वर्ष का तेरहवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1

पहला पाठ

उत्पत्ति-ग्रन्थ 22:1-19

कुलपति इब्राहीम का बलिदान।

ईश्वर ने इब्राहीम की परीक्षा ली। उसने उस से कहा, "इब्राहीम ! इब्राहीम !" इब्राहीम ने उत्तर दिया, "प्रस्तुत हूँ।" ईश्वर ने कहा, "अपने पुत्र को, अपने एकलौते को, परमप्रिय इसहाक को साथ ले जा कर मोरिया देश जाओ। वहाँ, जिस पहाड़ पर मैं तुम्हें बताऊँगा, उसे बलि चढ़ा देना।" इब्राहीम बड़े सबेरे उठा। उसने अपने गधे पर जीन बाँध कर दो नौकरों और अपने पुत्र इसहाक को बुला भेजा। उसने होम-बलि के लिए लकड़ी तैयार कर ली और उस जगह के लिए प्रस्थान किया, जिसे ईश्वर ने बताया था। तीसरे दिन, इब्राहीम ने आँखें ऊपर उठायीं और उस जगह को दूर से देखा। इब्राहीम ने अपने नौकरों से कहा, "तुम लोग गधे के साथ यहाँ ठहरो। मैं लड़के के साथ वहाँ जाऊँगा। आराधना करने के बाद हम तुम्हारे पास लौट आयेंगे।" इब्राहीम ने होम-बलि की लकड़ी अपने पुत्र इसहाक पर लाद दी। उसने स्वयं आग और छूरा हाथ में ले लिया और दोनों साथ-साथ चल दिये। इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, "पिता जी !" उसने उत्तर दिया, "बेटा ! क्या बात है?" उसने उत्तर दिया, "देखिए, आग और लकड़ी तो हमारे पास है; किन्तु होम का मेमना कहाँ है?" इब्राहीम ने उत्तर दिया, "बेटा ! तेरहवाँ सप्ताह - बृहस्पतिवार ईश्वर होम के मेमने का प्रबन्ध कर देगा", और वे दोनों साथ-साथ आगे बढ़े। जब वे उस जगह पहुँच गये जिसे ईश्वर ने बताया था, तो इब्राहीम ने वहाँ एक बेदी बना ली और उस पर लकड़ी सजायी। इसके बाद उसने अपने पुत्र इसहाक को बाँधा और उसे वेदी के ऊपर रख दिया। तब इब्राहीम ने अपने पुत्र को बलि चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ा कर छूरा उठा लिया। किन्तु प्रभु का दूत स्वर्ग से उसे पुकार कर बोला, "इब्राहीम ! इब्राहीम !" उसने उत्तर दिया, "प्रस्तुत हूँ।"।" दूत ने कहा, "बालक पर हाथ नहीं उठाना; उसे कोई हानि नहीं पहुँचाना। । अब मैं जान गया कि तुम ईश्वर पर श्रद्धा रखते हो तुमने मुझे अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इनकार नहीं किया।" इब्राहीम ने आँखें ऊपर उठायीं और सींगों से झाड़ी में फँसे हुए एक मेढ़े को देखा। इब्राहीम ने जा कर मेढ़े को पकड़ लिया और उसे अपने पुत्र के बदले बलि चढ़ा दिया। इब्राहीम ने उस जगह का नाम 'प्रभु का प्रबन्ध' रखा; इसलिए लोग आजकल कहते हैं, "प्रभु पर्वत पर प्रबन्ध करता है।" ईश्वर का दूत इब्राहीम को दूसरी बार पुकार कर बोला, "यह प्रभु की वाणी है। मैं शपथ खा कर कहता हूँ - तुमने यह काम किया : तुमने मुझे अपने पुत्र, अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इन्कार नहीं किया; इसलिए मैं तुम पर आशिष बरसाता रहूँगा। मैं आकाश के तारों और समुद्र के बालू की तरह तुम्हारे वंशजों को असंख्य बना दूँगा और वे अपने शत्रुओं के नगरों पर अधिकार कर लेंगे। तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है; इसलिए तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी के सभी राष्ट्रों का कल्याण होगा।" इब्राहीम अपने नौकरों के पास लौटे। वे सब बएर-शेबा चले गये और इब्राहीम वहाँ रहने लगे।

प्रभु की वाणी।

भजन : स्तोत्र 114:1-6,8-9

अनुवाक्य : मैं जीवितों के देश में प्रभु के सामने चलता रहूँगा। (अथवा : अल्लेलूया!)

1. मेरे हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा, क्योंकि उसने मेरी पुकार सुनी। जिस दिन मैंने उसकी दुहाई दी, उसने मेरी प्रार्थना पर ध्यान दिया।

2. मैं मृत्यु के बन्धनों से जकड़ा हुआ और अधोलोक के फन्दों में फँसा हुआ था। मैं शोक और संकट से घिरा हुआ था, तब मैंने प्रभु का नाम ले कर पुकारा हे प्रभु! मुझे बचाने की कृपा कर।

3. प्रभु न्यायी और दयालु है, हमारा ईश्वर करुणामय है, प्रभु दरिद्रों की रक्षा करता है। मैं निस्सहाय हो गया था और उसने मुझे बचा लिया।

4. उसने मुझे मृत्यु से बचा लिया, उसने मेरे आँसू पोंछ डाले और मेरे पैरों को फिसलने नहीं दिया। मैं जीवितों के देश में प्रभु के सामने चलता रहूँगा।

जयघोष

अल्लेलूया ! ईश्वर ने मसीह के द्वारा अपने से संसार का मेल कराया और उस मेल-मिलाप का सेवा-कार्य हमें सौंपा है। अल्लेलूया !

सुसमाचार

मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9:1-8

"वे ईश्वर की स्तुति करने लगे, जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार प्रदान किया है।"

येसु नाव पर बैठ गये और समुद्र पार करें अपने नगर आये। उस समय कुछ लोग खाट पर पड़े हुए एक अर्धांगरोगी को उनके पास ले आये। उनका विश्वास देख कर येसु ने अर्धांगरोगी से कहा, "बेटा, ढारस रखो ! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं।" कुछ शास्त्री मन-ही-मन सोचने लगे यह ईश-निन्दा करता है। उनके ये विचार जान कर येसु ने कहा, "तुम लोग अपने मन में बुरे विचार क्यों लाते हो? अधिक सहज क्या है यह कहना, 'तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं' अथवा यह कहना, 'उठो और चलो-फिरो'; किन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है" तब वह अर्धांगरोगी से बोले "उठो और अपनी खाट उठा कर घर जाओ।" और वह उठ कर अपने घर चला गया। यह देख कर लोगों पर भय छा गया और वे ईश्वर की स्तुति करने लगे, जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार प्रदान किया है।

प्रभु का सुसमाचार।