और न बुरा पेड़ अच्छा फल। जो पेड़ अच्छा फल नहीं देता, वह काटा और आग में झोंक दिया जाता है। इसलिए उनके फलों से तुम उन्हें पहचान जाओगे।"
प्रभु का सुसमाचार।