सारा एक सौ सत्ताईस बरस की उमर तक जीती रही और कनान के किर्यत-अरबा अर्थात् हेब्रोन में उसका देहान्त हो गया। इब्राहीम ने उसके लिए मातम मनाया और विलाप किया। इसके बाद वह उठ खड़ा हुआ और मृतक को छोड़ कर हित्तियों से बोला, "मैं आपके यहाँ परदेशी और प्रवासी हूँ। मुझे मक़बरे के लिए थोड़ी-सी जमीन दीजिए, जिससे मैं उचित रीति से अपनी मृत पत्नी को दफ़ना सकूँ।" इब्राहीम ने कनान में, मामरे अर्थात् हेब्रोन के पूर्व में, मकपेला के खेत की एक गुफा में अपनी पत्नी सारा को दफ़नाया। उस समय तक इब्राहीम बहुत बूढ़ा हो गया था और प्रभु ने उसे उसके सब कार्यों में आशीर्वाद दिया था। इब्राहीम ने अपने सब से पुराने नौकर से, जो उसकी समस्त सम्पत्ति का प्रबन्ध करता था, कहा, "अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रखो और आकाश तथा पृथ्वी के ईश्वर की शपथ ले कर मुझे वचन दो कि जिन कनानियों के बीच मैं रहता हूँ, उनकी कन्याओं में से किसी को भी मेरे पुत्र की पत्नी नहीं बनाओगे, बल्कि मेरे देश और मेरे सम्बन्धियों के पास जाओगे और वहाँ मेरे पुत्र इसहाक के लिए पत्नी चुनोगे।" नौकर ने कहा, "हो सकता है कि वहाँ कोई ऐसी स्त्री नहीं मिलेगी, जो मेरे साथ इस देश आना चाहती हो। तो, क्या मैं आपके पुत्र को उस देश ले चलूँ, जिसे आपने छोड़ दिया है?" इब्राहीम ने उत्तर दिया, "तुम मेरे पुत्र को वहाँ कदापि नहीं ले जाना। प्रभु, आकाश और पृथ्वी के ईश्वर ने मुझे मेरे पिता के घर और मेरे कुटुम्ब के देश से निकाला और शपथ ले कर मुझ से कहा कि वह यह देश मेरे वंशजों को प्रदान करेगा। वही प्रभु तुम्हारे साथ अपना दूत भेजेगा, जिससे तुम वहाँ से मेरे पुत्र के लिए पत्नी ला सको। यदि कोई स्त्री तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार न हो, तो तुम अपनी इस शपथ से मुक्त होगे, किन्तु मेरे पुत्र को वहाँ कदापि नहीं ले जाना।" इसहाक लहय-रोई नाम कुएँ से लौटा था, क्योंकि उस समय वह नगेब प्रदेश में रहता था। इसहाक, सन्ध्या समय, खेत में टहलने गया और उसने आँखें उठा कर ऊँटों को आते देखा। रिबेका ने भी आँखें उठा कर इसहाक को देखा। उसने ऊँट से उतर कर सेवक से कहा, "जो मनुष्य खेत में हमारी ओर आ रहा है, वह कौन है?" सेवक ने उत्तर दिया, "यह मेरे स्वामी हैं।" इस पर उसने पल्ले से अपना सिर ढक लिया। सेवक ने इसहाक को बताया कि उसने क्या-क्या किया है। इसहाक रिबेका को अपनी माता सारा के तम्बू ले आया। उसने उसके साथ विवाह किया और वह उसकी पत्नी बन गयी। इसहाक रिबेका को प्यार करता था और उसे अपनी माता सारा के देहान्त के बाद सान्त्वना मिली।
प्रभु की वाणी।
अनुवाक्य : प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि वह भला है। अथवा : अल्लेलूया !
1. प्रभु की स्तुति करो, क्योंकि वह भला है। उसका प्रेम अनन्तकाल तक बना रहता है। प्रभु के महान् कार्यों का बखान कौन कर सकता है? उसकी यथायोग्य स्तुति कौन कर सकता है?
2. धन्य हैं वे, जो प्रभु की संहिता का पालन करते और हर समय सदाचरण करते हैं। तू अपनी प्रजा को प्यार करता है। हे प्रभु ! मुझे भी याद कर।
3. हे प्रभु! आ कर मेरी सहायता कर, जिससे मैं तेरे कृपापात्रों का आनन्द देख सकूँ, तेरे भक्तों की सुख-शांति से प्रफुल्लित होऊँ और तेरी प्रजा की महिमा का भागी बन जाऊँ।
येसु वहाँ से आगे बढ़े। उन्होंने मत्ती नामक व्यक्ति को चुंगी घर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, "मेरे पीछे चले आओ", और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया। किसी दिन येसु अपने शिष्यों के साथ मत्ती के घर में भोजन पर बैठे और बहुत-से नाकेदार और पापी आ कर उनके साथ भोजन करते थे। यह देख कर फ़रीसियों ने उनके शिष्यों से कहा, "तुम्हारे गुरु नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?" येसु ने यह सुन कर उन से कहा, "नीरोगों को नहीं, रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। जा कर सीख लो कि इसका क्या अर्थ है - मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।"
प्रभु का सुसमाचार।